मित्रों ! सारण जिलाध्यक्ष समरेन्द्र बहादुर सिंहजी और गोपालगंज जिलाध्यक्ष भाई नीलमणिजी द्वारा जानकारी दी गई है कि वहाँ के जिलाधिकारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रारंभिक शिक्षकों को मैट्रिक की काॅपियों के मूल्यांकन का गैरजिम्मेदाराना आदेश दिया है ।
बताया जा रहा है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों मे कार्यरत B Ed योग्यताधारी शिक्षकों को मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन करने का आदेश दिया गया है ।
हमें तो तरस आता है इन अधिकारियों की बुद्धि पर । जो शिक्षक मैट्रिक के वर्तमान पाठ्यक्रम को न पढ रहे हैं और न हीं पढा रहे हैं उन्हें इस परीक्षा की कॉपी के मूल्यांकन का आदेश देना विल्कुल गैरजिम्मेदाराना और अवैधानिक हरकत है । कार के मिस्त्री को हवाई जहाज के इंजन की जांच करने का आदेश कोई मानसिक रोगी हीं दे सकता है । B Ed योग्यताधारी शिक्षक जब अपना वाजिब हक सरकार से मांगते हैं तब तो उनकी बात कोई नहीं सुनता है । प्रदेश के हजारों बेसिक ग्रेड शिक्षकों को B Ed होने के बावजूद सरकार उन्हें प्रशिक्षित नहीं मानती है और उन्हें अप्रशिक्षित का वेतन देती है और अब जब माध्यमिक विद्यालय के साथियों ने अपने हक की लड़ाई में मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया है तो प्रारंभिक शिक्षकों से जबरन मूल्यांकन कराने की नीति बनायी जा रही है ।
हम चेतावनी देते हैं कि बिहार सरकार मुगालते में न रहे । प्रारंभिक शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों से अलग समझने की सरकार भूल न करे । हमारी मांग एक है । हमारी लड़ाई एक है । माध्यमिक शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का विरोध किया है तो एक भी प्रारंभिक शिक्षक भी मैट्रिक की कॉपी का मूल्यांकन नहीं करेगा । आप तमाम साथियों से अनुरोध है कि यदि कोई प्रारंभिक शिक्षक मूल्यांकन में भाग लेने की कोशिश करे तो उसके साथ वही व्यवहार करें जो एक दुश्मन के साथ करना चाहिए ।
( नोट :- नि:संदेह बहुसंख्यक हमारे प्रारंभिक शिक्षक साथी भी उच्च योग्यताधारी और क्षमतावान हैं जो व्याख्याता और प्राध्यापक से कम नहीं हैं । अतः कृपया इस पोस्ट को प्रारंभिक शिक्षक साथियों की क्षमता पर सवाल नहीं माना जाए बल्कि वैधानिक दृष्टिकोण से लिखा गया विचार समझा जाए । )
निवेदक :- वंशीधर ब्रजवासी
------'--------------'------------'------------'--------------'----------------
मित्रों ! सारण जिलाध्यक्ष समरेन्द्र बहादुर सिंहजी और गोपालगंज जिलाध्यक्ष भाई नीलमणिजी द्वारा जानकारी दी गई है कि वहाँ के जिलाधिकारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रारंभिक शिक्षकों को मैट्रिक की काॅपियों के मूल्यांकन का गैरजिम्मेदाराना आदेश दिया है । बताया जा रहा है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों मे कार्यरत B Ed योग्यताधारी शिक्षकों को मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन करने का आदेश दिया गया है ।
हमें तो तरस आता है इन अधिकारियों की बुद्धि पर । जो शिक्षक मैट्रिक के वर्तमान पाठ्यक्रम को न पढ रहे हैं और न हीं पढा रहे हैं उन्हें इस परीक्षा की कॉपी के मूल्यांकन का आदेश देना विल्कुल गैरजिम्मेदाराना और अवैधानिक हरकत है । कार के मिस्त्री को हवाई जहाज के इंजन की जांच करने का आदेश कोई मानसिक रोगी हीं दे सकता है । B Ed योग्यताधारी शिक्षक जब अपना वाजिब हक सरकार से मांगते हैं तब तो उनकी बात कोई नहीं सुनता है । प्रदेश के हजारों बेसिक ग्रेड शिक्षकों को B Ed होने के बावजूद सरकार उन्हें प्रशिक्षित नहीं मानती है और उन्हें अप्रशिक्षित का वेतन देती है और अब जब माध्यमिक विद्यालय के साथियों ने अपने हक की लड़ाई में मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया है तो प्रारंभिक शिक्षकों से जबरन मूल्यांकन कराने की नीति बनायी जा रही है ।
हम चेतावनी देते हैं कि बिहार सरकार मुगालते में न रहे । प्रारंभिक शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों से अलग समझने की सरकार भूल न करे । हमारी मांग एक है । हमारी लड़ाई एक है । माध्यमिक शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का विरोध किया है तो एक भी प्रारंभिक शिक्षक भी मैट्रिक की कॉपी का मूल्यांकन नहीं करेगा । आप तमाम साथियों से अनुरोध है कि यदि कोई प्रारंभिक शिक्षक मूल्यांकन में भाग लेने की कोशिश करे तो उसके साथ वही व्यवहार करें जो एक दुश्मन के साथ करना चाहिए ।
( नोट :- नि:संदेह बहुसंख्यक हमारे प्रारंभिक शिक्षक साथी भी उच्च योग्यताधारी और क्षमतावान हैं जो व्याख्याता और प्राध्यापक से कम नहीं हैं । अतः कृपया इस पोस्ट को प्रारंभिक शिक्षक साथियों की क्षमता पर सवाल नहीं माना जाए बल्कि वैधानिक दृष्टिकोण से लिखा गया विचार समझा जाए । )
निवेदक :- वंशीधर ब्रजवासी
बताया जा रहा है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों मे कार्यरत B Ed योग्यताधारी शिक्षकों को मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन करने का आदेश दिया गया है ।
हमें तो तरस आता है इन अधिकारियों की बुद्धि पर । जो शिक्षक मैट्रिक के वर्तमान पाठ्यक्रम को न पढ रहे हैं और न हीं पढा रहे हैं उन्हें इस परीक्षा की कॉपी के मूल्यांकन का आदेश देना विल्कुल गैरजिम्मेदाराना और अवैधानिक हरकत है । कार के मिस्त्री को हवाई जहाज के इंजन की जांच करने का आदेश कोई मानसिक रोगी हीं दे सकता है । B Ed योग्यताधारी शिक्षक जब अपना वाजिब हक सरकार से मांगते हैं तब तो उनकी बात कोई नहीं सुनता है । प्रदेश के हजारों बेसिक ग्रेड शिक्षकों को B Ed होने के बावजूद सरकार उन्हें प्रशिक्षित नहीं मानती है और उन्हें अप्रशिक्षित का वेतन देती है और अब जब माध्यमिक विद्यालय के साथियों ने अपने हक की लड़ाई में मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया है तो प्रारंभिक शिक्षकों से जबरन मूल्यांकन कराने की नीति बनायी जा रही है ।
हम चेतावनी देते हैं कि बिहार सरकार मुगालते में न रहे । प्रारंभिक शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों से अलग समझने की सरकार भूल न करे । हमारी मांग एक है । हमारी लड़ाई एक है । माध्यमिक शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का विरोध किया है तो एक भी प्रारंभिक शिक्षक भी मैट्रिक की कॉपी का मूल्यांकन नहीं करेगा । आप तमाम साथियों से अनुरोध है कि यदि कोई प्रारंभिक शिक्षक मूल्यांकन में भाग लेने की कोशिश करे तो उसके साथ वही व्यवहार करें जो एक दुश्मन के साथ करना चाहिए ।
( नोट :- नि:संदेह बहुसंख्यक हमारे प्रारंभिक शिक्षक साथी भी उच्च योग्यताधारी और क्षमतावान हैं जो व्याख्याता और प्राध्यापक से कम नहीं हैं । अतः कृपया इस पोस्ट को प्रारंभिक शिक्षक साथियों की क्षमता पर सवाल नहीं माना जाए बल्कि वैधानिक दृष्टिकोण से लिखा गया विचार समझा जाए । )
निवेदक :- वंशीधर ब्रजवासी
------'--------------'------------'------------'--------------'----------------
मित्रों ! सारण जिलाध्यक्ष समरेन्द्र बहादुर सिंहजी और गोपालगंज जिलाध्यक्ष भाई नीलमणिजी द्वारा जानकारी दी गई है कि वहाँ के जिलाधिकारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने प्रारंभिक शिक्षकों को मैट्रिक की काॅपियों के मूल्यांकन का गैरजिम्मेदाराना आदेश दिया है । बताया जा रहा है कि प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों मे कार्यरत B Ed योग्यताधारी शिक्षकों को मैट्रिक परीक्षा की काॅपियों का मूल्यांकन करने का आदेश दिया गया है ।
हमें तो तरस आता है इन अधिकारियों की बुद्धि पर । जो शिक्षक मैट्रिक के वर्तमान पाठ्यक्रम को न पढ रहे हैं और न हीं पढा रहे हैं उन्हें इस परीक्षा की कॉपी के मूल्यांकन का आदेश देना विल्कुल गैरजिम्मेदाराना और अवैधानिक हरकत है । कार के मिस्त्री को हवाई जहाज के इंजन की जांच करने का आदेश कोई मानसिक रोगी हीं दे सकता है । B Ed योग्यताधारी शिक्षक जब अपना वाजिब हक सरकार से मांगते हैं तब तो उनकी बात कोई नहीं सुनता है । प्रदेश के हजारों बेसिक ग्रेड शिक्षकों को B Ed होने के बावजूद सरकार उन्हें प्रशिक्षित नहीं मानती है और उन्हें अप्रशिक्षित का वेतन देती है और अब जब माध्यमिक विद्यालय के साथियों ने अपने हक की लड़ाई में मूल्यांकन का बहिष्कार कर दिया है तो प्रारंभिक शिक्षकों से जबरन मूल्यांकन कराने की नीति बनायी जा रही है ।
हम चेतावनी देते हैं कि बिहार सरकार मुगालते में न रहे । प्रारंभिक शिक्षकों को माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों से अलग समझने की सरकार भूल न करे । हमारी मांग एक है । हमारी लड़ाई एक है । माध्यमिक शिक्षकों ने मूल्यांकन कार्य का विरोध किया है तो एक भी प्रारंभिक शिक्षक भी मैट्रिक की कॉपी का मूल्यांकन नहीं करेगा । आप तमाम साथियों से अनुरोध है कि यदि कोई प्रारंभिक शिक्षक मूल्यांकन में भाग लेने की कोशिश करे तो उसके साथ वही व्यवहार करें जो एक दुश्मन के साथ करना चाहिए ।
( नोट :- नि:संदेह बहुसंख्यक हमारे प्रारंभिक शिक्षक साथी भी उच्च योग्यताधारी और क्षमतावान हैं जो व्याख्याता और प्राध्यापक से कम नहीं हैं । अतः कृपया इस पोस्ट को प्रारंभिक शिक्षक साथियों की क्षमता पर सवाल नहीं माना जाए बल्कि वैधानिक दृष्टिकोण से लिखा गया विचार समझा जाए । )
निवेदक :- वंशीधर ब्रजवासी