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शिक्षा बचाओ सम्मेलन में टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ की तरफ से अपनी बात रखी !

................राष्ट्रभक्त चाहिए पर शिक्षा के संपूर्ण राष्ट्रीयकरण करने से परहेज है ! महंगी शिक्षा बेहतर मनुष्य नही , उपभोक्ता पैदा करती हैं और उपभोक्ताओं का कोई राष्ट्र नही होता है !
लिहाजा निजिकरण पर संपूर्ण विराम लगाते हुऐ शिक्षा का समग्र सरकारीकरण करते हुए समान स्कूल- समान पाठ्यक्रम -समान गुणवत्ता की शिक्षा सबके लिए, मानक शिक्षकों को समान सेवाशर्त समेत वेतनमान देते हुए कामन स्कूल सिस्टम लागु करो !
............ समान स्कूल प्रणाली को लागू किये बगैर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को हासिल करना संभव नही है ! स्कूली शिक्षा का धडल्ले से निजिकरण दरअसल शिक्षा की जिम्मेवारी से सरकारों की भागने की साजिश है ! बडे पैमाने पर बच्चे गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और सार्वभौमिक शिक्षा का मकसद पूरा नही हो सकता है ! शिक्षा का अधिकार कानून कई मसलों पर सार्वभौमिक शिक्षा के जिम्मेवारियों का पालन करने में अक्षम है बावजूद इसके शिक्षा का अधिकार कानून के मानदंडों को भी लागू करने से सरकार पीछे भाग रही है ! शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्यों में लगाने, उनके सेवापूर्व व सेवाकालीन शिक्षण प्रशिक्षण की ठोस व्यवस्था का अभाव, भिन्न भिन्न नामों से पैराशिक्षकों की बहाली जारी रखने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मानकों की अनदेखी, रिक्त पदों पर बहाली के बजाय सामंजन करके व सरकारी स्कूलों उनमे पढनेवाले बच्चों , एवं कार्यरत शिक्षकों के प्रति एडहाक रवैया, व तमाम बच्चों को अब भी स्कूलों से जोड पाने में विफल सरकारी नीतियां , एक भयावह दृश्य पैदा कर रही है ! जाहिर है इन स्थितियों में सार्वजनिक शिक्षा पर जबर्दस्त खतरे के बादल मंडरा रहे हैं ! कई सरकारी विद्यालयों का परस्पर विलय करते हुए कुछ स्कूलों को बंद करने के उदाहरण सामने आ रहे हैं ! कार्यरत शिक्षकों का विभिन्न विद्यालयों में सामंजन करके सरकार नई बहाली से पीछे भाग रही है ! शिक्षा के अधिकार कानून में ही पैराशिक्षकों की बहाली पर रोक है परंतु राज्य सरकारें भिन्न भिन्न नामों से अपमानजनक सेवा शर्तों व मेहनताने पर शिक्षकों का नियोजन धडल्ले से कर रही है ! प्राईवेट स्कूलों का दबदबा बढ रहा है सरकारी विद्यालयों को लेकर समाज के जागरूक मध्यवर्ग का मतलब खत्म हो रहा है ! वंचित तबकों के बच्चों सरकारी विद्यालयों में पढते हैं और सरकार उनके बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन देने से साजिशन पीछे भाग रही है ! गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मानकों पर गंभीरतापूर्वक निर्णय लेने के बजाय महज नारेबाजी हो रही है ! थोडा बहुत शिक्षकों को प्रताडित करके ताली बटोरने के जरिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के हल होने के सब्जबाग जनता को दिखाये जा रहे हैं ! लोकलुभावन योजनाओं का मकडजाल फैलाकर स्कूली शिक्षा , शिक्षक को अपमानित, व पढनेवाले बच्चों को ध्यान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से भटकाया जा रहा है ! शिक्षक वेतन मांगते तो सरकार उन्हे अयोग्य बोलकर अपना पल्ला झाडती है ! जबकि इस सवाल का जबाब उनके पास नही है कि अगर कुछ शिक्षक अयोग्य हैं तो उनकी बहाली सरकार ने क्यों की ? बहुतेरे सवाल हैं सरकार से , बहुपरतीय शिक्षा नीति से और Tsunss यह मानती है कि समान स्कूल प्रणाली एक मजबूत विकल्प है शिक्षा के राष्ट्रीयकरण की उसके सार्वभौमिकीकरण की !
सरकारी स्कूली शिक्षा से हम शिक्षकों का भविष्य जूडा है, और सरकारी स्कूली शिक्षा को सार्वभौमिक व गुणवत्तापूर्ण बनाने की हर लडाई में बिहार के टीईटी एसटीईटी शिक्षक अगले मोर्चे पर खडे हैं एवं आगे भी खडे रहेंगे !

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