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शिक्षक एकता के नाम पर राजनीति बंद करो ! अपने संगठन का आंदोलन अनाउंस करो !

शिक्षक एकता के नाम पर राजनीति बंद करो ! अपने संगठन का आंदोलन अनाउंस करो !
13 जनवरी से ही पप्पु पुरण पाठक उतरे हैं सडक पर , अपने अपने तरीके और स्तरों से !
अपने अपने ढंग से सरकार की गिरेबान पकड रहे हैं ! वे लोग तमाम मसलों के बाद भी समान काम समान वेतन पर राज्यव्यापी शिक्षक आंदोलन को खडा करने की दिशा में बढ रहे हैं !

और इस पुरे दौर में जमीनी आंदोलन से गायब अब शिक्षक आंदोलन में आईडेंटिटी पालटिक्स के एजैंडे के साथ घुसपैठ कर आंदोलन के मुद्दों को मिसगाईड करने की कोशिश करते दिख रहे हैं ! शिक्षक जनता सबकुछ जानती समझती बूझती है ! पीपीएसएस उर्फ चौपाल के मान-अपमान प्रकरण पर नया विमर्श व ताजे बयान कुछ यही इशारे कर रहे हैं ! आंदोलन से गायब रहना, किसी आंदोलन में दर्शक की तरह जाना, बेमतलब का अपमान महसूसना और फिर उसे एजैंडा बनाना शिक्षक विमर्श का ! ले दे कर बिना कुछ किये धडे सुर्खी में बने रहना ! यही तो है शिक्षक एकता के नाम पर राजनीति !
कुछ लोग वास्तविक शिक्षक एकता के बजाय शिक्षक एकता की राजनीति में मशगूल हैं !
पहले अपने अपमान पर अपने फालोवर्स से निंदा घृणा शोक व सहानुभूति का इजहार करवाना फिर माहौल फिट देखके शिक्षक एकता का मार्मिक अपील करना , मानों उनके अलावे बाकि शिक्षक संगठन सब शिक्षकों के दुश्मन हैं !
लगभग सारे शिक्षक संगठन आंदोलन के मोड में हैं सडक पर उतरे हुए हैं उतरनेवाले हैं पर उनका कहीं अता पता नही है ! अब भुक्क से उगे हैं फेसबुक पर और एकता एकता अलाप चालू कर दिये हैं ! भैया जी एकता साझे संघर्षों के दौरान ठंढे माथे से साझे एजैंडे पर साझी सहमति व संकल्पों एवं रणनीति से बनती है ! शीशे सा नाजूक दिल लेकर एकता की बात करना बेमतलब बात है !
सरकार , भेदभाव करके , कम वेतन देकर ,चार लाख शिक्षकों को रोज रोज अपमानित करती है और हमारी लडाई सरकार के खिलाफ है लिहाजा अपना अहम सबलोग त्यागें! वैसे पुरण बधाई के पात्र हैं कि उन्होने समान काम समान वेतन पर आंदोलन में गरमी पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है ! बंशी अपना रूख स्पष्ट करे ! पाठक ने तो 27 से पटना में डेरा डालने का ऐलान कर ही दिया है ! गर्दनीबाग ही इस दौर के महाएकता वाले व्यापक शिक्षक आंदोलन का रूख तय करेगा !

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