आज का आंदोलन और एक सामान्य शिक्षक कि स्थिति :-
यह ध्रुव सत्य है कि इस डेपोर्शंखी सरकार में हमारी बात सुनने तक कि शक्ति नहीं है i वह एक आक्रांता कि तरह लाठी चार्ज कर भयभीत करना चाहती है i हमारी जायज मांगो के लिए आंदोलन का रास्ता जी बचा है . एक बरा प्रश्न यह है कि एक सामान्य शिक्षक इसके लिए तैयार है क्या ?
शिक्षक विरोधी यह सरकार हम सबो को नियोजित शिक्षक कह कर एकता में जोरती रही है वही हमारे शिक्षक अलग अलग संघ; खेमा; व अहम कि दुकान खरा कर आपसी एकता को नष्ट कर रहे हैi एक-दूसरे से आगे निकल जाने कि प्रतियोगिता ने हमारी नैतिकता को ही खतरे में डाल दिया है i हम एक-दूसरे से ऐसा व्यवहार करने लगे है जैसे हम शिक्षक भाई नहीं; जन्म -जन्म के शत्रु हो i हमारा संघ ऐसा; हमने ये कर दिया ; उसने क्या किया ? जैसे प्रश्न आप अक्सर सुनते होंगे i ह्वाट्स ऐप पर नीत नए ग्रुप व एक - दूसरे को गरियान कि संस्कृति फलीभूत हो रही है i ऐसे में एक सामान्य शिक्षक यह निर्णय नहीं कर पाता कि वो क्या करे i बिभिन्न शिक्षक संघों के आंदोलन के अलग -अलग स्वरुप हमें कमजोर ही करेंगे i अगर हम साथ -साथ संघर्ष करेंगे तो सफलता कि शत प्रतिशत गारंटी होगी i मै जनता हूँ यह कहना और लिखना आसान है वास्तव में यह कितना मुश्किल है क्योकि एक -दूसरे के प्रति मन में मैल; अविश्वास ये होने देगी क्या ? ये लराई हमारी स्वयं से है i यदि हमलोग अपने दंभ व अहंकार को त्यागकर शिक्षकों के हित में एक साथ होते है तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रह पायेगा i
आप सभी जानते है कि जो वाद न्यायालय में बिचाराधीन है i सरकार बार-बार समय लेकर उसे टालती रही है i क्या न्यायालय के वाद को हम सरक पर उतर कर सरकार को समाधान करने हेतू मजबूर कर सकते है ?कदापि नहींi
ऐसे में हे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं एक सामान्य शिक्षक का करबध्द अनुरोध है कि उसे दिघ्भ्रमित नहीं करे I एक साझा रणनीति बनाकर आंदोलन का आगाज करें i सफलता निश्चित मिलेगी i
यह ध्रुव सत्य है कि इस डेपोर्शंखी सरकार में हमारी बात सुनने तक कि शक्ति नहीं है i वह एक आक्रांता कि तरह लाठी चार्ज कर भयभीत करना चाहती है i हमारी जायज मांगो के लिए आंदोलन का रास्ता जी बचा है . एक बरा प्रश्न यह है कि एक सामान्य शिक्षक इसके लिए तैयार है क्या ?
शिक्षक विरोधी यह सरकार हम सबो को नियोजित शिक्षक कह कर एकता में जोरती रही है वही हमारे शिक्षक अलग अलग संघ; खेमा; व अहम कि दुकान खरा कर आपसी एकता को नष्ट कर रहे हैi एक-दूसरे से आगे निकल जाने कि प्रतियोगिता ने हमारी नैतिकता को ही खतरे में डाल दिया है i हम एक-दूसरे से ऐसा व्यवहार करने लगे है जैसे हम शिक्षक भाई नहीं; जन्म -जन्म के शत्रु हो i हमारा संघ ऐसा; हमने ये कर दिया ; उसने क्या किया ? जैसे प्रश्न आप अक्सर सुनते होंगे i ह्वाट्स ऐप पर नीत नए ग्रुप व एक - दूसरे को गरियान कि संस्कृति फलीभूत हो रही है i ऐसे में एक सामान्य शिक्षक यह निर्णय नहीं कर पाता कि वो क्या करे i बिभिन्न शिक्षक संघों के आंदोलन के अलग -अलग स्वरुप हमें कमजोर ही करेंगे i अगर हम साथ -साथ संघर्ष करेंगे तो सफलता कि शत प्रतिशत गारंटी होगी i मै जनता हूँ यह कहना और लिखना आसान है वास्तव में यह कितना मुश्किल है क्योकि एक -दूसरे के प्रति मन में मैल; अविश्वास ये होने देगी क्या ? ये लराई हमारी स्वयं से है i यदि हमलोग अपने दंभ व अहंकार को त्यागकर शिक्षकों के हित में एक साथ होते है तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं रह पायेगा i
आप सभी जानते है कि जो वाद न्यायालय में बिचाराधीन है i सरकार बार-बार समय लेकर उसे टालती रही है i क्या न्यायालय के वाद को हम सरक पर उतर कर सरकार को समाधान करने हेतू मजबूर कर सकते है ?कदापि नहींi
ऐसे में हे शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं एक सामान्य शिक्षक का करबध्द अनुरोध है कि उसे दिघ्भ्रमित नहीं करे I एक साझा रणनीति बनाकर आंदोलन का आगाज करें i सफलता निश्चित मिलेगी i