बेतिया। फर्जी शिक्षकों से वेतन वसूली व उनपर प्राथमिकी दर्ज करने के
आदेश से जिले में एक बार फिर हड़कंप मच गया है। वैसे शिक्षक जो किसी प्रकार
साठ-गांठ कर अपने फोल्डर मैनेज कराते रहे हैं, उनके चेहरे पीले पड़ने लगे
हैं। इधर, विभागीय अधिकारियों ने बताया कि सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्र व
अन्य आवश्यक कागजात निगरानी टीम को सौंपे गए हैं।
बता दें कि कई शिक्षकों के पास दसवीं व बारहवीं की परीक्षा का प्रवेश पत्र नहीं होने से मामला गरमाता रहा लेकिन बाद में लीपापोती कर फोल्डर को आगे बढ़ा दिया गया। अब निगरानी की टीम इस मामले में सक्रिय हुई है तो फर्जी डिग्री वाले शिक्षक खासे परेशान हैं। सूत्रों की मानें तो हाईस्कूल व पुस्तकालयाध्यक्ष के बाद अब प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों के फोल्डर की जांच शुरू की गयी है। बारीकी से जांच करने पर कई मामले सामने आने की की संभावना है। कई ऐसे भी शिक्षक निगरानी की जद में हैं जिन्होंने किसी प्रकार इंटरमीडिएट की डिग्री लेकर नौकरी पा ली जबकि उनके पास दसवीं व बारहवीं की परीक्षा का प्रवेश पत्र नहीं है। ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर निगरानी की टीम पड़ताल कर रही है। व्यापक कार्रवाई की आशंका से जिले की नियोजन इकाइयों के भी हाथ-पांव फूल रहे हैं क्योंकि 2006 से लेकर अब तक कई नियोजन इकाइयों ने मोटी रकम लेकर बिना योग्यता वाले लोगों को भी शिक्षक की नौकरी दिलवाने में मदद की थी। कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनके फोल्डर में दसवीं की परीक्षा से जुड़ा एक भी प्रमाण पत्र शामिल नहीं किया गया है और वे आज तक नियोजित शिक्षक बनकर सरकारी की राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं। डीपीओ स्थापना डीके ¨सह ने बताया कि जिले के सभी शिक्षकों के फोल्डर को निगरानी टीम को सौंप दिया गया है ताकि जांच प्रक्रिया समय से पूरी की जा सके।
बता दें कि कई शिक्षकों के पास दसवीं व बारहवीं की परीक्षा का प्रवेश पत्र नहीं होने से मामला गरमाता रहा लेकिन बाद में लीपापोती कर फोल्डर को आगे बढ़ा दिया गया। अब निगरानी की टीम इस मामले में सक्रिय हुई है तो फर्जी डिग्री वाले शिक्षक खासे परेशान हैं। सूत्रों की मानें तो हाईस्कूल व पुस्तकालयाध्यक्ष के बाद अब प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों के फोल्डर की जांच शुरू की गयी है। बारीकी से जांच करने पर कई मामले सामने आने की की संभावना है। कई ऐसे भी शिक्षक निगरानी की जद में हैं जिन्होंने किसी प्रकार इंटरमीडिएट की डिग्री लेकर नौकरी पा ली जबकि उनके पास दसवीं व बारहवीं की परीक्षा का प्रवेश पत्र नहीं है। ऐसे शिक्षकों की सूची तैयार कर निगरानी की टीम पड़ताल कर रही है। व्यापक कार्रवाई की आशंका से जिले की नियोजन इकाइयों के भी हाथ-पांव फूल रहे हैं क्योंकि 2006 से लेकर अब तक कई नियोजन इकाइयों ने मोटी रकम लेकर बिना योग्यता वाले लोगों को भी शिक्षक की नौकरी दिलवाने में मदद की थी। कई ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जिनके फोल्डर में दसवीं की परीक्षा से जुड़ा एक भी प्रमाण पत्र शामिल नहीं किया गया है और वे आज तक नियोजित शिक्षक बनकर सरकारी की राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं। डीपीओ स्थापना डीके ¨सह ने बताया कि जिले के सभी शिक्षकों के फोल्डर को निगरानी टीम को सौंप दिया गया है ताकि जांच प्रक्रिया समय से पूरी की जा सके।