पटना। विधि संवाददाता परीक्षा समिति को बगैर मान्यता प्राप्त सरकारी शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेजों के छात्रों की परीक्षा नहीं लेने का आदेश दिया है। साथ ही समिति को इन कॉलेजों को मान्यता देने के बारे में बनाए जा रहे रेगुलेशन की प्रति हलफनामे के साथ कोर्ट में पेश करने को कहा है।
न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की पीठ ने एक साथ दस रिट याचिकाओं पर सुनवाई की। निजी प्राथमिक शिक्षक ट्रेनिंग कॉलेजों की ओर से अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज चलाने के लिए एनसीटीई ने सहमति दे दी है। बिहार बोर्ड ने इन कॉलेजों को अनापत्ति प्रमाण दे दिया है, लेकिन मान्यता नहीं दे रहा है। मान्यता नहीं देने के कारण छात्रों का नामांकन नहीं लिया जा रहा है। वहीं राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक प्रशिक्षण कॉलेजों में छात्रों का नामांकन ले पढ़ाई कराई जा रही है। उनका कहना था कि जो कानून प्राइवेट कॉलेजों के लिए है, वही सरकारी के लिए भी है। राज्य में 72 सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं, जिनमें से एक को भी बिहार बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। वहीं, बिहार बोर्ड का पक्ष रखते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड मान्यता देने के लिए नए सिरे से रेगुलेशन बना रहा है। यह काम अंतिम दौर में है। उनका कहना था कि सूबे में करीब 77 प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं।
अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि कोर्ट की नजर में सरकारी एवं प्राइवेट कॉलेज एक समान हैं। कोई भी कॉलेज बगैर मान्यता के नहीं चल सकता। कोर्ट ने पूछा कि बगैर मान्यता प्राप्त सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में छात्रों का नामांकन कैसे लिया गया और उनकी पढ़ाई कैसे कराई जा रही है। अदालत ने नामांकन लिए छात्रों की परीक्षा नहीं लेने का आदेश देते हुए बिहार बोर्ड को अगली तारीख पर रेगुलेशन पेश करने का आदेश दिया। साथ ही मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 10 नवंबर तय की। बता दें कि इन कॉलेजों वर्ग एक से पांच कक्षाओं में पढ़ाने के लिए एक वर्षीय डिप्लोमा इन इलिमेंटरी एडुकेशन कोर्स कराया जाता है।
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न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की पीठ ने एक साथ दस रिट याचिकाओं पर सुनवाई की। निजी प्राथमिक शिक्षक ट्रेनिंग कॉलेजों की ओर से अधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज चलाने के लिए एनसीटीई ने सहमति दे दी है। बिहार बोर्ड ने इन कॉलेजों को अनापत्ति प्रमाण दे दिया है, लेकिन मान्यता नहीं दे रहा है। मान्यता नहीं देने के कारण छात्रों का नामांकन नहीं लिया जा रहा है। वहीं राज्य के सभी सरकारी प्राथमिक प्रशिक्षण कॉलेजों में छात्रों का नामांकन ले पढ़ाई कराई जा रही है। उनका कहना था कि जो कानून प्राइवेट कॉलेजों के लिए है, वही सरकारी के लिए भी है। राज्य में 72 सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं, जिनमें से एक को भी बिहार बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। वहीं, बिहार बोर्ड का पक्ष रखते हुए प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि बोर्ड मान्यता देने के लिए नए सिरे से रेगुलेशन बना रहा है। यह काम अंतिम दौर में है। उनका कहना था कि सूबे में करीब 77 प्राइवेट टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज हैं।
अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि कोर्ट की नजर में सरकारी एवं प्राइवेट कॉलेज एक समान हैं। कोई भी कॉलेज बगैर मान्यता के नहीं चल सकता। कोर्ट ने पूछा कि बगैर मान्यता प्राप्त सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में छात्रों का नामांकन कैसे लिया गया और उनकी पढ़ाई कैसे कराई जा रही है। अदालत ने नामांकन लिए छात्रों की परीक्षा नहीं लेने का आदेश देते हुए बिहार बोर्ड को अगली तारीख पर रेगुलेशन पेश करने का आदेश दिया। साथ ही मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 10 नवंबर तय की। बता दें कि इन कॉलेजों वर्ग एक से पांच कक्षाओं में पढ़ाने के लिए एक वर्षीय डिप्लोमा इन इलिमेंटरी एडुकेशन कोर्स कराया जाता है।