राज्य ब्यूरो, पटना। सहायक प्रोफेसर नियुक्ति में सरकार ने बड़ा फैसला किया है। तय हुआ है कि नए सिरे से सहायक प्रोफेसर के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया 2016 की रिक्तियों के आधार पर प्रारंभ होगी।
इससे पहले तमाम विश्वविद्यालयों से 2016 मार्च तक हुई वैकेंसी के साथ ही आरक्षण रोस्टर क्लियर करते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के भी तमाम रिक्त पदों की जानकारी प्राप्त की जाएगी। सरकार के आदेश का पालन हुआ तो विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पद पर साढ़े तीन हजार की जगह नौ हजार पदों पर नियुक्तियां हो सकेंगी।
दूसरी ओर डोमिसाइल नीति पर अंतिम तौर पर कोई सहमति बनाने के पूर्व शिक्षा विभाग ने विधि विशेषज्ञों से सलाह मांगी है।
आरक्षण रोस्टर पर सरकार सख्त, विवि को महीने भर की मोहलत
अपने फैसले को अमल में लाने के पूर्व सरकार तमाम बिन्दुओं पर आश्वस्त होना चाहती है। मंशा साफ है कि अगली बार नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित न हो। विभाग के लिए आरक्षण रोस्टर का मसला अधिक परेशानी वाला है।
मसले के समाधान के लिए सरकार सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलसचिव को पत्र भेजने जा रही है। पत्र के मार्फत विवि से महीने भर के अंदर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के रिक्त पदों का ब्योरा लिया जाएगा।
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कुलसचिव को इस कार्य के लिए जिम्मेदार बनाया जा रहा है। कुलसचिव का दायित्व होगा कि वे रिक्त पदों की गणना करें और समय पर सूचना दें। रिक्ति की पूर्ण जानकारी मिलने के बाद ही नए सिरे से बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेजी जाएगी।
डोमिसाइल पर संशय, ली जा रही विधि विशेषज्ञों की राय
सहायक प्रोफेसर पदों की बहाली में डोमिसाइल नीति को लेकर अब भी संशय की स्थिति है। डोमिसाइल पर अंतिम रूप से कोई भी सहमति बनाने के पूर्व विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पूरे मामले को अध्ययन के लिए विधि विभाग को दिया है। विधि विशेषज्ञों की अंतिम राय प्राप्त होने के बाद ही डोमिसाइल पर अंतिम तौर पर कोई फैसला लिया जाएगा।
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बोले शिक्षा मंत्री
सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि दो महत्वपूर्ण तथ्य हैं। आरक्षण रोस्टर का क्लियर होना तथा मार्च 2016 की रिक्तियों के आधार पर नए सिरे से नियोजन प्रारंभ करना।
बुधवार को प्रेस से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि सहायक प्रोफेसर पद पर अभी जो बहाली चल रही थी वह 2013 के रिक्त पदों के आधार पर थी। अब जो प्रक्रिया प्रारंभ होगी वह 2016 की रिक्ति के आधार पर होगी।
उन्होंने दावा किया कि आजादी के बाद से अब तक राज्य के विश्वविद्यालयों ने अनुसूचित जाति-जनजाति के कोटे पर बहाली के लिए रोस्टर तैयार नहीं किया।
अगर रोस्टर तैयार कर उसका क्लियरेंस कराया गया होता तो विवि के साढ़े पांच हजार शिक्षकों में सिर्फ सौ शिक्षक एससी-एसटी कोटे से न होते। यह संख्या कहीं अधिक होती। मंत्री ने कहा नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने के पहले इस बार रोस्टर क्लियरेंस करा लिया जाएगा।
वर्ष 2013 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान भी 25 फीसदी सीटें खाली छोड़ी गई थीं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। इस बार सभी रिक्त पदों की गणना के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ होगी। मंत्री ने कहा कि बीपीएससी अब तक जो इंटरव्यू ले चुका है उनका रिजल्ट नहीं रोका जाएगा।
एक नजर में
- बीपीएससी ने अब तक आठ विषयों के लिए पूरी की इंटरव्यू प्रक्रिया
- अंग्रेजी विषय के इंटरव्यू के रिजल्ट भी प्रकाशित, बहाली होना शेष
- छह विषयों के इंटरव्यू रिजल्ट पर पटना हाईकोर्ट की है रोक
- 33 विषयों के लिए लिए जाने थे इंटरव्यू
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इससे पहले तमाम विश्वविद्यालयों से 2016 मार्च तक हुई वैकेंसी के साथ ही आरक्षण रोस्टर क्लियर करते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के भी तमाम रिक्त पदों की जानकारी प्राप्त की जाएगी। सरकार के आदेश का पालन हुआ तो विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर के पद पर साढ़े तीन हजार की जगह नौ हजार पदों पर नियुक्तियां हो सकेंगी।
दूसरी ओर डोमिसाइल नीति पर अंतिम तौर पर कोई सहमति बनाने के पूर्व शिक्षा विभाग ने विधि विशेषज्ञों से सलाह मांगी है।
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अपने फैसले को अमल में लाने के पूर्व सरकार तमाम बिन्दुओं पर आश्वस्त होना चाहती है। मंशा साफ है कि अगली बार नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित न हो। विभाग के लिए आरक्षण रोस्टर का मसला अधिक परेशानी वाला है।
मसले के समाधान के लिए सरकार सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलसचिव को पत्र भेजने जा रही है। पत्र के मार्फत विवि से महीने भर के अंदर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के रिक्त पदों का ब्योरा लिया जाएगा।
बिहार के RJD नेता के वाहनों से गोमांस की तस्करी, झारखंड में FIR दर्ज
कुलसचिव को इस कार्य के लिए जिम्मेदार बनाया जा रहा है। कुलसचिव का दायित्व होगा कि वे रिक्त पदों की गणना करें और समय पर सूचना दें। रिक्ति की पूर्ण जानकारी मिलने के बाद ही नए सिरे से बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेजी जाएगी।
डोमिसाइल पर संशय, ली जा रही विधि विशेषज्ञों की राय
सहायक प्रोफेसर पदों की बहाली में डोमिसाइल नीति को लेकर अब भी संशय की स्थिति है। डोमिसाइल पर अंतिम रूप से कोई भी सहमति बनाने के पूर्व विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है। शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने पूरे मामले को अध्ययन के लिए विधि विभाग को दिया है। विधि विशेषज्ञों की अंतिम राय प्राप्त होने के बाद ही डोमिसाइल पर अंतिम तौर पर कोई फैसला लिया जाएगा।
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सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के संबंध में शिक्षा मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने कहा कि दो महत्वपूर्ण तथ्य हैं। आरक्षण रोस्टर का क्लियर होना तथा मार्च 2016 की रिक्तियों के आधार पर नए सिरे से नियोजन प्रारंभ करना।
बुधवार को प्रेस से बात करते हुए मंत्री ने कहा कि सहायक प्रोफेसर पद पर अभी जो बहाली चल रही थी वह 2013 के रिक्त पदों के आधार पर थी। अब जो प्रक्रिया प्रारंभ होगी वह 2016 की रिक्ति के आधार पर होगी।
उन्होंने दावा किया कि आजादी के बाद से अब तक राज्य के विश्वविद्यालयों ने अनुसूचित जाति-जनजाति के कोटे पर बहाली के लिए रोस्टर तैयार नहीं किया।
अगर रोस्टर तैयार कर उसका क्लियरेंस कराया गया होता तो विवि के साढ़े पांच हजार शिक्षकों में सिर्फ सौ शिक्षक एससी-एसटी कोटे से न होते। यह संख्या कहीं अधिक होती। मंत्री ने कहा नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने के पहले इस बार रोस्टर क्लियरेंस करा लिया जाएगा।
वर्ष 2013 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान भी 25 फीसदी सीटें खाली छोड़ी गई थीं। मगर अब ऐसा नहीं होगा। इस बार सभी रिक्त पदों की गणना के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ होगी। मंत्री ने कहा कि बीपीएससी अब तक जो इंटरव्यू ले चुका है उनका रिजल्ट नहीं रोका जाएगा।
एक नजर में
- बीपीएससी ने अब तक आठ विषयों के लिए पूरी की इंटरव्यू प्रक्रिया
- अंग्रेजी विषय के इंटरव्यू के रिजल्ट भी प्रकाशित, बहाली होना शेष
- छह विषयों के इंटरव्यू रिजल्ट पर पटना हाईकोर्ट की है रोक
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