भागलपुर [बलराम मिश्र]। रिजल्ट घोटाले के सूत्रधार बच्चा राय ने 2012 और 2014 में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के एक दर्जन शिक्षकों से स्नातक की कॉपियों में अंक बढ़ाने के लिए संपर्क किया था। उसने एक कुलपति को राज बरकरार रखने के लिए 50 हजार रुपये की गड्डी थमा दी थी।
इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी यह है कि इसमें 24 हजार रुपये के जाली नोट थे। वीसी ने अपने कुछ विश्वासी लोगों को बुलाकर इस बात की चर्चा की। इसके बाद बच्चा राय को बुलाया गया और उसने बदले में दोगुनी कीमत देकर अपनी जान छुड़ाई।
पैसे के बल पर खरीदने की करता था बात
अधिकारियों व पदाधिकारियों को वह हमेशा खरीदने की बात करता था। एक शिक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कॉपी से छेड़छाड़ के लिए बच्चा ने विश्वविद्यालय के दोअधिकारियों (वर्तमान में दोनों कार्यरत) से भी संपर्क किया था। बच्चा उनके आवास पर विशुन राय कॉलेज के साइंस की कॉपी लेकर पहुंचा था। किंतु शिक्षक ने हेरफेर करने से इंकार कर दिया।
बिहार विवि की कॉपियों का नंबर बढ़वाना चाहता था
2012 में तत्कालीन कुलपति डॉ. विमल कुमार बीआरए विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के साथ टीएमबीयू के भी प्रभारी कुलपति थे। इनके कार्यकाल में टीमएबीयू की कॉपियां जांच के लिए मुजफ्फरपुर और मुजफ्फरपुर की कॉपियां भागलपुर आती थीं। इसी दौरान बच्चा राय ने अपने कॉलेज की स्नातक साइंस और कला की कापियों में छेड़छाड़ के लिए एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों से संपर्क किया था।
दाल नहीं गली तो कॉपी ही उठवा ली थी
इसमें वर्तमान में दो अधिकारी भी हैं। बच्चा राय और उसके भाई ने उक्त शिक्षक के आवास पर जाकर संपर्क किया था। बच्चा ने उक्त शिक्षक को तब चार कॉलेजों की लिस्ट पैरवी के लिए दी और कई प्रलोभन दिए। किंतु शिक्षक ने तत्काल उसे मना करते हुए वापस भेज दिया। लेकिन पैरवी के बल पर बच्चा ने उक्त शिक्षक के यहां से कॉपी ही दूसरी जगह भिजवा दी।
जब टीएमबीयू के शिक्षकों के पास बच्चा की दाल नहीं गली तो उसने तत्कालीन कई पदाधिकारियों से भी संपर्क किया। उसमें से कुछ ने बच्चा से साठगांठ भी कर ली थी किंतु विश्वविद्यालय और कॉलेजों के शिक्षकों ने गलत करने से इन्कार कर दिया था।
काम से पहले दाम थमाना आदत में
जानकार बताते हैं कि बच्चा राय कहीं भी कॉपी टेंपरिंग के लिए जाता तो काम से पहले दाम थमा देता था। इंटर में नामांकन से लेकर परीक्षाफल तक 40 से 60 हजार में वह ठेका लेता था। वहीं स्नातक में इसकी कीमत विषय के हिसाब से 15 से 25 हजार रुपये थी। रिजल्ट घोटाला का खुलासा होते ही टीएमबीयू के शिक्षकों की भौंहे तन गई हैं। वे आपस में चर्चा करते नजर आते हैं कि यदि उस समय गलत किया होता तो वे लोग भी जांच के घेरे में आ सकते थे।
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