संजय कु०द्विवेदी की ओर से आप सभी सम्माननीय शिक्षकों का क्रान्तिकारी अभिनन्दन। मित्रों वर्ष 2015 में नियोजित शिक्षकों का महाआंदोलन आपको याद होगा,
बिहार के शिक्षा इतिहास में यह पहली ऐतिहासिक घटना घटी थी।जिसमें प्राथमिक
से लेकर प्लस टू के शिक्षक समान काम समान वेतन की लडाई के लिए हडताल पर गए
थे।जिसमें सभी शिक्षक संघ एक मंच पर आए थे।
महाआंदोलन का मुद्दा था-
समान काम समान वेतन जो कि नहीं मिला।
एक और मुख्य मांग थी वेतनमान जो कि आधा- अधुरा वेतनमान मिला।
इस लडाई को कुछ दूर और ले जाया जाता तो आज हमारे बीच पूर्ण वेतनमान होता।परंतु हमारे शिक्षक नेताओं के आपसी खींचतान के कारण अधुरा वेतनमान मिला।इस बात को सभी जानते हैं।
अब आइए मुख्य मुद्दे पर आते हैं।
महाआंदोलन की लडाई में अप्रशिक्षित शिक्षकों की क्या भूमिका थी, इसे कोई भी नहीं झुठला सकता परंतु आज नजर उठाकर देखा जाए तो अप्रशिक्षित शिक्षकों को क्या मिला? यह बात भी किसी से छुपा हुआ नहीं है।
आज इस पोस्ट का मूल उद्देश्य है कि सरकार की दोहरी नीति के खिलाफ शिक्षक संघों को अवगत कराना- जैसे
1- अप्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे से दूर रखना।
2- 2010 में बहाल शिक्षकों को छोडकर बाद में टीईटी पर बहाल शिक्षकों को डायट के माध्यम से प्रशिक्षण करवाना।
इन बातों को सभी संघ जान रहे हैं फिर भी जैसे सबको सांप सूंघ गया हो।चुपचाप तमाशा देख रहे हैं।और सोंच रहे हैं कि मुझे क्या पडी इस बीच मे पडने की।यदि कोई शिक्षक संघ अप्रशिक्षितों के लिए आंदोलन करने जाते हैं तो दूसरा संघ चुप्पी साधे बैठकर उनकी कमियों को ढूंढते हैं और उनका उनका मजाक उडाते हैं।
मेरा मानना है कि जिस प्रकार अपनी मांग मनवाने के लिए अप्रशिक्षित शिक्षकों का सहारा लिया जाता है उसी प्रकार उनके हितों की बात कौन करेगा।क्या यह शिक्षक विद्यालय नहीं जाते हैं, क्या यह पठन पाठन कार्य को अंजाम नहीं देते। क्या इनके पास परिवार नहीं होता है?यदि हाँ तो वेतन में इतनी असमानता क्यों?
अतः अंत में मैं सभी शिक्षक संघों से यही कहना चाहता हूं कि यदि आप अप्रशिक्षित शिक्षकों के हमदर्द हैं तो सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आप आवाज बुलंद कर आप सभी डायट में तालाबंदी करवाकर सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण कराएं।और ग्रेड पे के लिए आंदोलन का बिगुल एक साथ बजाएं।
वरना यही समझा जाएगा कि सभी शिक्षक संघ सिर्फ और सिर्फ अपने जरूरत के लिए अप्रशिक्षितों को इस्तेमाल करती है।
धन्यवाद।
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महाआंदोलन का मुद्दा था-
समान काम समान वेतन जो कि नहीं मिला।
एक और मुख्य मांग थी वेतनमान जो कि आधा- अधुरा वेतनमान मिला।
इस लडाई को कुछ दूर और ले जाया जाता तो आज हमारे बीच पूर्ण वेतनमान होता।परंतु हमारे शिक्षक नेताओं के आपसी खींचतान के कारण अधुरा वेतनमान मिला।इस बात को सभी जानते हैं।
अब आइए मुख्य मुद्दे पर आते हैं।
महाआंदोलन की लडाई में अप्रशिक्षित शिक्षकों की क्या भूमिका थी, इसे कोई भी नहीं झुठला सकता परंतु आज नजर उठाकर देखा जाए तो अप्रशिक्षित शिक्षकों को क्या मिला? यह बात भी किसी से छुपा हुआ नहीं है।
आज इस पोस्ट का मूल उद्देश्य है कि सरकार की दोहरी नीति के खिलाफ शिक्षक संघों को अवगत कराना- जैसे
1- अप्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे से दूर रखना।
2- 2010 में बहाल शिक्षकों को छोडकर बाद में टीईटी पर बहाल शिक्षकों को डायट के माध्यम से प्रशिक्षण करवाना।
इन बातों को सभी संघ जान रहे हैं फिर भी जैसे सबको सांप सूंघ गया हो।चुपचाप तमाशा देख रहे हैं।और सोंच रहे हैं कि मुझे क्या पडी इस बीच मे पडने की।यदि कोई शिक्षक संघ अप्रशिक्षितों के लिए आंदोलन करने जाते हैं तो दूसरा संघ चुप्पी साधे बैठकर उनकी कमियों को ढूंढते हैं और उनका उनका मजाक उडाते हैं।
मेरा मानना है कि जिस प्रकार अपनी मांग मनवाने के लिए अप्रशिक्षित शिक्षकों का सहारा लिया जाता है उसी प्रकार उनके हितों की बात कौन करेगा।क्या यह शिक्षक विद्यालय नहीं जाते हैं, क्या यह पठन पाठन कार्य को अंजाम नहीं देते। क्या इनके पास परिवार नहीं होता है?यदि हाँ तो वेतन में इतनी असमानता क्यों?
अतः अंत में मैं सभी शिक्षक संघों से यही कहना चाहता हूं कि यदि आप अप्रशिक्षित शिक्षकों के हमदर्द हैं तो सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आप आवाज बुलंद कर आप सभी डायट में तालाबंदी करवाकर सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण कराएं।और ग्रेड पे के लिए आंदोलन का बिगुल एक साथ बजाएं।
वरना यही समझा जाएगा कि सभी शिक्षक संघ सिर्फ और सिर्फ अपने जरूरत के लिए अप्रशिक्षितों को इस्तेमाल करती है।
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