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कागजों तक ही सिमटा अतिरिक्त कक्षा

सुपौल : शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए शिक्षा विभाग ने पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए अतिरिक्त पढ़ाई की व्यवस्था की। इसके तहत विद्यालय समय के बाद ऐसे बच्चों के लिये एक घंटा का अतिरिक्त वर्ग कक्षा चलानी है। परन्तु जिले में विभाग की यह महत्वाकांक्षी सोच उदासीनता की भेंट चढ़ चुका है।
स्थिति ऐसी है कि अधिकांश विद्यालयों में न पढ़ाई में कमजोर बच्चों की सूची उपलब्ध है और न ही अतिरिक्त कक्षा के तहत पढ़ाई की जाती है। बच्चों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विकसित करने के उद्देश्य से वर्ग कक्षा में पढ़ाई में कमजोर चल रहे बच्चों को चिन्हित कर विद्यालय अवधि के बाद एक घंटा का अतिरिक्त कक्षा सजाना था। बांकी बचे बच्चे को छुट्टी दे देनी थी। कमजोर बच्चों को चिन्हित करने के क्रम में वह किस विषय में कमजोर है, उन्हें भी अंकित करना था। उस हिसाब से विषयवार शिक्षकों को यह अतिरिक्त कक्षा संचालन करने का प्रबंध विद्यालय के प्रधान को करने का आदेश प्राप्त था। ताकि वे कमजोर बच्चे भी वर्ग कक्षा में अन्य बच्चे की तरह अपनी पढ़ाई कर सके तथा उन्हें पढ़ाई बोझ न लगे। परन्तु सरकार की इस योजना की हालत ऐसी बनी है कि विद्यालय समय के साथ ही सभी बच्चों को एक साथ छुट्टी दे दी जाती है। वर्तमान में विद्यालय संचालन 6.30 बजे से 11.30 बजे तक का है। लेकिन 11.30 बजे के बाद विद्यालयों में बच्चे व शिक्षक खोजने से भी नहीं मिल रहे हैं। मतलब यह है कि ऐसे विद्यालयों में या तो कमजोर बच्चे हैं ही नहीं या हैं तो फिर अतिरिक्त कक्षा चलाई ही नहीं जाती है। यदि विभाग के आंकड़ों पर यकीन करें तो पिछले सत्र में कक्षा 7 में जिले में 6923 बच्चे को पढ़ाई में कमजोर बच्चे के रूप में चिन्हित किया गया था। जिन्हें अतिरिक्त कक्षा के माध्यम से पढ़ाई करवानी थी। इसी क्रम में शुक्रवार को जागरण ने जब कुछ विद्यालयों का पड़ताल किया तो यह बात खुलकर सामने आयी कि कमजोर बच्चे रहने के बावजूद भी अतिरिक्त कक्षा सिर्फ कागजों पर संचालित होती है। किसी-किसी विद्यालयों में तो प्रधान व शिक्षक को यह भी पता नहीं था कि इस तरह के आदेश उन्हें प्राप्त है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक प्रधान ने बताया कि विद्यालय में कमजोर बच्चे हैं, एक तो छुट्टी होने के बाद ऐसे बच्चे रूकते ही नहीं हैं और उपर से शिक्षक भी इस अतिरिक्त कक्षा में अपनी रूचि नहीं दिखाते हैं।
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'पढ़ाई में कमजोर बच्चे को एक घंटा का अतिरिक्त कक्षा लेकर उन्हें अन्य बच्चों के बराबरी में लाना है। इसके तहत बच्चों की सूची व विषयवार शिक्षकों की सूची भी प्रधान के पास उपलब्ध रहती है। बावजूद यदि अतिरिक्त कक्षा का संचालन नहीं किया जा रहा है तो ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी और इस जवाबदेही से प्रधान भी नहीं मुकर सकते।'
-मो. जाहिद हुसैन

जिला शिक्षा पदाधिकारी
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