जागरण संवाददाता, हाजीपुर : सरकारी सेवकों के वेतन वृद्धि के लिए सरकार
ने नियम-कानून बना रखा है। वेतन वृद्धि को लेकर राज्य सरकार समय-समय पर यह
फैसला लेती है। वित्त विभाग के निर्देश के आलोक में सरकारी सेवकों की वेतन
वृद्धि होती है। ठीक इसके विपरीत हाजीपुर में एक अधिकारी ने निर्देशों के
खिलाफ
अधिक वेतन वृद्धि ले ली। वह भी खुद के हस्ताक्षर से। अधिकारी ने खुद की कलम से वेतन वृद्धि कर ढाई लाख रुपए की अधिक निकासी कर ली। अधिकारी की कारगुजारियों की दास्तान इतने तक ही सीमित नहीं है। कई अन्य वित्तीय अनियमितता एवं गड़बड़ी का मामला उनके खिलाफ सामने आया है। मामला प्रकाश में आने के बाद डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए वैशाली के उप विकास आयुक्त को जांच का आदेश दिया है। डीएम रचना पाटिल ने जिस जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्ध जांच को डीडीसी को आदेश दिया है, उस जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्ध पूर्वी चंपारण मोतिहारी के डीएम ने बीते 28 मई 2015 को वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए प्रपत्र क गठित कर विभागीय कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा था।
मालूम हो कि जिला कल्याण पदाधिकारी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए विभागीय लिपिक हरिनंदन प्रसाद यादव ने डीएम, डीडीसी, एडीएम, उप निदेशक तिरहुत प्रमंडल, निदेशक व सचिव अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग, पटना बिहार को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। पत्र के साथ वित्तीय अनियमितता से जुड़े कागजातों की छायाप्रति भी संलग्न की गई थी। आवेदन में आरोप है कि जिला कल्याण पदाधिकारी पूर्वी चंपारण से स्थानांतरित होने के बाद यहां आते समय एलसीपी में नियम के विरुद्ध खुद ही वेतन निर्धारित कर लिया। साथ ही एलसीपी निर्गत करने के उपरांत स्वयं कंडिका 5 जोड़ दिया। इतना ही नहीं कोषागार से आपत्ति के बावजूद 31 मार्च के राशि की निकासी कर ली गई। जिला कल्याण पदाधिकारी पर एलसीपी, कंडिका 5 व सेवा पुस्त में कई गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है।
जिला कल्याण पदाधिकारी पर जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा से 23 मार्च, 6 अप्रैल 2016 के माध्यम से कल्याण पदाधिकारी के रोकड़ पर जिला कल्याण पदाधिकारी का हस्ताक्षर नहीं होने, सात माह बीते के बावजूद रोकड़ पंजी पर हस्ताक्षर न करना, मेधावृति छात्रवृति मद में आवंटन के बावजूद 50 प्रतिशत छात्रों के खाते में भुगतान न करने, एडवाइस पर हस्ताक्षरण नहीं करने के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की गई थी। साथ ही 24 घंटे के अंदर संबंधित नाजीर अभय कुमार व राजकीय आवासीय बालिका उच्च विद्यालय में कार्यालय कार्य में लगे शिक्षक संतोष शरण को कार्यालय से मुक्त करने का निर्देश दिया गया था लेकिन 20 दिन बाद भी नाजीर व शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन पर वेतन मद में आवंटन होने के बावजूद 31 मार्च को कार्यालय परिचारी रामरंग को वेतन नहीं दिया गया व वेतन की राशि विभाग को वापस भेज दी। साथ ही दरभंगा से विरमित होने करने वाले कर्मी को जिला कल्याण समस्तीपुर से प्राप्त अंतिम वेतन प्रमाणपत्र के आधार पर लगभग 16 लाख रुपये की निकासी कर ली गयी। जिला कल्याण पदाधिकारी पर अनुसूचित जाति-जनजाति आवासीय विद्यालय में बिना टेंडर के ही पंखे व दी की खरीद एक दुकान से करने, पीतल के बॉक्स की जगह टीन का बॉक्स आपूर्ति करने के अलावे कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं।
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अधिक वेतन वृद्धि ले ली। वह भी खुद के हस्ताक्षर से। अधिकारी ने खुद की कलम से वेतन वृद्धि कर ढाई लाख रुपए की अधिक निकासी कर ली। अधिकारी की कारगुजारियों की दास्तान इतने तक ही सीमित नहीं है। कई अन्य वित्तीय अनियमितता एवं गड़बड़ी का मामला उनके खिलाफ सामने आया है। मामला प्रकाश में आने के बाद डीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए वैशाली के उप विकास आयुक्त को जांच का आदेश दिया है। डीएम रचना पाटिल ने जिस जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्ध जांच को डीडीसी को आदेश दिया है, उस जिला कल्याण पदाधिकारी के विरुद्ध पूर्वी चंपारण मोतिहारी के डीएम ने बीते 28 मई 2015 को वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए प्रपत्र क गठित कर विभागीय कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा था।
मालूम हो कि जिला कल्याण पदाधिकारी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए विभागीय लिपिक हरिनंदन प्रसाद यादव ने डीएम, डीडीसी, एडीएम, उप निदेशक तिरहुत प्रमंडल, निदेशक व सचिव अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग, पटना बिहार को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी। पत्र के साथ वित्तीय अनियमितता से जुड़े कागजातों की छायाप्रति भी संलग्न की गई थी। आवेदन में आरोप है कि जिला कल्याण पदाधिकारी पूर्वी चंपारण से स्थानांतरित होने के बाद यहां आते समय एलसीपी में नियम के विरुद्ध खुद ही वेतन निर्धारित कर लिया। साथ ही एलसीपी निर्गत करने के उपरांत स्वयं कंडिका 5 जोड़ दिया। इतना ही नहीं कोषागार से आपत्ति के बावजूद 31 मार्च के राशि की निकासी कर ली गई। जिला कल्याण पदाधिकारी पर एलसीपी, कंडिका 5 व सेवा पुस्त में कई गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है।
जिला कल्याण पदाधिकारी पर जिला पदाधिकारी के गोपनीय शाखा से 23 मार्च, 6 अप्रैल 2016 के माध्यम से कल्याण पदाधिकारी के रोकड़ पर जिला कल्याण पदाधिकारी का हस्ताक्षर नहीं होने, सात माह बीते के बावजूद रोकड़ पंजी पर हस्ताक्षर न करना, मेधावृति छात्रवृति मद में आवंटन के बावजूद 50 प्रतिशत छात्रों के खाते में भुगतान न करने, एडवाइस पर हस्ताक्षरण नहीं करने के संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की गई थी। साथ ही 24 घंटे के अंदर संबंधित नाजीर अभय कुमार व राजकीय आवासीय बालिका उच्च विद्यालय में कार्यालय कार्य में लगे शिक्षक संतोष शरण को कार्यालय से मुक्त करने का निर्देश दिया गया था लेकिन 20 दिन बाद भी नाजीर व शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं उन पर वेतन मद में आवंटन होने के बावजूद 31 मार्च को कार्यालय परिचारी रामरंग को वेतन नहीं दिया गया व वेतन की राशि विभाग को वापस भेज दी। साथ ही दरभंगा से विरमित होने करने वाले कर्मी को जिला कल्याण समस्तीपुर से प्राप्त अंतिम वेतन प्रमाणपत्र के आधार पर लगभग 16 लाख रुपये की निकासी कर ली गयी। जिला कल्याण पदाधिकारी पर अनुसूचित जाति-जनजाति आवासीय विद्यालय में बिना टेंडर के ही पंखे व दी की खरीद एक दुकान से करने, पीतल के बॉक्स की जगह टीन का बॉक्स आपूर्ति करने के अलावे कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं।
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