कैमूर। जिला मुख्यालय स्थित आदर्श इंटरस्तरीय टाउन हाई स्कूल में भूगोल
सहित अन्य विषयों के शिक्षकों का जहां भारी अभाव है वहीं कार्यालयी कार्य
लिपिकों की जगह शिक्षक निपटा रहे हैं। ऐसे में विचारणीय प्रश्न है कि
विद्यालय किन अर्थो में आदर्श है। न विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक हैं
और न लिपिकीय कार्य के लिए किरानी। इस संबंध में जानकारी देते हुए विद्यालय
के प्रधानाचार्य बनारसी ठाकुर ने बताया कि विद्यालय में इंटर तक की पठन
पाठन की सुविधा है।
जिसमें से इंटर आर्टस के लिए 328 सीटें (कला), साइंस 328 सीटें निर्धारित है। जबकि हाई स्कूल के लिए दसवीं में 566 और नौवीं में 420 सीटों का निर्धारण है। इंटर के बच्चों को पढ़ाये जाने के लिए 32 शिक्षकों के पद सृजित है। लेकिन वर्तमान समय में दस शिक्षकों के सहारे बच्चों की पढ़ाई का कार्य हो रहा है। वहीं दसवीं में 23 शिक्षकों की जगह मात्र सोलह शिक्षक पठन पाठन का कार्य करा रहे है। जिससे शिक्षक व छात्र दोनों को संबंधित पाठ्यक्रम को पूरा कराने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पूछे जाने पर प्रधानाचार्य श्री ठाकुर ने कहा कि विद्यालय में 250 छात्र भूगोल विषय लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन काफी समय से भूगोल अर्थशास्त्र व उर्दू विषय के शिक्षक हीं नहीं है। इसी तरह हाई स्कूल में भी उर्दू, गणित व विज्ञान विषय के शिक्षकों का ना होना है। प्रधानाचार्य ने कहा कि विद्यालय में लगभग 25 प्रतिशत उर्दू विषय की पढ़ाई करने वाले है। लेकिन लगभग तीन- चार वर्षो से विद्यालय में एक भी उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री ठाकुर ने कहा कि विद्यालय में कार्यालयी कार्य को निपटाने के लिए चार लिपिकों के पद सृजित है। जिनमें से वर्तमान समय में केवल एक क्लर्क के सहारे काम हो रहा है। तीन पद रिक्त है। कार्यालयी कार्य को शिक्षक शिक्षण कार्य के साथ साथ कर रहे है।
क्या कहते हैं छात्र - विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र बिरेन्द्र कुमार, धीरेन्द्र कुमार, विनोद कुमार ने कहा कि संबंधित विषय के शिक्षक नहीं होने के चलते मजबूरी वश कोचिंग व प्राइवेट ट्यूशन करने को विवश है। बच्चों ने कहा कि हमलोगों के माता पिता कोचिंग व प्राइवेट ट्यूशन के नाम पर फीस के अलावा अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी -
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए शिक्षकों का नियोजन किया गया। लेकिन नियुक्त शिक्षकों ने योगदान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा। शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य के प्रति पूर्ण रूप से सचेत है।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
जिसमें से इंटर आर्टस के लिए 328 सीटें (कला), साइंस 328 सीटें निर्धारित है। जबकि हाई स्कूल के लिए दसवीं में 566 और नौवीं में 420 सीटों का निर्धारण है। इंटर के बच्चों को पढ़ाये जाने के लिए 32 शिक्षकों के पद सृजित है। लेकिन वर्तमान समय में दस शिक्षकों के सहारे बच्चों की पढ़ाई का कार्य हो रहा है। वहीं दसवीं में 23 शिक्षकों की जगह मात्र सोलह शिक्षक पठन पाठन का कार्य करा रहे है। जिससे शिक्षक व छात्र दोनों को संबंधित पाठ्यक्रम को पूरा कराने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पूछे जाने पर प्रधानाचार्य श्री ठाकुर ने कहा कि विद्यालय में 250 छात्र भूगोल विषय लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन काफी समय से भूगोल अर्थशास्त्र व उर्दू विषय के शिक्षक हीं नहीं है। इसी तरह हाई स्कूल में भी उर्दू, गणित व विज्ञान विषय के शिक्षकों का ना होना है। प्रधानाचार्य ने कहा कि विद्यालय में लगभग 25 प्रतिशत उर्दू विषय की पढ़ाई करने वाले है। लेकिन लगभग तीन- चार वर्षो से विद्यालय में एक भी उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है। विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री ठाकुर ने कहा कि विद्यालय में कार्यालयी कार्य को निपटाने के लिए चार लिपिकों के पद सृजित है। जिनमें से वर्तमान समय में केवल एक क्लर्क के सहारे काम हो रहा है। तीन पद रिक्त है। कार्यालयी कार्य को शिक्षक शिक्षण कार्य के साथ साथ कर रहे है।
क्या कहते हैं छात्र - विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र बिरेन्द्र कुमार, धीरेन्द्र कुमार, विनोद कुमार ने कहा कि संबंधित विषय के शिक्षक नहीं होने के चलते मजबूरी वश कोचिंग व प्राइवेट ट्यूशन करने को विवश है। बच्चों ने कहा कि हमलोगों के माता पिता कोचिंग व प्राइवेट ट्यूशन के नाम पर फीस के अलावा अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी -
इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए शिक्षकों का नियोजन किया गया। लेकिन नियुक्त शिक्षकों ने योगदान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा। शिक्षा विभाग बच्चों के भविष्य के प्रति पूर्ण रूप से सचेत है।
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