सुपौल। शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की कार्यशैली, मनमानी और लापरवाही
के कारण जिले में छठे चरण के लगभग 2300 रिक्त प्रारंभिक शिक्षक के नियोजन
पर ग्रहण लग गया है। राज्यपाल के आदेश से बिहार सरकार शिक्षा विभाग द्वारा
नियोजन हेतु संशोधित समय तालिका सुपौल जिले में विफल हो गया है।
जिले के 195 नियोजन इकाईयों द्वारा नियोजन हेतु रिक्ति की सूचना का प्रकाशन नहीं किए जाने के कारण आवेदक फार्म भरकर जमा करने हेतु विगत एक सप्ताह से शिक्षा विभाग एवं नियोजन इकाई के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। भ्रष्टाचामुक्त जागरूकता अभियान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पटना के समक्ष एक परिवाद दाखिल कर दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए अविलंब नियोजन हेतु सूचना प्रकाशित कराने का अनुरोध किया है। भ्रष्टाचारमुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह ने परिवाद में कहा है कि शिक्षा विभाग के उपसचिव ने अधिसूचना संख्या 1098 दिनांक 22 अगस्त 2019 जारी कर दूसरी बार नियोजन हेतु संशोधित समय तालिका निर्धारित किया है। सरकार द्वारा निर्गत आदेश के अनुसार जिला द्वारा रोस्टर का अनुमोदन एवं नियोजन इकाईयों को प्रेषण की अंतिम तिथि 9 सितंबर 2019, सभी नियोजन इकाईयों द्वारा नियोजन हेतु सूचना प्रकाशन की अंतिम तिथि 13 सितंबर 2019 तथा आवेदन पत्र प्राप्ति की तिथि 18 सितंबर से 17 अक्टूबर तक निर्धारित है। लेकिन सुपौल जिला में पदाधिकारियों के द्वारा सरकार के द्वारा निर्धारित तालिका को विफल कर दिया गया है। अब तक रोस्टर का अनुमोदन भी नहीं किया गया है। आवेदक ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक नियोजन के प्रथम चरण से लेकर पांचवें चरण में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। जिसके कारण सुपौल जिले में निगरानी एवं विभाग के द्वारा जले के कई नियोजन इकाई पर मुकदमा दर्ज है। निगरानी अन्वेंशन ब्यूरो ने शिक्षक नियोजन के नोडल पदाधिकारी सह नियोजन इकाई के कई सचिव, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मुखिया एवं पंचायत सचिव पर थाना में मुकदमा दर्ज किया है। कई नियोजन इकाई से शिक्षण नियोजन का अभिलेख ही गायब है। कई नियोजन इकाई के सचिव एवं फर्जी प्रमाण पत्र लगाने वाले अभ्यर्थी जेल भी जा चुके हैं।
आवेदक ने दायर परिवाद में कहा है कि सभी नियोजन इकाई द्वारा नियोजन हेतु सूचना प्रकाशन की अंतिम तिथि 13 सितंबर के 15 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक सूचना का प्रकाशन नहीं किया गया है। जबकि आवेदन लेने की तिथि 18 सितंबर का भी दस बीत चुका है।
जिले के 195 नियोजन इकाईयों द्वारा नियोजन हेतु रिक्ति की सूचना का प्रकाशन नहीं किए जाने के कारण आवेदक फार्म भरकर जमा करने हेतु विगत एक सप्ताह से शिक्षा विभाग एवं नियोजन इकाई के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। भ्रष्टाचामुक्त जागरूकता अभियान ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पटना के समक्ष एक परिवाद दाखिल कर दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए अविलंब नियोजन हेतु सूचना प्रकाशित कराने का अनुरोध किया है। भ्रष्टाचारमुक्त जागरूकता अभियान के अनिल कुमार सिंह ने परिवाद में कहा है कि शिक्षा विभाग के उपसचिव ने अधिसूचना संख्या 1098 दिनांक 22 अगस्त 2019 जारी कर दूसरी बार नियोजन हेतु संशोधित समय तालिका निर्धारित किया है। सरकार द्वारा निर्गत आदेश के अनुसार जिला द्वारा रोस्टर का अनुमोदन एवं नियोजन इकाईयों को प्रेषण की अंतिम तिथि 9 सितंबर 2019, सभी नियोजन इकाईयों द्वारा नियोजन हेतु सूचना प्रकाशन की अंतिम तिथि 13 सितंबर 2019 तथा आवेदन पत्र प्राप्ति की तिथि 18 सितंबर से 17 अक्टूबर तक निर्धारित है। लेकिन सुपौल जिला में पदाधिकारियों के द्वारा सरकार के द्वारा निर्धारित तालिका को विफल कर दिया गया है। अब तक रोस्टर का अनुमोदन भी नहीं किया गया है। आवेदक ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक नियोजन के प्रथम चरण से लेकर पांचवें चरण में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। जिसके कारण सुपौल जिले में निगरानी एवं विभाग के द्वारा जले के कई नियोजन इकाई पर मुकदमा दर्ज है। निगरानी अन्वेंशन ब्यूरो ने शिक्षक नियोजन के नोडल पदाधिकारी सह नियोजन इकाई के कई सचिव, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मुखिया एवं पंचायत सचिव पर थाना में मुकदमा दर्ज किया है। कई नियोजन इकाई से शिक्षण नियोजन का अभिलेख ही गायब है। कई नियोजन इकाई के सचिव एवं फर्जी प्रमाण पत्र लगाने वाले अभ्यर्थी जेल भी जा चुके हैं।
आवेदक ने दायर परिवाद में कहा है कि सभी नियोजन इकाई द्वारा नियोजन हेतु सूचना प्रकाशन की अंतिम तिथि 13 सितंबर के 15 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक सूचना का प्रकाशन नहीं किया गया है। जबकि आवेदन लेने की तिथि 18 सितंबर का भी दस बीत चुका है।