प्रदेश
के मूक बधिर बच्चों को उनके मां-बाप बहुत उम्मीद के साथ बेहतर शिक्षा
ग्रहण करने के लिए राजकीय मूक-बधिर मध्य विद्यालय महेंद्रू में भेजते हैं।
समाज कल्याण विभाग के सामाजिक सुरक्षा एवं नि:शक्ता निदेशालय की ओर से चलने
वाले इस विद्यालय में महज दो संविदा शिक्षकों के भरोसे 50 बच्चे हैं।
यह
दोनों विशेष शिक्षक कहलाते हैं। छह वर्ष से इन शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी
नहीं हुआ है। इस स्कूल के छात्रों ने शतरंज में नेशनल स्तर पर अपनी स्कूल
को पहचान भी दिलाई है। इस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ही कमरा है।
जल्द ही 10वीं तक होगी पढ़ाई : स्कूल में अभी वर्ग आठवीं तक की पढ़ाई
होती है। लेकिन जल्द ही 10वीं तक की पढ़ाई शुरू होगी। स्कूल में कमरे उपलब्ध
नहीं होने से परेशानी बढ़ेगी। वहीं स्कूल का चपरासी दिव्यांग है। स्कूल में
बच्चों के बीमार होने के बाद उन्हें अस्पताल तक पहुंचाने और स्कूल की
सुरक्षा की जिम्मेदारी इनके ही सहारे है। ये व्हील चेयर पर स्कूल आते हैं।
महेंद्रू के राजकीय मूक-बधिर मध्य विद्यालय
41:35 रुपए में बच्चों को देना होता है खाना
प्रदेश के सभी जिलों से आने वाले बच्चों को पढ़ाई और पोशाक, जूते
एवं पाठ्य सामग्री सभी नि:शुल्क है। सरकार की ओर से प्रतिदिन 41 रुपए 35
पैसे में बच्चों को खाना देना होता है। खाना सप्लाई करने वाले को भी आठ माह
से पैसे का भुगतान नहीं किया गया है। स्कूल प्रशासन को 15 दिन का समय देकर
बिजली सप्लाई चालू की गई है। मोटर जला होने से बाहर से पानी लाना पड़ रहा
है। प्राचार्य सुबीर बनर्जी ने कहा कि सहायक निदेशक जिला सामाजिक सुरक्षा
कोषांग के नहीं होने से समस्या आ रही है। विभाग को लिखा गया है।
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