केंद्र
सरकार, बिहार के 3.50 लाख नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के
मामले में कंप्रेहेसिव स्कीम लाएगी। सरकार ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान
सुप्रीम कोर्ट में यह बात कही। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से कहा कि वह
नियोजित शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाने पर विचार करे।
अटार्नी जनरल के.
के. वेणुगोपाल ने इस बारे में व्यापक हलफनामा देने के लिए 4 हफ्ते का समय
मांगा। कोर्ट ने इस स्वीकार कर लिया। अंतिम सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
जस्टिस आदर्श कुमार गोयल एवं जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की खंडपीठ के सामने
केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल पेश हुए। कोर्ट ने वेतन वृद्धि के बारे में
पूछा। अंतत: अटार्नी जनरल ने कंप्रेहेसिव स्कीम पेश करने की बात कही।
सुप्रीम कोर्ट सरकार से पूछ चुका है कि शिक्षकों को पानी पिलाने वाले
चपरासी को 36 हजार और छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को 26 हजार
रुपए वेतन क्यों? 29 जनवरी को सरकार ने बताया कि समान काम के बदले समान
वेतन देने से खजाने पर प्रतिवर्ष 28 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
एरियर देने में 52 हजार करोड़ खर्च होंगे।
केंद्र ने कहा-कोर्ट का फैसला पूरे देश पर लागू होगा इसलिए तुरंत कुछ नहीं कह सकते, जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का मांगा वक्त
कोर्ट ने कहा कि वेतन बढ़ाने की जानकारी पर हलफनामा दें। अटार्नी
जनरल का कहना था कि हम तुरंत हलफनामा नहीं दे सकते हैं। चूंकि इसका प्रभाव
दूसरे राज्यों के ऐसे मामलों पर पड़ेगा। अगर वह अपने आदेश को सिर्फ बिहार तक
सीमित रखे, तो फौरी तौर पर हलफनामा दिया जा सकता है। कोर्ट ने कहा-फैसले
को एक राज्य भर तक सीमित रखना संभव नहीं है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने
केंद्र और राज्य सरकार से इस मसले के समाधान का उपाय तय कर बताने को कहा
था। तब सरकार ने वेतन में 20 % बढ़ोतरी की बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि
अगर 20 फीसदी वृद्धि भी कर दी जाए, तब भी इन शिक्षकों का वेतन चपरासी से भी
कम होगा। कोर्ट ने कहा कि अगर वेतन में 40 % बढ़ोतरी की जाए, तो फैसले पर
विचार किया जा सकता है।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सु्प्रीम कोर्ट गई है राज्य सरकार
नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन देने के हाईकोर्ट
के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सु्प्रीम कोर्ट गई है। 29 जनवरी को सुप्रीम
कोर्ट ने मुख्य सचिव स्तर के तीन अधिकारियों की कमेटी बनाकर यह बताने का
कहा था कि कितना वेतन बढ़ा सकते हैं?
इधर, नीतीश बोले-जल्द सुलझेगा उर्दू अभ्यर्थियों की नियुक्ति का मामला, 4-5 को होगी बैठक
पटना | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि टीईटी विवाद में फंसे
उर्दू अभ्यर्थियों की समस्या का जल्द निपटारा होगा। वे मंगलवार को पूर्व
विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर की जयंती के मौके पर आयोजित उर्दू दिवस समारोह
को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा-उर्दू शिक्षकों की बहाली तो अब तक हो
जानी चाहिए थी। मेरे सामने बार-बार यह मांग होती रहती है। यह सुनकर अच्छा
नहीं लगता है। 4 या 5 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास में बैठक बुलाकर इस मामले
का समाधान किया जाएगा। यह मेरा ही आइडिया था कि हर स्कूल में कम से कम एक
उर्दू शिक्षक हों। इस मामले का रास्ता जरूर निकाला जाएगा। गौरतलब है कि
राज्य में 27 हजार उर्दू शिक्षकों की बहाली होनी थी। इसमें से 12 हजार
उम्मीदवारों का मामला टीईटी में फंस गया। प्रो. गुलाम गौस ने इनकी बहाली
कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया। उनके अनुसार, राजस्थान सरकार ने 30%
कट ऑफ मार्क्स कम करके उर्दू शिक्षकों की बहाली की। -पढ़ें पेज 6 भी
वेतन में 20 से 30% तक बढ़ोतरी के लिए तैयार है बिहार सरकार
पिछली सुनवाई में कोर्ट के आदेश के मद्देनजर केंद्र और राज्य
सरकार के उच्चाधिकारियों के बीच बैठक हुई थी, लेकिन केंद्र ने वेतन के लिए
अधिक राशि देने से मना कर दिया। हालांकि राज्य सरकार 20 से 30 प्रतिशत तक
वेतन बढ़ोतरी पर सहमत है। यह 7वें वेतन आयोग से मिले लाभ के अतिरिक्त होगा।
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