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बिहार के संविदा शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, 40 फीसदी बढ़ेगा वेतन

पटना : बिहार में नियोजित शिक्षकों को आज सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली । समान कार्य के बदले समान वेतन के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को शिक्षकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ाने का आदेश दिया। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि बिहार के शिक्षकों का वेतन बढ़ता है तो अन्य राज्य से भी ऐसी मांग उठेगी।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून में जरुरी संशोधन के लिए चार हफ्ते का समय दिया है । मामले की अगली सुनवाई अब 12 जुलाई को होगी।
यह था मामला
बिहार में करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षकों के वेतन का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती है। वर्तमान में इन नियोजित शिक्षकों को 15 से 20 हजार रुपए वेतन मिलता है। अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांग मान ली जाती है तो शिक्षकों का वेतन 35 से 44 हजार रुपए हो जाएगा। शिक्षकों का आरोप है की यह वेतन भी उन्हें नियमित नहीं दिया जाता है । अक्सर वेतन दो से चार महीने की देरी से मिलता है। बिहार में लगभग तीन लाख 69 हजार नियोजित शिक्षकों की निगाहें आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई थीं। इससे पहले पटना उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर को नियोजित शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए राज्य सरकार को समान काम के लिए समान वेतन लागू करने का आदेश दिया था। लेकिन फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में चली गई थी।
चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का वेतन टीचर्स से ज्यादा क्यों ?
नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था जब चपरासी को 36 हजार रुपए वेतन दे रहे हैं, तो फिर छात्रों का भविष्य बनाने वाले शिक्षकों को मात्र 26 हजार ही क्यों? इसके पहले 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर राज्य सरकार को झटका दिया था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर पटना हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर विचार करने के लिए कहा था।
राबड़ी सरकार के दौरान शुरू हुई थी नियोजन प्रक्रिया
शिक्षकों की नियोजन की प्रक्रिया साल 2003 में राबड़ी देवी सरकार के दौरान शुरू हुई । उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था इन्हें केवल 1500 रुपये मिलते थे। एक जुलाई 2006 को नीतीश कुमार की सरकार में सभी शिक्षामित्रों को पंचायत और प्रखंड शिक्षक के तौर पर समायोजित किया । यह नीतीश कुमार का चुनावी वादा भी था।
सरकार के पास नहीं हैं पैसा
बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने शिक्षकों को समान कार्य के बदले समान वेतन देने के मुद्दे पर कहा कि राज्य सरकार के पास इसके लिए पैसा नहीं है। अगर नियोजित शिक्षकों को समान वेतन दिया जाता है तो शिक्षा विभाग का पूरा बजट खत्म होने पर भी पैसा घट जाएगा। बिहार सरकार शिक्षकों को 20 फीसदी अधिक वेतन देने को तैयार है, लेकिन इसके लिए उन्हें एक परीक्षा पास करनी पड़ेगी। सरकार साल में दो बार परीक्षा आयोजित करेगी। जो टीचर परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिलेगा ।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नियोजित शिक्षकों का वेतन ढ़ाई गुना बढ़ जाएगा और इस तरह सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

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