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अंकपत्र में खेले खेल, प्रवेश पत्र में हो गए फेल

बक्सर। जिले के ब्रह्मपुर प्रखंड में वर्ष 2015 में हुई शिक्षकों की बहाली में बड़ा खेल हुआ है और इसका सही खुलासा तभी होगा जब विभाग शिक्षकों के प्रवेश पत्रों की जांच कराएगा।
प्रवेश पत्रों की जांच से सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। विभाग को चाहिए कि वह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से उन शिक्षकों के प्रवेश पत्रों की जांच कराए और उसके बाद जिनकी बहाली नियमानुसार हुई हो उन्हें वेतन भुगतान करे और शेष शिक्षकों की बहाली को रद करते हुए उन पर कार्रवाई करे।
असल में, टीईटी के एक अंकपत्र पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में दर्जनों शिक्षक नौकरी कर रहे हैं। अपने जिले में भी यह मामला केवल ब्रह्मपुर तक सीमित नहीं है। ऐसे मामले में हर प्रखंड में मिल जाएंगे। क्योंकि, शिक्षकों की बहाली में फर्जीवाड़ा हर जगह हुआ है। फिलहाल ब्रह्मपुर का मामला विभाग के सामने है और वहां के शिक्षकों का भी वेतन बंद है तो ऐसे में विभाग को आगे बढ़कर शिक्षकों के प्रवेश पत्रों की जांच करानी चाहिए। ताकि, दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। परंतु, विभाग ऐसा नहीं कर रहा है। ऐसे में वेतन से वंचित वाजिब शिक्षकों में आक्रोश पनप रहा है। जिला शिक्षा पदाधिकारी कहते हैं जांच की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन वह किस तरीके से जांच कर रहे हैं यह समझ से परे है।
कैसे हुआ है फर्जीवाड़े का खेल
टीईटी के अंकपत्र से फर्जीवाड़े के खेल को कुछ इस तरह से समझना होगा। जागरण ने जब इसकी तहकीकात की तो चौंकाने वाले मामले सामने आए। टीईटी के अंकपत्र में रोल नंबर, अभ्यर्थी का नाम, उसके पिता या पति का नाम, उसकी कैटेगरी और किस पेपर के लिए उसने अप्लाई किया है यह अंकित है। फर्जीवाड़ा करने वालों ने इतनी चीजों को ही चुराया है। इसलिए उनके प्रवेश पत्रों में इतनी जानकारियां तो सही मिल सकती हैं। लेकिन अगर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से इनके प्रवेश पत्रों की जांच कराई जाएगी तो प्रवेश पत्र में दर्ज परीक्षा सेंटर, अभ्यर्थी का डेट ऑफ बर्थ और प्रवेश पत्र पर लगी फोटो बदली हुई मिलेगी। यही नहीं, प्रवेश पत्र में दर्ज फॉर्म नंबर और एडमिशन कार्ड नंबर भी बेमेल हो जाएगा। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि कौन सही है और कौन गलत।
ऑनलाइन जांच में न पकड़ी जाएगी गड़बड़ी
जानकार बताते हैं कि किसी भी अभ्यर्थी की ऑनलाइन जांच में यह गड़बड़ी नहीं पकड़ी जाएगी। क्योंकि, ऑनलाइन जांच में अंकपत्र से ही उसका मिलान किया जाएगा। ऐसी परिस्थिति में अंकपत्र पर अंकित रोल नंबर, अभ्यर्थी का नाम, उसके पिता या पति का नाम, कैटेगरी और पेपर तो सही मिलेगा। क्योंकि, उक्त रोल नंबर, नाम, पिता या पति का नाम और कैटेगरी से किसी एक अभ्यर्थी ने तो जरूर बेहतर ढंग से परीक्षा उत्तीर्ण की है। ऐसे में ऑनलाइन जांच में भी उसी का डाटा दिखाएगा। सूत्र बताते हैं कि विभाग यहीं पर गच्चा खा लेता है और गलत को भी सही मान लेता है। जबकि, मामला कुछ और होता है। इसलिए इसकी सही जांच के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से प्रवेश पत्रों की जांच आवश्यक है।
बहाली में ये है गड़बड़ी की बानगी

अखिलेश यादव ने एमपी हाईस्कूल में परीक्षा दी है और उनका सेंटर कोड 01 है। राजेश कुमार राम का सेंटर भी एमपी हाईस्कूल में पड़ा है और उनका सेंटर कोड 20 है। अब एक ही दिन होने वाली परीक्षा में एक ही सेंटर का दो कोड.. ये कैसे संभव हो सकता है। एक बानगी देखिए। प्रवेश पत्र में भीम सेन का जिले का कोड नवादा का है और उनका सेंटर कमल साह हाईस्कूल नौतन, पश्चिम चंपारण में पड़ा है। प्रवेश पत्र में नौतन की स्पे¨लग भी गलत है। प्रतिमा कुमारी का सेंटर कैम्ब्रिज हायर सेकेंड्री स्कूल में पड़ा है और प्रवेश पत्र में कैम्ब्रिज की स्पे¨लग केएएमबीआरआइजेड तथा हायर की एचआइईआर लिखा हुआ है। यह प्रवेश पत्र में माइनर मिस्टेक नहीं हो सकता बल्कि यह उस गड़बड़ी की ओर इंगित करता है जो बहाली में हुए खेल का हिस्सा हो सकता है। धांधली करने वालों ने अंकपत्र तो डुप्लीकेट बना लिए परन्तु, प्रवेश पत्र का डुप्लीकेट बनाने में मात खा गए। यहां बता दें कि एमपी हाईस्कूल भी सरकारी कागज में बक्सर हाईस्कूल के नाम से जाना जाता है और किसी परीक्षा में प्रवेशपत्र पर भी बक्सर हाईस्कूल बक्सर लिखा रहता है। उस पर एमपी हाईस्कूल नहीं लिखा रहता। इसी तरह रविशंकर के प्रवेश पत्र में सीनियर सेकेंड्री स्कूल डेहरी-ऑन-सोन को परीक्षा केंद्र बताया गया है। जबकि, बताया जाता है कि यह हाईस्कूल डालमिया नगर में स्थित है। ये तो चंद उदाहरण हैं, अगर सभी शिक्षकों के प्रवेश पत्रों की जांच की जाए तो ऐसे दर्जनों मामले सामने सामने आ सकते हैं।

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