अगलेसाल होनेवाली मैट्रिक परीक्षा में किसी भी हाल में फर्जी परीक्षार्थी
शामिल नहीं हो पाएंगे। बिहार बोर्ड ने अभी से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी
है।
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने सभी जिलों के डीएम डीईओ को पत्र लिखा है कि वार्षिक माध्यमिक परीक्षा-2018 में शामिल होने के लिए स्कूलों द्वारा सही अभ्यर्थित्व वाले नियमित एवं स्वतंत्र विद्यार्थियों का पंजीयन ही कराया जाए। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस कार्य में सहयोग देने के साथ-साथ पंजीयन प्रपत्र भराने की पूरी प्रक्रिया की सतत निगरानी एवं पर्यवेक्षण के लिए निर्देश दिया गया है। मैट्रिक परीक्षा-2018 के लिए आॅनलाइन पंजीयन एजेंसी से कराने का प्रस्ताव है। चयनित एजेंसी अनुमंडल स्तर पर पंजीयन केंद्र, समिति की बताई जगह पर खोलेगी। परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की संभावित तिथि 22 जून है, हालांकि इसमें परिवर्तन हो सकता है। बोर्ड अध्यक्ष ने कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने क्षेत्र में आॅनलाइन पंजीयन से पहले छात्र-छात्राओं का विवरण एवं संख्या स्कूलों से लेकर सीडी के रूप में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 15 जून तक उपलब्ध कराएंगे।
इस साल आए थे फर्जी परीक्षार्थियों के मामले
वर्ष2017 में फर्जी परीक्षार्थियों के पंजीयन के मामले आए थे। दो जगहों से रजिस्ट्रेशन का मामला भी आया था, जिसपर कार्रवाई की गई।
अभिलेख से जांच कराने का निर्देश
बोर्डअध्यक्ष ने कहा कि ऐसा पाया जा रहा है कि विद्यालय द्वारा कोचिंग, निजी स्कूल के या अन्य स्वतंत्र छात्र-छात्राओं को अपने यहां नियमित रूप से नामांकित दिखाकर पंजीकृत करा लेते हैं जबकि वे उक्त स्कूल में नहीं पढ़ते हैं। ऐसे मामलों की जांच नामांकन पंजी एवं टीसी गार्ड फाइल, फीस बुक, रसीद, उपस्थिति पंजी, बैंक में शुल्क जमा करने की तिथि, राशि तथा अन्य अभिलेख से कराने का निर्देश दिया गया है, जिससे कि इसपर रोक लगाई जा सके। वार्षिक माध्यमिक परीक्षा- 2018 के लिए पंजीयन हेतु परीक्षार्थी की न्यूनतम आयु 01 मार्च 2018 को 14 वर्ष होनी चाहिए। 14 वर्ष पूरा करने हेतु विद्यालय अभिलेख में सक्षम पदाधिकारी के आदेश के बिना जन्मतिथि में सुधार किया जाना नियम के प्रतिकूल है। 01 मार्च 2004 के बाद की जन्मतिथि के अभ्यर्थी वर्ष 2017 में पंजीकृत नहीं किए जाएंगे।
बोर्ड अध्यक्ष ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कहा है कि गलत छात्रों का पंजीयन होने पर प्रधानाध्यापक जिम्मेवार होंगे। पंजीयन से पहले हर छात्र की आठ बिंदुओं पर पड़ताल की जाएगी। ये बिंदु हैं:-
{ स्कूलमें उपलब्ध सभी आधारभूत संरचना, वर्गों और कुल उपलब्ध कक्षों तथा उनके आकार एवं कक्षों में बैठने की व्यवस्था के अतिरिक्त विद्यालय की प्रस्वीकृति संबंधी शर्तों के अनुरूप नामांकित छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति देखी जाए।
{ विद्यालय में स्वीकृत शिक्षकों की संख्या पंजीयन के लिए आवेदित विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त है या नहीं।
{ नामांकन पंजी एवं टीसी गार्ड फाइल की जांच की जाए, जिससे पता चले कि अभ्यर्थित्व वैध है या नहीं।
{ नामांकन के समय प्राप्त राशि, विकास शुल्क विद्यालय के कोष में जमा किया गया है या नहीं।
{ नियमित विद्यार्थियों के बारे में विद्यालय के नवम वर्ग की वार्षिक परीक्षा के परीक्षाफल से पंजीयन आवेदन पत्र को सत्यापित किया जाए।
{ अनुमति प्राप्त या प्रस्वीकृति विद्यालय जिन्हें विद्यालय कोड तो प्राप्त है, किंतु वैसे स्कूल निर्धारित शर्तों के अनुसार अनुमति, प्रस्वीकृत हैं तो वैसे विद्यालय में पर्याप्त संख्या में शिक्षक हैं और छात्रों का पठन-पाठन विधिवत हो रहा है या नहीं, अथवा कागज पर विद्यालय का अस्तित्व है।
{ स्वतंत्र परीक्षार्थियों के मामले में विद्यार्थी के निवास स्थान वाले जिले के सक्षम पदाधिकारी से निर्गत उस जिला का आवासीय प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है।
{ स्वतंत्र विद्यार्थियों से संबंधित आवासीय प्रमाण पत्र एवं शपथ पत्र प्रधानाध्यापक से प्राप्त कर उसकी वैधता संबंधी जांच निर्गत करनेवाले पदाधिकारी के कार्यालय से करा ली जाएगी।
बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने सभी जिलों के डीएम डीईओ को पत्र लिखा है कि वार्षिक माध्यमिक परीक्षा-2018 में शामिल होने के लिए स्कूलों द्वारा सही अभ्यर्थित्व वाले नियमित एवं स्वतंत्र विद्यार्थियों का पंजीयन ही कराया जाए। जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस कार्य में सहयोग देने के साथ-साथ पंजीयन प्रपत्र भराने की पूरी प्रक्रिया की सतत निगरानी एवं पर्यवेक्षण के लिए निर्देश दिया गया है। मैट्रिक परीक्षा-2018 के लिए आॅनलाइन पंजीयन एजेंसी से कराने का प्रस्ताव है। चयनित एजेंसी अनुमंडल स्तर पर पंजीयन केंद्र, समिति की बताई जगह पर खोलेगी। परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन की संभावित तिथि 22 जून है, हालांकि इसमें परिवर्तन हो सकता है। बोर्ड अध्यक्ष ने कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी अपने क्षेत्र में आॅनलाइन पंजीयन से पहले छात्र-छात्राओं का विवरण एवं संख्या स्कूलों से लेकर सीडी के रूप में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को 15 जून तक उपलब्ध कराएंगे।
इस साल आए थे फर्जी परीक्षार्थियों के मामले
वर्ष2017 में फर्जी परीक्षार्थियों के पंजीयन के मामले आए थे। दो जगहों से रजिस्ट्रेशन का मामला भी आया था, जिसपर कार्रवाई की गई।
अभिलेख से जांच कराने का निर्देश
बोर्डअध्यक्ष ने कहा कि ऐसा पाया जा रहा है कि विद्यालय द्वारा कोचिंग, निजी स्कूल के या अन्य स्वतंत्र छात्र-छात्राओं को अपने यहां नियमित रूप से नामांकित दिखाकर पंजीकृत करा लेते हैं जबकि वे उक्त स्कूल में नहीं पढ़ते हैं। ऐसे मामलों की जांच नामांकन पंजी एवं टीसी गार्ड फाइल, फीस बुक, रसीद, उपस्थिति पंजी, बैंक में शुल्क जमा करने की तिथि, राशि तथा अन्य अभिलेख से कराने का निर्देश दिया गया है, जिससे कि इसपर रोक लगाई जा सके। वार्षिक माध्यमिक परीक्षा- 2018 के लिए पंजीयन हेतु परीक्षार्थी की न्यूनतम आयु 01 मार्च 2018 को 14 वर्ष होनी चाहिए। 14 वर्ष पूरा करने हेतु विद्यालय अभिलेख में सक्षम पदाधिकारी के आदेश के बिना जन्मतिथि में सुधार किया जाना नियम के प्रतिकूल है। 01 मार्च 2004 के बाद की जन्मतिथि के अभ्यर्थी वर्ष 2017 में पंजीकृत नहीं किए जाएंगे।
बोर्ड अध्यक्ष ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कहा है कि गलत छात्रों का पंजीयन होने पर प्रधानाध्यापक जिम्मेवार होंगे। पंजीयन से पहले हर छात्र की आठ बिंदुओं पर पड़ताल की जाएगी। ये बिंदु हैं:-
{ स्कूलमें उपलब्ध सभी आधारभूत संरचना, वर्गों और कुल उपलब्ध कक्षों तथा उनके आकार एवं कक्षों में बैठने की व्यवस्था के अतिरिक्त विद्यालय की प्रस्वीकृति संबंधी शर्तों के अनुरूप नामांकित छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति देखी जाए।
{ विद्यालय में स्वीकृत शिक्षकों की संख्या पंजीयन के लिए आवेदित विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त है या नहीं।
{ नामांकन पंजी एवं टीसी गार्ड फाइल की जांच की जाए, जिससे पता चले कि अभ्यर्थित्व वैध है या नहीं।
{ नामांकन के समय प्राप्त राशि, विकास शुल्क विद्यालय के कोष में जमा किया गया है या नहीं।
{ नियमित विद्यार्थियों के बारे में विद्यालय के नवम वर्ग की वार्षिक परीक्षा के परीक्षाफल से पंजीयन आवेदन पत्र को सत्यापित किया जाए।
{ अनुमति प्राप्त या प्रस्वीकृति विद्यालय जिन्हें विद्यालय कोड तो प्राप्त है, किंतु वैसे स्कूल निर्धारित शर्तों के अनुसार अनुमति, प्रस्वीकृत हैं तो वैसे विद्यालय में पर्याप्त संख्या में शिक्षक हैं और छात्रों का पठन-पाठन विधिवत हो रहा है या नहीं, अथवा कागज पर विद्यालय का अस्तित्व है।
{ स्वतंत्र परीक्षार्थियों के मामले में विद्यार्थी के निवास स्थान वाले जिले के सक्षम पदाधिकारी से निर्गत उस जिला का आवासीय प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है।
{ स्वतंत्र विद्यार्थियों से संबंधित आवासीय प्रमाण पत्र एवं शपथ पत्र प्रधानाध्यापक से प्राप्त कर उसकी वैधता संबंधी जांच निर्गत करनेवाले पदाधिकारी के कार्यालय से करा ली जाएगी।