बिहार सरकार #शिक्षा_का_अधिकार_अधिनियम_2009 की परिकल्पना की धज्जियाँ उड़ा रही है! इस अधिनियम में स्पष्ट कहा गया है कि “06 से 14 आयुवर्ग के सभी बच्चों को #गुणवत्तापूर्ण #शिक्षा उपलब्ध कराना #राज्य सरकार का #दायित्व है।”
एक सर्वे से ज्ञात हुआ है कि राज्य के विद्यालयों में बच्चों का #नामांकन और #ठहराव की दिशा में काफी प्रगति हुई है। प्रारंभिक विद्यालयों में शत-प्रतिशत #नामांकन होने लगा है। लेकिन इस परिदृश्य का एक स्याह सच यह भी है कि हमारे विद्यालय अपने बच्चों को आयु एवं #वर्ग_सापेक्ष #शिक्षा/#दक्षता उपलब्ध कराने में #पिछड़ रहा है।
एक तरफ बिहार सरकार कहती है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से कोई #समझौता नहीं कर सकती, दूसरी तरफ दो माह होने को है किंतु आज तक बच्चो को किताब उपलब्ध नहीं कराया गया है। #फटे-पुराने किताबों से ही काम चलाने को कहा जा रहा है। जो कही से भी उचित नहीं है क्योंकि पुराने किताबों में बहुत से #पाठ फट चुके हैं जिसे बच्चे लेने से इनकार कर रहे हैं। बिहार सरकार के अनुसार किताब अभी छपा नहीं है। इस तरह अभी की स्थिति को देखते हुए अभी एक दो माह और किताब उपलब्ध होने की संभावना नहीं है।
बिना पुस्तक के ही बच्चे अपने सत्र के दो माह गुजार चुके हैं मगर किताबों के दर्शन तक नहीं हुए हैं और कुछ दिनों बाद सभी विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी भी हो जाएंगी। इसप्रकार लगभग 03 माह बिना किताबों के ही गुजर जायेंगें। एक शिक्षक होने के नाते बिहार सरकार के शिक्षामंत्री से हम पूछना चाहते है कि--
क्या इसप्रकार से शिक्षा में गुणवत्ता आ जायेगी???
मेरे हिसाब से तो कभी नहीं !!
मेरी राय है कि जब बिहार सरकार बच्चों को छात्रवृत्ति देती ही है तो उसी की राशि में किताब की राशि जोड़ कर भी दे दिया जाये और किताबों को खुला #बाजार में #सस्ते दर पर किताबों को उपलब्ध करा दी जाये ताकि बच्चे बाजार से सत्र के प्रारंभ में ही किताबें खरीद सके। हमें याद है कि हमलोग बाजार से किताबों को सस्ते दामों में आसानी से खरीद लेते थे।
लेकिन सरकार चाहती ही नहीं है कि बिहार के बच्चे खूब पढ़े-लिखे! मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के नाम पर अपने जेब भरने के लिए किताब #छापने के लिए टेंडर निकलवाती है। और #टेंडर में क्या होता है? सब जानते हैं। करोड़ो का वारा न्यारा..!
आज वर्ग 8वां से ऊपर कि किताब #बाजार में उपलब्ध है क्या उन किताबों के लिए इंतज़ार करना पड़ता हैं??
जबाब होगा नहीं!
तो फिर क्यों नहीं वर्ग 1ला से लेकर 8वां तक की पुस्तकें भी खुला बाजार में सस्ते दामो में उपलब्ध करा दी जाये ताकि कोई भी बच्चा आसानी से खरीद सके और ससमय अपने सत्र की पढाई कर सके। और #गुणवत्ता भी बरकरार रह सके...!
बिहार सरकार इस पर #विचार करें ताकि #हमारे #नौनिहालों का #भविष्य #बर्बाद होने से बच जाए।
एक सर्वे से ज्ञात हुआ है कि राज्य के विद्यालयों में बच्चों का #नामांकन और #ठहराव की दिशा में काफी प्रगति हुई है। प्रारंभिक विद्यालयों में शत-प्रतिशत #नामांकन होने लगा है। लेकिन इस परिदृश्य का एक स्याह सच यह भी है कि हमारे विद्यालय अपने बच्चों को आयु एवं #वर्ग_सापेक्ष #शिक्षा/#दक्षता उपलब्ध कराने में #पिछड़ रहा है।
एक तरफ बिहार सरकार कहती है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से कोई #समझौता नहीं कर सकती, दूसरी तरफ दो माह होने को है किंतु आज तक बच्चो को किताब उपलब्ध नहीं कराया गया है। #फटे-पुराने किताबों से ही काम चलाने को कहा जा रहा है। जो कही से भी उचित नहीं है क्योंकि पुराने किताबों में बहुत से #पाठ फट चुके हैं जिसे बच्चे लेने से इनकार कर रहे हैं। बिहार सरकार के अनुसार किताब अभी छपा नहीं है। इस तरह अभी की स्थिति को देखते हुए अभी एक दो माह और किताब उपलब्ध होने की संभावना नहीं है।
बिना पुस्तक के ही बच्चे अपने सत्र के दो माह गुजार चुके हैं मगर किताबों के दर्शन तक नहीं हुए हैं और कुछ दिनों बाद सभी विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी भी हो जाएंगी। इसप्रकार लगभग 03 माह बिना किताबों के ही गुजर जायेंगें। एक शिक्षक होने के नाते बिहार सरकार के शिक्षामंत्री से हम पूछना चाहते है कि--
क्या इसप्रकार से शिक्षा में गुणवत्ता आ जायेगी???
मेरे हिसाब से तो कभी नहीं !!
मेरी राय है कि जब बिहार सरकार बच्चों को छात्रवृत्ति देती ही है तो उसी की राशि में किताब की राशि जोड़ कर भी दे दिया जाये और किताबों को खुला #बाजार में #सस्ते दर पर किताबों को उपलब्ध करा दी जाये ताकि बच्चे बाजार से सत्र के प्रारंभ में ही किताबें खरीद सके। हमें याद है कि हमलोग बाजार से किताबों को सस्ते दामों में आसानी से खरीद लेते थे।
लेकिन सरकार चाहती ही नहीं है कि बिहार के बच्चे खूब पढ़े-लिखे! मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के नाम पर अपने जेब भरने के लिए किताब #छापने के लिए टेंडर निकलवाती है। और #टेंडर में क्या होता है? सब जानते हैं। करोड़ो का वारा न्यारा..!
आज वर्ग 8वां से ऊपर कि किताब #बाजार में उपलब्ध है क्या उन किताबों के लिए इंतज़ार करना पड़ता हैं??
जबाब होगा नहीं!
तो फिर क्यों नहीं वर्ग 1ला से लेकर 8वां तक की पुस्तकें भी खुला बाजार में सस्ते दामो में उपलब्ध करा दी जाये ताकि कोई भी बच्चा आसानी से खरीद सके और ससमय अपने सत्र की पढाई कर सके। और #गुणवत्ता भी बरकरार रह सके...!
बिहार सरकार इस पर #विचार करें ताकि #हमारे #नौनिहालों का #भविष्य #बर्बाद होने से बच जाए।