पटना। राज्य में उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के मामले में अभी
और विलंब होगा। वित्त विभाग ने आर्थिक स्थिति का हवाला देकर उर्दू
शिक्षकों के नियोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। अब शिक्षा विभाग
उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियोजन के लिए नए सिरे से प्रस्ताव देने
की तैयारी में है।
उर्दू शिक्षकों के तकरीबन साढ़े ग्यारह हजार पद खाली हैं। सरकार की योजना प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की है। उर्दू शिक्षकों की कमी इस काम में बाधा बन रही है। सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग के इंकार के बाद शिक्षा विभाग बहाली के लिए अब नए सिरे से आग्रह करने की तैयारी में है। उसका तर्क है कि टीईटी पास उर्दू अभ्यर्थियों को मौका मिलना चाहिए। ताकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सके।
बता दें कि दो वर्ष पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा पास उर्दू शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिलों में कैंप लगाकर उर्दू टीचरों को नियोजन पत्र दिए गए। 27 हजार पदों के लिए नियोजन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी पर पहले चरण में तकरीबन सोलह हजार उर्दू शिक्षकों को ही नियोजन पत्र दिये जा सके। इसके तत्काल बाद ही विधानसभा चुनाव और बाद में पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई और नियोजन की प्रक्रिया रोक देनी पड़ी। चुनाव समाप्त हुए सात महीने से अधिक हो गए परन्तु नियोजन की प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं हो सकी। इधर टीईटी पास उर्दू शिक्षक लगातार नियोजन के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
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उर्दू शिक्षकों के तकरीबन साढ़े ग्यारह हजार पद खाली हैं। सरकार की योजना प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को उनकी मातृभाषा में ही शिक्षा देने की है। उर्दू शिक्षकों की कमी इस काम में बाधा बन रही है। सूत्रों ने बताया कि वित्त विभाग के इंकार के बाद शिक्षा विभाग बहाली के लिए अब नए सिरे से आग्रह करने की तैयारी में है। उसका तर्क है कि टीईटी पास उर्दू अभ्यर्थियों को मौका मिलना चाहिए। ताकि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सके।
बता दें कि दो वर्ष पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा पास उर्दू शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिलों में कैंप लगाकर उर्दू टीचरों को नियोजन पत्र दिए गए। 27 हजार पदों के लिए नियोजन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी पर पहले चरण में तकरीबन सोलह हजार उर्दू शिक्षकों को ही नियोजन पत्र दिये जा सके। इसके तत्काल बाद ही विधानसभा चुनाव और बाद में पंचायत चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई और नियोजन की प्रक्रिया रोक देनी पड़ी। चुनाव समाप्त हुए सात महीने से अधिक हो गए परन्तु नियोजन की प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं हो सकी। इधर टीईटी पास उर्दू शिक्षक लगातार नियोजन के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
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