घपले का बोर्ड. कॉलेजों को मान्यता दिलाने व अन्य कामों में संदीप झा और विकास चंद्रा ने भी लाखों की संपत्ति बनायी
पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसइबी) में शिक्षा की
दुकानदारी चलाने वाले पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह के दो प्रमुख
दलाल संदीप झा और विकास चंद्रा की भूमिका भी काफी अहम है.
ऐसे तो इन दोनों के अलावा पूर्व अध्यक्ष के दो अन्य निजी सहायकों की
भी भूमिका निजी कॉलेजों से नाजायज पैसे लेकर उन्हें मान्यता दिलाने,
छात्रों के नंबर बढ़ाने, निजी कॉलेजों को मनमाना सेंटर दिलाने समेत तमाम
तरह की धांधली में मुख्य रूप से बिचौलिया का काम करता था. संदीप झा वास्तव
में बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड का कर्मचारी नहीं है. वह विद्यासागर स्मारक
संस्कृत उच्च विद्यालय, कर्णगढ़ चंपानगर, भागलपुर में लिपिक है. उनकी
प्रतिनियुक्ति तत्कालीन अध्यक्ष (डॉ. दुर्गेश कुमार राय) के मौखिक
आदेशानुसार परीक्षा प्रभारी एवं परीक्षा नियंत्रक द्वारा संचालिका पर दिये
गये प्रस्ताव के आधार पर किया गया है. जबकि विकास चंद्रा प्रो. लालकेश्वर
प्रसाद सिंह के बड़े बेटे का साला होने के कारण अध्यक्ष बनने के बाद
बेरोजगार होने की वजह से उनसे जुड़ गया और धांधली के कारोबार में जम कर
अपनी दुकानदारी शुरू कर दी. इन दोनों ने पुलिस की पूछताछ में अपना जुर्म भी
कबूला है.
संदीप झा के साथ हुई पूछताछ के प्रमुख अंश
- लालकेश्वर प्रसाद सिंह को आप जानते हैं?
संदीप : हां, मैं जानता हूं. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड में उषा
सिन्हा (प्रो. लालकेश्वर प्रसाद सिंह की पत्नी) एक सदस्य के रूप में वर्ष
2009 में थीं. मैं कार्यवश बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में आता
था. इसी दौरान मेरी उनसे जान पहचान हो गयी. उसके बाद मेरी जान-पहचान
लालकेश्वर प्रसाद सिंह से भी हो गयी. मैं उनके आवास पर भी आने-जाने लगा.
- लालकेश्वर प्रसाद सिंह एवं उषा सिन्हा से जान-पहचान होने के बाद आप ने और क्या-क्या लाभ प्राप्त किया?
संदीप : उनसे प्रगाढ़ जुड़ाव होने के कारण मैं मध्यस्थ की भूमिका
निभाकर कई लोगों से उन्हें काफी रुपया दिलवाया. ये रुपये कॉलेजों को
मान्याता दिलाने, मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में अंक बढ़वाने, फेल हुए
विद्यार्थियों को पास करवाने, परीक्षा केंद्र को मैनेज करवाने, मनोकूल
मूल्यांकन केंद्र निर्धारित करवाने, परीक्षा केंद्र एवं मूल्यांकन केंद्रों
में मनोकूल शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करवाने, विद्यालय व महाविद्यालय का
मनमाफिक निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार करवाने, कॉलेजों को एफिलिएशन दिलवाने,
परीक्षा में एक्सपेल्ड छात्रों को पास करवाने तथा बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल
तथा बिहार मैट्रिक बोर्ड से संबंधित जितने भी कार्य हैं, खासकर जो अध्यक्ष
के माध्यम से होने वाले कार्यों को मोटी रकम लेकर अध्यक्ष के पीए विकास
चंद्रा, अनिल सिंह तथा देवेन्द्र कुमार उर्फ चुन्नू और अध्यक्ष की पत्नी
उषा सिन्हा से सांठ-गांठ कर करवाते थे.
- अब तक आपने कितने रुपये उन लोगों को दिये होंगे?
संदीप : लाखों रुपया उनलोगों को दे चुका हूं.
- इंटर की परीक्षा में पैसे लेकर अंक बढ़ाने का काम आप करते हैं?
संदीप : मैं कॉलेज स्थापना मान्यता दिलाने के काम में मध्यस्थता की
भूमिका अदा करता हूं. इसके ऐवज में जो राशि की उगाही मैं करता हूं, उसमें
अपना हिस्सा काटकर शेष राशि उन दोनों को दे देता हूं.
- और कौन-कौन से लोग इस तरह के कार्य में मध्यस्थता एवं दलाल की भूमिका निभाते हैं?
संदीप : अजीत शक्तिमान, विकास चंद्रा, चुन्नू प्रसाद. ये लालकेश्वर के
निजी सचिव हैं. इनके अलावा हिलसा के रहने वाले अनिल सिंह मुंगेर में
शिक्षक हैं और वर्तमान में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में प्रतिनियुक्ति
पर हैं. यह लालकेश्वर के आप्त सचिव के रूप में काम करते हैं और उषा सिन्हा
के हिलसा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक कार्यों को भी देखते हैं. इन
लोगों द्वारा भी मध्यस्थता एवं दलाली की भूमिका अदा की जाती है.
- आपने किन-किन इंटर कॉलेजों की मान्यता पैसे लेकर दिलवायी थी और पैसे का बंदरबांट किसके साथ किया है?
संदीप : मैंने मधेपुरा स्थित उदयाचार कविकर इंटर कॉलेज और बोधगया के
बलराम प्रसाद यादव इंटर कॉलेज की मान्यता चार लाख रुपये लेकर लालकेश्वर
प्रसाद सिंह से दिलवाया. लेन-देन का पूरा हिसाब मैंने उनकी पत्नी उषा
सिन्हा के साथ तय किया था. अपने हिस्से की एक-एक लाख की राशि रखकर शेष
तीन-तीन लाख रुपये उषा सिन्हा के हाथ में दिया.
- बच्चा राय जो विशुनराय कॉलेज का प्राचार्य है, उसे आप जानते हैं?
संदीप : हां. जानता हूं?
- कैसे जानते हैं और कब से जानते हैं?
संदीप : लालकेश्वर प्रसाद सिंह के आवास पर उसको कई बार मैंने बैठा हुआ
देखा है और लालकेश्वर व उषा सिन्हा से बातचीत करते हुए भी देखा. इस वर्ष
इंटर की परीक्षा शुरू होने और उसके बाद बच्चा राय को मैंने लालकेश्वर के
आवास पर कई बार आते-जाते और बैठे देखा है.
- बच्चा राय से जान-पहचान आपको किसने करायी?
संदीप : लालकेश्वर प्रसाद सिंह के आवास पर बच्चा राय से मेरा परिचय उषा सिन्हा ने करवाया.
- परीक्षा में उच्चतर मेधा स्थान दिलाने के लिए लालकेश्वर प्रसाद सिंह कितने रुपये लेते थे?
संदीप : छात्र के अभिभावक इस काम के लिए हमलोगों से संपर्क करते हैं.
हमलोग इसकी जानकारी उनकी पत्नी उषा सिन्हा को देते हैं. अभिभावकों से डेढ़
से दो लाख रुपये की राशि लेने के बाद लालकेश्वर बाबू उच्चतर मेधा स्थान
मैट्रिक एवं इंटर की परीक्षा में दिलवाते हैं.
- बिहार विद्यालय परीक्षा समिति और इंटर काउंसिल से संबंधित वह सभी
कागजात जो अभिभावक/छात्र द्वारा काम कराने के लिए आपको दिया जाता है और आप
काम कराने के बाद उन कागजात को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एवं इंटर
काउंसिल से बनवाते हैं, उसे कहां रखते हैं?
संदीप : मैं अपने आवास पर उन कागजातों को रखता हूं. अभी भी वहां पर बहुत सारे कागजात रखे हुए हैं.
- क्या अपनी निशानदेही पर उन कागजातों को बरामद करा सकते हैं?
संदीप : हां, मैं अपनी निशानदेही पर उन सभी कागजातों को बरामद करा सकता हूं.
- जिन कागजातों को आपने बनवाया है, उसमें कितनी राशि आप ने अभिभावक एवं छात्रों से अब तक दोहन किया है?
संदीप : लाखों रुपये कमाया हूं.
विकास चंद्रा के साथ हुई पूछताछ के प्रमुख अंश.
- आपकी जीविका का क्या साधन है?
विकास : मैं एमए पास करने के बाद अजंता घड़ी बेचने का काम करता था.
इसी दौरान मेरी बहन मोनालिसा ने लालकेश्वर प्रसाद सिंह के बड़े पुत्र
प्रकर्ष से प्रेम विवाह कर लिया. मेरी रिश्तेदारी लालकेश्वर से हो गई. मैं
उनके यहां आने-जाने लगा. वे जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष
बने और उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त हुआ, तो उन्होंने मुझे अपना
आप्त सचिव सचिव नियुक्त कर लिया. उनके कार्यकाल में मुझे 46 हजार रुपये
प्रतिमाह वेतन के रूप में मिलता था.
- बतौर पीए आप कौन से दायित्व का निर्वहन करते थे?
विकास : मैं नये माध्यमिक विद्यालयों/इंटर कॉलेजों की मान्यता से
संबंधित संचिका का निष्पादन कराने, परीक्षा का मूल्यांकन केंद्र निर्धारित
कराने, उत्तर पुस्तिका की छपाई और गोपनीय कागजातों की छपाई से संबंधित
फाइलों का निष्पादन कराने में विशेष रूप से सक्रिय भूमिका अदा करता था. इस
दौरान जिन लोगों के द्वारा रुपया देकर फाइल पर मनोकूल आदेश करवाने को कहा
जाता था. उनलोगों को मैं लालकेश्वर और उषा सिन्हा से मिलवाता था. रुपये के
लेन-देन होने पर मनोकूल आदेश निकलवा देता था. इसके एवज में मैं भी काफी
रुपया कमा लेता था.
- इस वर्ष आयोजित हुई इंटर की परीक्षा के दौरान बच्चा राय को लालकेश्वर प्रसाद सिंह के पास आते-जाते देखे हैं?
विकास : इस वर्ष आयोजित हुई इंटर की परीक्षा आरंभ होने के पहले भी
बच्चा राय आकर लालकेश्वर प्रसाद सिंह के पास आकर मिला. जब उत्तरपुस्तिकाओं
का मूल्यांकन आरंभ हो गया, तो वह कई बार उनके आवास पर आकर विशेष तौर से
मैडम उषा सिन्हा से मिला. एक बार मैडम से मिलने के दौरान मैं वहां उपस्थित
था, तो देखा कि बच्चा राय 15 लाख रुपया मैडम को दिया और बोला कि मेरी बेटी
शालिनी और एक रिश्तेदार रूबी राय को क्रमश: आर्ट्स व साइंस में टॉप करवा
दीजिए. मैडम उषा सिन्हा के आवास पर ही रुपया का लेन-देन हुआ.
- इंटर परीक्षा का परिणाम घोषित होने के समय बच्चा उषा सिन्हा से आकर मिला था या नहीं?
विकास : परिणाम आने के पहले एक या दो बार और परिणाम घोषित होने के बाद
कई बार मैंने देखा कि बच्चा राय आवास पर आकर मैडम उषा सिन्हा से मिला. इस
बीच जब मैं वहां उपस्थित था, तो सुना कि बच्चा राय कह रहा है कि मेरी बेटी
का रिजल्ट पेंडिंग हो गया है, उसको क्लियर कराइये. मैडम बोलीं कि जल्द
क्लियर करा देंगे.
- लालकेश्वर ने कितने माध्यमिक विद्यालय और कॉलेजों को मान्यता दी गयी होगी.?
विकास : करीब 200 माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों की मान्यता
लालकेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा अपने कार्यकाल में दी गयी. सभी से मान्यता
देने में दो से चार लाख रुपया लिये गये. उसमें मुझे भी काफी पैसा मिला है.
- उत्तरपुस्तिका की छपाई और अन्य गोपनीय दस्तावेजों की छपाई हेतु निविदा देने को मुख्य भूमिका कौन अदा करता था?
विकास : लालकेश्वर प्रसाद सिंह के दामाद विवेक कुमार मुख्य भूमिका अदा
करते थे. निविदा देने में सभी नियमों को दरकिनार कर जो फर्म मनोकूल राशि
देते थे, उनको निविदा लालकेश्वर प्रसाद सिंह देते थे.
- इंटर का विशुनदेव राय कॉलेज की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन केंद्र
बालक उच्च विद्यालय, राजेंद्र नगर को बनाने के पीछे क्या उद्देश्य है?
विकास : बच्चा राय आवास पर आकर मैडम उषा सिन्हा से बोला कि राजेंद्र
नगर स्थित बालक को मेरे कॉलेज का परीक्षा मूल्यांकन केंद्र बनवा दीजिए. मैं
वहां के प्राचार्य को मैनेज करवा लूंगा. इसके लिए अलग से लाखों रुपया मैडम
उषा सिन्हा को उसने दिया. बालक उच्च विद्यालय के मूल्यांकन को-ऑर्डिनेटर
संजीव कुमार सुमन भी आकर एक लाख रुपया मैडम को दिया, तब लालकेश्वर प्रसाद
सिंह ने उच्च विद्यालय को मूल्यांकन केंद्र बिना किसी लिखित आदेश के बना
दिया.
- लालकेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा कहां-कहां संपत्ति अर्जित की गयी है?
विकास : संदलपुर स्थित अपने घर के पास जमीन खरीदी है, फतेपुर गया रोड
में भी जमीन, हिलसा एवं चंडी में जमीन, पटना एम्स के पास फ्लैट एवं जमीन के
अलावा नोएडा में भी फ्लैट एवं जमीन की खरीदी की है.
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