Random-Post

गणित व अंग्रेजी के शिक्षकों का अभाव

नालंदा। बिहारशरीफ के सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कल्पना करना टेढ़ी खीर है। सरकार चाहे विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए लाखों जतन कर लें पर हकीकत में कुछ और ही है। दरसअसल जिले में कुल 72 प्लस-टू विद्यालयों में मात्र 333 शिक्षक ही कार्यरत हैं। वहीं हाइस्कूल के 94 विद्यालयों में 1429 शिक्षक पदस्थापित हैं। इसमें 91 लाइब्रेरियन है।
जबकि स्वीकृत पद के एक तिहाई से भी कम है। यही नहीं अधिकांश सरकारी विद्यालयों में विज्ञान व अंग्रेजी के शिक्षक हैं ही नहीं। यह हम नहीं बल्कि शिक्षा विभाग से मिली आंकड़े बता रही है। अब सवाल यह उठता है कि जब विद्यालयों में विज्ञान व अंग्रेजी की शिक्षक ही नहीं हैं तो ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात बेमानी लगती है। सरकार व शिक्षा विभाग चाह कर भी बच्चों को पारर्दशिता के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे सकती। शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की मानें तो सरकारी विद्यालयों में सबसे ज्यादा परेशानी अंग्रेजी व विज्ञान के शिक्षक का नहीं होना है। शिक्षक के अभाव में बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो सरकारी विद्यालयों के अधिकांश छात्र मजबूरन प्राइवेट व को¨चग संस्थानों की ओर कूच करने को विवश हो जाते हैं। लोगों की मानें तो यदि सरकारी विद्यालयों में व्यवस्था दुरूस्त करने के साथ सभी विषयों के शिक्षक बहाल किए जाए तो निश्चत ही छात्रों का झुकाव सरकारी विद्यालयों की ओर होगा। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है कि आखिरकार लोग अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों की जगह निजी विद्यालयों में क्यों भेज रहे हैं। इस विषय पर सरकार व शिक्षा विभाग को गहन मंथन करने की जरूरत है।
कहते हैं अधिकारीजिले के प्लस-टू व हाईस्कूल विद्यालयों में स्वीकृत पदों से काफी कम शिक्षक हैं। शिक्षकों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस संदर्भ में वरीय पदाधिकारी को कई बार पत्राचार किया गया है लेकिन इस मसले पर अभी तक कोई विचार नहीं किया गया है।

योगेशचन्द्र ¨सह जिला शिक्षा पदाधिकारी, नालंदा।
Sponsored link :
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC

Recent Articles