मुजफ्फरपुर:
इंटर टॉपर घोटाले का आरोपी बच्चा राय का विवि से लेकर सरकार के आला
अधिकारियों तक पहुंच थी. आला अधिकारियों से उसकी सेटिंग ऐसी थी कि वह अपने
रिपोर्टों को महज 24 घंटे के अंदर ही बदलवा देता था. सेंटिंग के बल पर ही
इंटर से लेकर डिग्री कॉलेज और बीएड कॉलेज में बड़े-बड़े काम आसानी से
करवाने में उसे महारथ हासिल था. निगरानी से लेकर विवि के पुराने अधिकारियों की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि भी
करते हैं. इतना ही नहीं 24 घंटे में बच्चा राय के कॉलेजों से 12 मुद्दों
पर सरकार विवि से कारण पूछता है और 24 घंटे के अंदर ही संबंधन की अनुमति
सरकार से प्रदान कर दी जाती है.
24 घंटे के बाद ही आ गया था दूसरा पत्र : निदेशक उच्च शिक्षा विभाग
बिहार सरकार ने 31 अगस्त 2015 को विवि से बच्चा राय के कॉलेजों से संबंधित
जानकारी मांगी थी. इस पत्र में यह विवि से यह मांगा गया था कि महाविद्यालय
खुलने से लेकर संचालन के स्वरुप तक की अद्यतन स्थिति कैसी है, लेकिन इसके
अगले ही दिन एक सितंबर 2015 को संयुक्त सचिव उच्च शिक्षा विभाग बिहार सरकार
ने बच्चा राय के कॉलेजों को संबंधन की अनुमति प्रदान कर दी.
इसकी वजह से विवि के अधिकारियों ने उन 12 मुद्दों का जवाब सरकार को नहीं दिया. सरकार की ओर से पत्र मिलने के बाद विवि भी इस पर पूरी तरह से खामोश हो गई. लेकिन जब मामला इंटर टॉपर घोटाले का खुला तो विवि अपने बचाव के लिए खुद ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर कॉलेज की जांच करवानी शुरू कर दी. इतना ही नहीं जांच के बाद विवि ने आनन-फानन में सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी है. अब विवि सरकार के निर्णय पर आश्रित होकर बैठ गई है.
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इसकी वजह से विवि के अधिकारियों ने उन 12 मुद्दों का जवाब सरकार को नहीं दिया. सरकार की ओर से पत्र मिलने के बाद विवि भी इस पर पूरी तरह से खामोश हो गई. लेकिन जब मामला इंटर टॉपर घोटाले का खुला तो विवि अपने बचाव के लिए खुद ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर कॉलेज की जांच करवानी शुरू कर दी. इतना ही नहीं जांच के बाद विवि ने आनन-फानन में सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी है. अब विवि सरकार के निर्णय पर आश्रित होकर बैठ गई है.
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