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66 हजार शिक्षकों को िमलेगी ट्रेनिंग

पटना: राज्य सरकार अगले चार साल में 66 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करायेगी.  विश्व बैंक के सहयोग से इस पर 2200 करोड़ खर्च होंगे. शिक्षा सह आइटी मंत्री डॉ अशोक चौधरी ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. यूनिसेफ द्वारा दुनिया के बच्चों की स्थिति 2016 रिपोर्ट का विमोचन के अवसर पर   उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने को लेकर सरकार संवदेनशील है.

बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए सरकार ने चार साल में अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने की योजना बनायी है. इसमें अध्यापक शिक्षा संस्थान का आधारभूत संरचना का विकास, शिक्षक प्रदर्शन इंडीकेटर का विकास आदि काम शामिल है. शिक्षा मंत्री बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा के लिए मिशन गुणवत्ता कार्यक्रम चलाया जा रहा है. 
 
सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास का परिणाम है कि वर्तमान में मात्र दो फीसदी बच्चे  अब स्कूल से बाहर है. अब 50 बच्चे पर एक शिक्षक की व्यवस्था है.  आधारभूत संरचना को मजबूत करने में सफलता मिली है.
 
अब केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देना है. 21वीं सदी में बदलाव के लिए सबको मिल कर काम काम करना होगा. शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कॉलेज में मुफ्त वाइ-फाइ शुरू हो रहा है. यूनिसेफ की ओर से आयोजित रिपोर्ट में असमानता की विशेष चर्चा है. असमानता एक बड़ी चुनौती है.  रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनिसेफ को धन्यवाद दिया. इससे पहले उन्होंने बच्चों पर लगाये गये प्रदर्शनी को देखा. 
 
पुस्तक का किया विमोचन
शिक्षा मंत्री ने किलकारी के बच्चों द्वारा तैयार राष्ट्रीय बाल नीति के  बाल सुलभ संस्करण व टीचर्स हैंड बुक का विमोचन किया. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय नालंदा की सुरूचि कुमारी, कल्याण बिगहा के नेत्रहीन बालक लक्ष्मण कुमार, शान कुमार सम्मानित किये गये. 
 
नेता बनने को कोई भी बच्चा नहीं हुआ तैयार

यूनिसेफ  की कार्यक्रम में बच्चे डॉक्टर, पुलिस व शिक्षक  बनने के लिए तैयार हुए. लेकिन, नेता बनने के लिए किसी बच्चे ने हामी नहीं भरी. इसे लेकर कार्यक्रम में उपस्थित लाेग अचरज में दिखे. कार्यक्रम में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण की पूर्व अध्यक्ष शांता सिन्हा ने अपने संबोधन के दौरान बच्चों से पूछा कि डॉक्टर, पुलिस व शिक्षक कौन-कौन बच्चे बनना चाहते हैं. इस पर कई बच्चों ने हाथ उठा कर अपनी हामी भरी. जब बच्चों से नेता बनने के बारे में पूछा गया, तो किसी बच्चे ने स्वीकार नहीं किया. बाद में एक बच्चे का यूं ही हाथ उठा दिया गया. शांता सिन्हा ने कहा कि बच्चों को लेकर भी संसद में चर्चा होनी चाहिए. 
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