अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर नियोजित 300 शिक्षकों की बढ़ीं मुश्किलें
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गोपालगंज : अपीलीय प्राधिकार के आदेश पर किये गये शिक्षक नियोजन पर
सरकार गंभीर हो गयी है. शिक्षा विभाग ने ऐसे नियोजन पर पूरी तरह से
प्रतिबंध लगा दिया है. इससे शिक्षा विभाग से बिना अनुमति लिये बिना नियोजित
लगभग 300 से अधिक शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. विभाग ने स्पष्ट कर
दिया है कि बिना अनुमति के अगर शिक्षकों का नियोजन होता है, तो इसके लिए
जिम्मेवार विभाग नहीं होगा.
प्राथमिक शिक्षा के निदेशक एम रामचंद्रुड़ु ने जिला शिक्षा पदाधिकारी
को भेजे आदेश में स्पष्ट किया है कि 24 जनवरी, 2016 द्वारा शुरू की गयी
शिक्षक नियोजन प्रक्रिया को पूर्ण मानते हुए किसी तरह का नियोजन नहीं किया
जाये. माननीय हाइकोर्ट और अपीलीय प्राधिकार के आदेश के अनुपालन के क्रम में
नियोजन करने के पूर्व विभाग से सहमति ली जाये.
बिहार पंचायत, नगर प्रारंभिक शिक्षक नियोजन एवं सेवा शर्त नियमावली
2006 एवं संशोधित नियमावली 2008 के क्रम में 21 फरवरी, 2011 में शिक्षक
नियोजन की प्रक्रिया समाप्ति के बाद आवश्यक सभी निर्देश अपीलीय प्राधिकार
को भी निर्गत किया गया था. इसके बाद भी जिले में नियोजन की कार्रवाई की जा
रही है,
जो बिल्कुल ही गलत है. सूत्रों का कहना है कि प्रथम एवं द्वितीय
शिक्षक नियोजन के रिक्त पद क्रमश: द्वितीय एवं तृतीय शिक्षक नियोजन में
शामिल होकर विज्ञापित हो चुका है एवं अंतिम शिक्षक नियोजन का कार्य पूर्ण
हो चुका है, जबकि गोपालगंज अपीलीय प्राधिकार द्वारा विभाग के इन नियमों को
ताक पर रख कर लगभग 300 से अधिक 2006 और 2008 के शिक्षकों के नियोजन का आदेश
जारी किया गया.
पंचायत नियोजन इकाइयों के सहयोग से इन्हें योगदान भी करा लिया गया.
प्रभात खबर ने जब इस मामले को उजागर किया, तो जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इसे
गंभीरता से लेकर विभाग से मार्गदर्शन मांगा. बिना रिक्ति के ही विद्यालयों
में शिक्षकों का योगदान हो गया. इनका भुगतान आज तक नहीं मिला. अब विभाग के
इस पत्र ने इस नियोजन को फर्जी करार दिया है. इस संबंध में डीइओ अशोक
कुमार का कहना है कि विभाग के आदेश स्पष्ट कर दिया है कि बिना सहमति लिये
नियोजन गलत है.
विभाग से बिना अनुमति के प्राधिकार ने दिया था नियोजन का आदेश
प्रभात खबर ने जब मामले को उजागर किया, तो डीइओ ने विभाग से मांगा था मार्गदर्शन
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