हाल-बेहाल. मॉडल स्कूल के चयनित पांच विद्यालयों की है खस्ता स्थिति , शिक्षकों की कमी का असर रिजल्ट पर भी पड़ा है
पटना : बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जिले में पांच मॉडल स्कूलों का चयन किया गया है. लेकिन इस स्कूलों में भी पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं.
जिन प्लस टू स्कूलों को मॉडल बनाया जाना है, उनमें शास्त्रीगनर बालक उच्च विद्याालय, राजकीय कन्या बालिका उच्च विद्यालय शास्त्रीनगर, कमला नेहरू उच्च विद्यालय गर्दनीबाग, रवींद्र बालिका उच्च विद्यालय और राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बांकीपुर शामिल हैं. इन स्कूलों में स्वीकृत पदों की तुलना में आधे से भी कम शिक्षक हैं. इसका असर इस बार 10वीं और 12वीं के नतीजों पर भी पड़ा है.
शास्त्रीनगर बालक उच्च विद्यालय में सेकेंडरी में शिक्षकों के कुल 24 पद स्वीकृत हैं. लेकिन, मौजूदा समय में यहां कार्यरत शिक्षकों की संख्या सर्फ तीन ही रह गयी है. वहीं प्लस टू में 15 की जगह नौ शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है. राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बांकीपुर में सेकेंडरी में 66 शिक्षकों की जगह 25 से काम चलाया जा रहा है. प्लस टू में जल्द ही केमेस्ट्री व हिस्ट्री के दो शिक्षक रिटायर हो जायेंगे. यही हाल राजकीय कन्या उच्च विद्यालय शास्त्रीगनर और रवींद्र बालिका स्कूल का है.
कहीं चल रहा कार्यालय, तो कहीं पुलिस ठहराव : शास्त्रीगनर स्कूल में पिछले दो वर्षों से जिला शिक्षा कार्यालय के नियोजन का काम किया जा रहा है. इसके अलावा साक्षर भारत कार्यक्रम का जिला कार्यालय भी स्थापित किया गया है. वहीं बांकीपुर कैंपस में महिला पुलिसकर्मी रह रही हैं. कॉमन रूम भी महिला पुलिसकर्मियों के कब्जे में है.
इंटर आर्ट्स के परिणाम में भी यही स्थिति रही. गर्दनीबाग में कुल 59 परिक्षार्थियों में 13 फेल हुए. रवींद्र बालिका में 47 में नौ फेल और बालक उच्च विद्यालय शास्त्रीनगर में तो 13 में मात्र छह पास हुए सात फेल हो गये. राजकीय कन्या, शास्त्रीगनर में 61 छात्राओं में 19 फेल हुई हैं.
स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसके लिए विभाग को पत्र भेजा गया है. साइंस और मैथ के शिक्षक नहीं होने से स्कूल प्राचार्य को परेशानी हो रही है. समस्या दूर करने की कोशिश हो रही है
डा अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी
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पटना : बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए जिले में पांच मॉडल स्कूलों का चयन किया गया है. लेकिन इस स्कूलों में भी पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं.
जिन प्लस टू स्कूलों को मॉडल बनाया जाना है, उनमें शास्त्रीगनर बालक उच्च विद्याालय, राजकीय कन्या बालिका उच्च विद्यालय शास्त्रीनगर, कमला नेहरू उच्च विद्यालय गर्दनीबाग, रवींद्र बालिका उच्च विद्यालय और राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बांकीपुर शामिल हैं. इन स्कूलों में स्वीकृत पदों की तुलना में आधे से भी कम शिक्षक हैं. इसका असर इस बार 10वीं और 12वीं के नतीजों पर भी पड़ा है.
शास्त्रीनगर बालक उच्च विद्यालय में सेकेंडरी में शिक्षकों के कुल 24 पद स्वीकृत हैं. लेकिन, मौजूदा समय में यहां कार्यरत शिक्षकों की संख्या सर्फ तीन ही रह गयी है. वहीं प्लस टू में 15 की जगह नौ शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है. राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बांकीपुर में सेकेंडरी में 66 शिक्षकों की जगह 25 से काम चलाया जा रहा है. प्लस टू में जल्द ही केमेस्ट्री व हिस्ट्री के दो शिक्षक रिटायर हो जायेंगे. यही हाल राजकीय कन्या उच्च विद्यालय शास्त्रीगनर और रवींद्र बालिका स्कूल का है.
कहीं चल रहा कार्यालय, तो कहीं पुलिस ठहराव : शास्त्रीगनर स्कूल में पिछले दो वर्षों से जिला शिक्षा कार्यालय के नियोजन का काम किया जा रहा है. इसके अलावा साक्षर भारत कार्यक्रम का जिला कार्यालय भी स्थापित किया गया है. वहीं बांकीपुर कैंपस में महिला पुलिसकर्मी रह रही हैं. कॉमन रूम भी महिला पुलिसकर्मियों के कब्जे में है.
इंटर आर्ट्स के परिणाम में भी यही स्थिति रही. गर्दनीबाग में कुल 59 परिक्षार्थियों में 13 फेल हुए. रवींद्र बालिका में 47 में नौ फेल और बालक उच्च विद्यालय शास्त्रीनगर में तो 13 में मात्र छह पास हुए सात फेल हो गये. राजकीय कन्या, शास्त्रीगनर में 61 छात्राओं में 19 फेल हुई हैं.
स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है. इसके लिए विभाग को पत्र भेजा गया है. साइंस और मैथ के शिक्षक नहीं होने से स्कूल प्राचार्य को परेशानी हो रही है. समस्या दूर करने की कोशिश हो रही है
डा अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी
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