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मठ में स्कूल, भगवान भरोसे शिक्षा

सीतामढ़ी। राम जानकी मठ में चल रहा है स्कूल। वह भी मठ परिसर स्थित पेड़ के नीचे। जहां बच्चे खुले आसमान के नीचे जमीन पर सरस्वती की आराधना को मजबूर है। जबकि मठ के पास घास - फूंस की एक झोपड़ी में स्कूल का कार्यालय चलता है। इसी झोपड़ी में किचेन शेड व स्टोर भी है।
शिक्षा विभाग की बेपरवाही की यह तस्वीर है डुमरा प्रखंड के मधुबन पंचायत अंतर्गत प्राथमिक स्कूल तलखापुर मल्लाह टोल की। जहां मठ में चल रहे इस स्कूल को शिक्षा विभाग ने राम भरोसे छोड़ दिया है। बस इतनी ही नहीं है स्कूल की दास्तान। यहां शिक्षकों के गायब रहने की बात हो या फिर बच्चों के नामांकन व मौजूदगी की बात। फर्क ही फर्क नजर आता है।
क्या है मामला : सरकार के आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग ने मुख्यालय डुमरा से आधा किमी की दूरी पर मधुबन पंचायत मल्लाह टोले में प्राथमिक विधालय की स्थापना की। इसके बाद यह स्कूल लक्ष्मणा नदी के किनारे स्थित श्री राम जानकी मठ में चलने लगा। तब से अब तक मठ में ही स्कूल चल रहा है। शिक्षा विभाग द्वारा चार साल पूर्व गांव में सरकारी जमीन को स्कूल के लिए अधिग्रहित किया। स्कूल भवन का निर्माण भी शुरू हुआ। लेकिन भवन अभी आधा - अधूरा ही था कि ग्रामीणों ने निर्माण का विरोध कर दिया। लिहाजा स्कूल भवन का निर्माण रूक गया। पिछले तीन साल से निर्माण अटका पड़ा है। लिहाजा बच्चों को अब भी राम भरोसे रहना पड़ रहा है।शिक्षा के बदले राम धुन : श्री राम जानकी मठ परिसर स्थित पेड़ के नीचे जमीन व खुले आसमान के नीचे बच्चे पढ़ाई कर रहे है। हालांकि पढ़ाई के दौरान बच्चे राम नाम में लीन रहते है। मठ में जहां सीताराम के नाम गूंजते रहते है, वहीं शिक्षार्जन कर रहे बच्चों का ध्यान भी राम नाम में बंट जाता है। समस्याओं का अंबार : इस स्कूल में समस्याओं का अंबार है। यहां शौचालय का अभाव है, लिहाजा बच्चों को नदी किनारे खेत की राह पकड़नी होती है। पेयजल का काम मठ के चापाकल से हो जाता है। उपस्कर के नाम पर महज चार कुíसयां है। झोपड़ी में ही मिड डे का भोजन बनता है। इसी झोपड़ी में कार्यालय चलता है। उपस्थिति पंजी समेत अन्य कागजात इसी झोपड़ी में रखा जाता है।
इकलौती शिक्षिका ही मिली : स्थापना के दौरान इस स्कूल में दो शिक्षकों की तैनाती की गई। प्रधानाध्यापिका के पद पर मीना कुमारी व सहायक शिक्षक के रूप में राजेश कुमार झा। श्री झा दो वर्षीय प्रशिक्षण पर चले गए। इसके बाद सुमन कुमारी नामक शिक्षिका का यहां प्रतिनियोजन किया गया है। हालांकि मंगलवार को समाचार संकलन के दौरान यहां केवल प्रधान शिक्षिका मीना कुमारी मिली। जबकि सुमन कुमारी गायब मिली। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि उन्होंने जरूरी काम के चलते सीएल ले लिया है। मोबाइल पर इसकी जानकारी दी है। यहां भोजन बनाने के लिए दो रसोईया है।
बच्चे नहीं जानते सीएम - पीएम का नाम : इस स्कूल में वैसे तो 73 बच्चों का नामांकन है। लेकिन मौजूदगी महज बीस बच्चों की ही होती है। मंगलवार को यहां महज दस बच्चे दिखे। हालांकि प्रधान शिक्षिका के अनुसार यहां नियमित रूप से 60 बच्चे उपस्थित रहते है। लेकिन गांव में पूजा के चलते आज महज दस बच्चे ही उपस्थित है। मिड डे को लेकर भी यहां सवाल उठते नजर आए। मंगलवार को स्कूल में मिड डे नहीं बना था। पूछने पर प्रधान शिक्षिका ने बताया गांव में पूजा को लेकर आज मिड डे नहीं बना है। हालांकि बच्चों ने कई दिनों से मिड डे नहीं बनने की शिकायत की। यहां बच्चों के बैठने की भी व्यवस्था नहीं है। स्कूल विकास मद की राशि के प्रति विभाग बेपरवाह है। यहां वर्ष 2011 में इस मद की राशि मिली। इसके बाद से चार साल तक यह राशि नहीं मिली। इस बार वर्ष 2016 का राशि मिला है। सबसे बड़ी बात यह कि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सामान्य जानकारी से अंजान है। बच्चों को यह भी पता नहीं है कि देश के पीएम कौन है और बिहार के सीएम कौन है?

कहते है अधिकारी : डुमरा बीईओ डा. अमरेंद्र पाठक भी मानते है कि प्राथमिक विधालय मल्लाह टोल तलखापुर की समस्या बड़ी है। भवन के अभाव में नौनिहालों की शिक्षा प्रभावित हो रहीं है। डा. पाठक के अनुसार इस स्कूल की समस्या के प्रति विभाग गंभीर है। शीघ्र ही आधे - अधूरे स्कूल भवन का निर्माण करा लिया जाएगा।
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