विकास की रोशनी से कोसों दूर है छैतल पंचायत

किशनगंज। ठाकुरगंज प्रखंड के छैतल पंचायत में मानव स्वास्थ्य सुविधा के साथ-साथ जल संरक्षण, स्वास्थ्य पेयजल आदि बुनियादी सुविधाओं की कमी बरकरार है। हालांकि बिजली व सड़कों की पक्कीकरण में तेजी आई है। परंतु पंचायत के अब भी आधा दर्जन भर सड़कें कच्ची हैं।
छैतल ग्राम पंचायत प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किमी दूरी पर अवस्थित है। पंचायत के लोगों को छोटी-छोटी सी बीमारी के इलाज के लिए ठाकुरगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ता है। जबकि पंचायत के रुईधाशा ग्राम में उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन लाखों रुपये खर्च कर बनाया गया है। परंतु टीकाकरण कार्य के सिवा किसी भी तरह का कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है।
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शिक्षकों के अभाव में उच्च विद्यालय में बच्चों को नहीं मिल पा रही है गुणवत्ता शिक्षा :
पंचायत में 7 प्राथमिक विद्यालय, 5 मध्य व उत्क्रमित मध्य विद्यालय व एक उत्क्रमित उच्च विद्यालय संचालित है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय फाटामारी जाने के लिए सरकारी मार्ग नहीं है। जिस कारण विद्यालय जाने हेतु स्कूली बच्चों व शिक्षकों को विद्यालय पहुंचने में काफी कठिनाई होती है।
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कच्ची सड़कों का है बुरा हाल :
विभिन्न योजनाओं से ग्राम पंचायत में कई सड़कों का निर्माण हुआ। फिर भी आधा दर्जन से अधिक कच्ची सड़कें जो एनएच व आरइओ मुख्य सड़कों से जुड़ती है। इसका बुरा हाल है। रुईधाशा से आमतोला, फूलभाषा से छैतल, आरईओ रोड से झाड़बाड़ी, ननकार से नूरी चौक, दोगच्छी से मैगल एनएच सड़क, फुलभाषा से तेतुलगुड़ी मदरसा, आरईको रोड से फुलभाष आदिवासी टोला, दोगच्छी आदिवासी टोला से राजी बस्ती होते हुए बावनडांगी, हसनपुर से फाटामारी गेदड़ी होते हुए एमजीएसवाई सड़क तक आदि कच्ची सड़कें पंचायत के विकास के चार्ट को मुंह चिढ़ा रही है।
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शुद्ध पेयजल व शौचालय नदारद :
पंचायत में कुछ संपन्न परिवारों को छोड़ कर प्राय: सभी परिवारों का शुद्ध पेयजल व शौचालय नदारद है। लोग निजी चापाकल से आयरन युक्त जल पीने को विवश है। वित्तीय वर्ष में पीएचईडी ने मात्र 30 परिवारों को ही शौचालय की राशि उपलब्ध करा पाई है। जिसमें अवैध वसूली की मामला भी प्रकाश में आ रहा है।
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कच्चूदह झील का पर्यटन स्थल के रुप में नहीं हुआ विकसित :
पंचायत का कच्चूदह झील प्रखंड के सबसे बड़े झील के रुप में है, जो लगभग 85 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पर्यटन स्थल के रुप में इस झील को विकसित करने हेतु प्राय: सभी सरकार व विधायकों ने आश्वासन दिया। कई मंत्री व सचिव स्तरीय पदाधिाकरी, कमिश्नर, डीएम ने कच्चूदह झील का मुआयना कर गए परंतु झील की स्थिति पूर्व से और दयनीय होती जा रही है।
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कच्चूदह झील में इंड के मौसम में विदेशी पक्षियों का जमावड़ा होता है। यदि इस झील को साफ कर नौका बिहार, बागवानी कोटेज आदि की व्यवस्था की जाए तो पंचायत के साथ-साथ प्रखंड व जिला भी बिहार राज्य के पर्यटन स्थल के मानचित्र में अपना नाम दर्ज करा सकती है। इससे पंचायत के लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
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लोगों की राय :
फोटो 26 केएसएन 53
हमारे गांव के लोग आयरन युक्त जल पीने को विवश है। जिससे हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अपने कमाई का बड़ा हिस्सा इलाज कराने व दवा खरीदने में खर्च करना पड़ता है।
अमीर चंद गणेश, हसनपुर।
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फोटो 26 केएसएन 54
ग्राम पंचायत में एक उप स्वास्थ्य केंद्र रुइधाषा में अवस्थित है। पर केंद्र में न तो चिकित्सक यहां आते है और न तो नवाई ही मिलती है। स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। यहां इलाज तो दूर की बात पर गंदगी से कोई इस ओर से गुजरे तो वह खुद बीमार पड़ जाएगा।
मो. सकीलुर्रहमान, दोगच्छी।
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फोटो 26 केएसएन 55
इस पंचायत में शौचालय की कमी है। जिस बावत यहां के अधिकांश लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। वहीं महिलाएं शौच के लिए संध्या होने तक का इंतजार करती हैं।
जोसना देवी, फुलभाषा।
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फोटो 26 केएसएन 56
यहां के ग्रामीण के सबसे बड़ी समस्या रोजी, रोटी और मकान है। इंसानी जीवन को सुचारु रुप से चलाने के लिए इन तीनों की सख्त जरुरत पड़ती है। इस वजह से यहां के सैकड़ों लोग प्रतिदिन रोजगार की तलाश में अन्य राज्य जाने को मजबूर हैं।
राजीक आलम, छैतल।
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फोटो 26 केएसएन 57
इस पंचायत में सरकारी योजनाओं को सही रुप से धरातल पर नही उतारा गया है। जिसके कारण ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ता है।
अबू तालीब, छैतल।
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फोटो 26 केएसएन 58
पंचायत में विकास की कच्छप गति से चल रही है। जिसके कारण यहां के लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसका परिणाम यह है कि दबंग प्रवृति वाले लोग लेन-देन की नीति अपना कर सरकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठा लेते हैं। वहीं कमजोर वर्ग के लोग ऐसी सुविधओं से वंचित रह जाते हैं।
अशेाक पासवान, छैतल।
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फोटो 26 केएसएन 59
पंचायत के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात में बड़ी असमानता है। ऐसी स्थिति में विद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती है।

श्यामलाल राम, छैतल।
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