दरभंगा । कोलकाता स्थित वेरियेवल इनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर के राजा
रमणा फेलो वैज्ञानिक डॉ. योगेंद्र पाठक बियोगी ने कहा कि बिहार सहित अन्य
राज्यों में ट्यूशन के व्यवसाय पर रोक नहीं लगी तो शिक्षा का सत्यानाश हो
जाएगा। कम से कम शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति नहीं होनी चाहिए।
यह देश के लिए कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि आज भी नई शिक्षा नीति बनाने की बात कही जाती है। युवाओं में विज्ञान के प्रति घटती रूचि पर उन्होंने ¨चता जताते हुए कहा कि प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत है उसे तलाशने व तराशने की। वे रविवार को नेशनल साइंस डे पर लनामिविवि के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग व डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विचित्र विज्ञान पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि युवाओं में विज्ञान के प्रति रूचि कम होती जा रही है। इसका कारण ट्यूशन है। इससे मस्तिष्क का विकास रूक जाता है। लेकिन, टयूशन संचालकों की लॉबी इतनी तगड़ी है कि उसे बंद करना संभव प्रतीत नहीं होता है। अगर ट्यूशन बंद नहीं हुआ तो समाज पंगु हो जाएगा।------------
शोध पर बल देने की जरूरत : डॉ. वियोगी ने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि हम विज्ञान के क्षेत्र में आगे नहीं हुए हैं। लेकिन, इसमें और शोध की जरूरत है। शोध तपस्या है। शोधार्थी व गाइट को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। शोध के लिए पैसा की कोई कमी नहीं है। केंद्र सरकार इसके लिए खजाना खोले हुई हैं। बेहतर शिक्षा तभी संभव है जब प्राथमिक स्तर की शिक्षा को गुणात्मक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में आज देश में पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के छात्र सबसे आगे बढ़ रहे हैं। अन्य राज्यों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए।------------
विचित्र विज्ञान पर शोध करें छात्र : मैथिली भाषा में चटनी बिनु भोजन आ विनोद बिनु जीवन से विचित्र विज्ञान पर व्याख्यान देते हुए डॉ. वियोगी ने सेमिनार में उपस्थित शिक्षकों, छात्र व छात्राओं को यह समझाने का प्रयास किया कि जीवन की हर घटना में विज्ञान छिपा है। मनुष्य की हर गतिविधि विज्ञान पर आधारित है। जैसे मेढ़क का पानी में तैरना, बिस्कुट का चाय में मिल जाना, टेबल पर से ब्रेड का मख्खन वाला हिस्सा धरती पर गिरना सहित आम जन जीवन के कई घटनाक्रमों को उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से हंसते-हंसाते हुए समझाया। उन्होंने शिक्षकों व छात्रों से कहा कि विचित्र विज्ञान को शोध का विषय बनाकर आप इग नोबेल पुरस्कर के लिए नामांकन दर्ज करवा सकते हें। अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिथिला के छात्र भी इस ओर ध्यान दें तो वे भी हारवर्ड विश्वविद्यालय में अपनी प्रतिभा का डंका बजा सकते हैं। इससे पूर्व डॉ वियोगी, लनामिविवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. इंद्र नाथ मिश्र, मानिवकी संकायाध्यक्ष डॉ. उत्तिम लाल ठाकुर, पीजी भौतिकी के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार मिश्र व इसी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. अमरेश झा ने दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन किया। डॉ. ठाकुर ने कहा कि विज्ञान पर ही विकास आधारित है। इसलिए विज्ञान का सदुपयोग होना चाहिए। दुरूपयोग होने से विज्ञान अभिशाप बन जाता है। डॉ. ब्रजमोहन मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उददेश्य विज्ञान के छात्रों को शोध के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने महान वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमण की जीवनी व विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धि को बताया। विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार मिश्र ने विचित्र विज्ञान पर अपना व्याख्यान देने आए डॉ. योगेंद्र पाठक वियोगी के बारे में बताए। इस मौके पर निबंध व क्विज प्रतियोगिताओं में सफल छात्र व छात्राएं मृत्युंजय कुमार मिश्रा, नंदनी कुमारी, रत्ना कर्ण, शैवाल कुमार, रेशमा राय व प्रकाश कुमार को पुरस्कृत किया। सेमिनार में डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, डॉ. जयकर झा, डॉ. तुषारकांत झा, डॉ. अभय कुमार यादव, डॉ. मणिन्द्र कुमार, डॉ. सुबोध यादव, डॉ. विभूति शेखर लाल दास, डॉ.प्रदीप झा, डॉ. महेश चंद्र मिश्र, डॉ. हरे कृष्ण झा, कन्हैया राय, देव कुमार साह आदि शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमरेश झा ने किया। कार्यक्रम में फाउंडेशन के राज्य समन्वयक मुकेश कुमार झा, अनिल ¨सह, राजकुमार गणेशन, मनीष आनंद,र¨वद्र कुमार चौधरी आदि उपस्थित थे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यह देश के लिए कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि आज भी नई शिक्षा नीति बनाने की बात कही जाती है। युवाओं में विज्ञान के प्रति घटती रूचि पर उन्होंने ¨चता जताते हुए कहा कि प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत है उसे तलाशने व तराशने की। वे रविवार को नेशनल साइंस डे पर लनामिविवि के स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग व डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में विचित्र विज्ञान पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि युवाओं में विज्ञान के प्रति रूचि कम होती जा रही है। इसका कारण ट्यूशन है। इससे मस्तिष्क का विकास रूक जाता है। लेकिन, टयूशन संचालकों की लॉबी इतनी तगड़ी है कि उसे बंद करना संभव प्रतीत नहीं होता है। अगर ट्यूशन बंद नहीं हुआ तो समाज पंगु हो जाएगा।------------
शोध पर बल देने की जरूरत : डॉ. वियोगी ने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि हम विज्ञान के क्षेत्र में आगे नहीं हुए हैं। लेकिन, इसमें और शोध की जरूरत है। शोध तपस्या है। शोधार्थी व गाइट को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। शोध के लिए पैसा की कोई कमी नहीं है। केंद्र सरकार इसके लिए खजाना खोले हुई हैं। बेहतर शिक्षा तभी संभव है जब प्राथमिक स्तर की शिक्षा को गुणात्मक बनाया जाए। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में आज देश में पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के छात्र सबसे आगे बढ़ रहे हैं। अन्य राज्यों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए।------------
विचित्र विज्ञान पर शोध करें छात्र : मैथिली भाषा में चटनी बिनु भोजन आ विनोद बिनु जीवन से विचित्र विज्ञान पर व्याख्यान देते हुए डॉ. वियोगी ने सेमिनार में उपस्थित शिक्षकों, छात्र व छात्राओं को यह समझाने का प्रयास किया कि जीवन की हर घटना में विज्ञान छिपा है। मनुष्य की हर गतिविधि विज्ञान पर आधारित है। जैसे मेढ़क का पानी में तैरना, बिस्कुट का चाय में मिल जाना, टेबल पर से ब्रेड का मख्खन वाला हिस्सा धरती पर गिरना सहित आम जन जीवन के कई घटनाक्रमों को उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से हंसते-हंसाते हुए समझाया। उन्होंने शिक्षकों व छात्रों से कहा कि विचित्र विज्ञान को शोध का विषय बनाकर आप इग नोबेल पुरस्कर के लिए नामांकन दर्ज करवा सकते हें। अमेरिका के हारवर्ड विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि मिथिला के छात्र भी इस ओर ध्यान दें तो वे भी हारवर्ड विश्वविद्यालय में अपनी प्रतिभा का डंका बजा सकते हैं। इससे पूर्व डॉ वियोगी, लनामिविवि के विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. इंद्र नाथ मिश्र, मानिवकी संकायाध्यक्ष डॉ. उत्तिम लाल ठाकुर, पीजी भौतिकी के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार मिश्र व इसी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ. अमरेश झा ने दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन किया। डॉ. ठाकुर ने कहा कि विज्ञान पर ही विकास आधारित है। इसलिए विज्ञान का सदुपयोग होना चाहिए। दुरूपयोग होने से विज्ञान अभिशाप बन जाता है। डॉ. ब्रजमोहन मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उददेश्य विज्ञान के छात्रों को शोध के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने महान वैज्ञानिक डॉ. सीवी रमण की जीवनी व विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धि को बताया। विभागाध्यक्ष डॉ. अरूण कुमार मिश्र ने विचित्र विज्ञान पर अपना व्याख्यान देने आए डॉ. योगेंद्र पाठक वियोगी के बारे में बताए। इस मौके पर निबंध व क्विज प्रतियोगिताओं में सफल छात्र व छात्राएं मृत्युंजय कुमार मिश्रा, नंदनी कुमारी, रत्ना कर्ण, शैवाल कुमार, रेशमा राय व प्रकाश कुमार को पुरस्कृत किया। सेमिनार में डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, डॉ. जयकर झा, डॉ. तुषारकांत झा, डॉ. अभय कुमार यादव, डॉ. मणिन्द्र कुमार, डॉ. सुबोध यादव, डॉ. विभूति शेखर लाल दास, डॉ.प्रदीप झा, डॉ. महेश चंद्र मिश्र, डॉ. हरे कृष्ण झा, कन्हैया राय, देव कुमार साह आदि शिक्षकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अमरेश झा ने किया। कार्यक्रम में फाउंडेशन के राज्य समन्वयक मुकेश कुमार झा, अनिल ¨सह, राजकुमार गणेशन, मनीष आनंद,र¨वद्र कुमार चौधरी आदि उपस्थित थे।
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