पटना, पलपल इंडिया ब्यूरो. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील
कुमार मोदी ने कहा है कि सूबे में भाजपा की सरकार बनी तो नियोजित शिक्षकों
को नया वेतनमान देंगे और उनकी सुविधाएं बढ़ाई जाएगी. यही नहीं शिक्षकों की
रिटायरमेंट की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष किया जाएगा. वे पार्टी दफ्तर
में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों के लिए
दो वेतनमान होगा. प्राइमरी और सेकेंड्री के लिए अलग-अलग वेतनमान. उन्होंने
दावा किया कि नई संरचना में वेतन में कम से कम 20 फीसदी की वृद्धि होगी.
मोदी ने कहा कि नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों को जो वेतनमान दिया है उसका श्रेय जीतन राम मांझी को जाता है. उन्होंने सबसे पहले इन्हें वेतनमान देने का निर्णय लिया. इसके अलावा भाजपा का दबाव भी नीतीश कुमार को इसके लिए बाध्य किया. इन दोनों कारणों से नीतीश कुमार को झुकना पड़ा. हालांकि यह वेतनमान बहुत कम है और इसमें सम्मानजनक जिन्दगी नहीं जी सकते.
मोदी ने कहा कि नीतीश सरकार ने पुराने वेतनमान को लेकर निर्णय लिया है कि रिटायरमेंट के साथ वे पद स्वत: समाप्त हो जाएंगे. हमारी सरकार बनने पर हम ऐसा करने की बजाए चरणबद्ध तरीके से पुराने वेतनमान को लागू करेंगे.
मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षकों की समस्या को लेकर कहीं से गंभीर नहीं है. यही कारण है कि उनसे किए आश्वासनों को लागू करना तो दूर उन्हें नियमित वेतन तक नहीं दिया जाता जबकि बैंकों के माध्यम से भुगतान की निर्णय लिया गया था. उनकी पेंशन और ट्रांसफर योजना को कमेटी के हवाले कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सरकार ने इन मामलों में पहले ही निर्णय ले लिया था, फिर कमेटी का क्या औचित्य.
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मोदी ने कहा कि नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों को जो वेतनमान दिया है उसका श्रेय जीतन राम मांझी को जाता है. उन्होंने सबसे पहले इन्हें वेतनमान देने का निर्णय लिया. इसके अलावा भाजपा का दबाव भी नीतीश कुमार को इसके लिए बाध्य किया. इन दोनों कारणों से नीतीश कुमार को झुकना पड़ा. हालांकि यह वेतनमान बहुत कम है और इसमें सम्मानजनक जिन्दगी नहीं जी सकते.
मोदी ने कहा कि नीतीश सरकार ने पुराने वेतनमान को लेकर निर्णय लिया है कि रिटायरमेंट के साथ वे पद स्वत: समाप्त हो जाएंगे. हमारी सरकार बनने पर हम ऐसा करने की बजाए चरणबद्ध तरीके से पुराने वेतनमान को लागू करेंगे.
मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षकों की समस्या को लेकर कहीं से गंभीर नहीं है. यही कारण है कि उनसे किए आश्वासनों को लागू करना तो दूर उन्हें नियमित वेतन तक नहीं दिया जाता जबकि बैंकों के माध्यम से भुगतान की निर्णय लिया गया था. उनकी पेंशन और ट्रांसफर योजना को कमेटी के हवाले कर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. सरकार ने इन मामलों में पहले ही निर्णय ले लिया था, फिर कमेटी का क्या औचित्य.
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