बिहार में 'डर के मारे' तीन हजार शिक्षकों ने दे दिया इस्तीफा
बिहार में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षकों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार द्वारा हाइकोर्ट को दी गई सूचना के अनुसार तीन हजार और प्राइमरी शिक्षकों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा 353 और शिक्षकों के डाक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए हैं। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार सरकार ने कोर्ट को बताया कि इनमें से 1660 के करीब शिक्षकों ने आम माफी के तहत नौकरी से इस्तीफा दिया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ललित किशोर ने पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की बेंच को यह जानकारी दी।
बेंच रंजीत पंडित की उस पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 25 हजार के करीब शिक्षकों के प्राइमरी स्कूलों में फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी पाने का आरोप लगाया गया है।
कोर्ट ने खुद इस्तीफा देने वालों के लिए शुरू की 'सामूहिक माफी'
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि मामले में विजीलेंस टीम रायपुर, हजारीबाग, गुवाहाटी और नई दिल्ली जाकर शैक्षिक कागजातों की जांच कर रही है। इस काम के लिए विजीलेंस को अतिरिक्त स्टाफ भी मुहैया कराया गया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
बता दें कि शिक्षक भर्ती में फर्जीवाडे की भयावहता देखते हुए कोर्ट ने बीती 22 जून को आम माफी की व्यवस्था की थी जिसके तहत फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षक खुद ही इस्तीफा देकर कार्रवाई से बच सकते हैं।
कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को निर्देश जारी करने के आदेश दिए थे जिसके तहत ऐसे शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
इस्तीफा न देने वालों संपति हो सकती है जब्त
ऐसे में जो भी व्यक्ति आम माफी का समय बीतने के बाद फर्जी डिग्री से नौकरी करता पाया जाएगा उसके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा नौकरी करने वाले व्यक्ति से उस दौरान तनख्वाह के तौर पर ली गई रकम की वसूली भी की जाएगी।
जिसके लिए जरूरत पड़ने पर उसकी संपति की बिक्री भी की जा सकती है। इसके अलावा वह भविष्य में किसी अन्य सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य भी ठहराया जाएगा।
इस संबंध में ललित किशोर ने 13 जुलाई को कोर्ट को बताया था कि 1271 शिक्षकों ने नोटिस मिलने के बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद कोर्ट ने 14 जुलाई को सामूहिक माफी की व्यवस्था को दो हफ्ते के लिए और बढ़ा दिया था।
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बिहार में फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षकों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है। राज्य सरकार द्वारा हाइकोर्ट को दी गई सूचना के अनुसार तीन हजार और प्राइमरी शिक्षकों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा 353 और शिक्षकों के डाक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए हैं। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार सरकार ने कोर्ट को बताया कि इनमें से 1660 के करीब शिक्षकों ने आम माफी के तहत नौकरी से इस्तीफा दिया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ललित किशोर ने पटना हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की बेंच को यह जानकारी दी।
बेंच रंजीत पंडित की उस पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 25 हजार के करीब शिक्षकों के प्राइमरी स्कूलों में फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी पाने का आरोप लगाया गया है।
कोर्ट ने खुद इस्तीफा देने वालों के लिए शुरू की 'सामूहिक माफी'
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि मामले में विजीलेंस टीम रायपुर, हजारीबाग, गुवाहाटी और नई दिल्ली जाकर शैक्षिक कागजातों की जांच कर रही है। इस काम के लिए विजीलेंस को अतिरिक्त स्टाफ भी मुहैया कराया गया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।
बता दें कि शिक्षक भर्ती में फर्जीवाडे की भयावहता देखते हुए कोर्ट ने बीती 22 जून को आम माफी की व्यवस्था की थी जिसके तहत फर्जी डिग्री के सहारे नौकरी पाने वाले शिक्षक खुद ही इस्तीफा देकर कार्रवाई से बच सकते हैं।
कोर्ट ने इस संबंध में सरकार को निर्देश जारी करने के आदेश दिए थे जिसके तहत ऐसे शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था।
इस्तीफा न देने वालों संपति हो सकती है जब्त
ऐसे में जो भी व्यक्ति आम माफी का समय बीतने के बाद फर्जी डिग्री से नौकरी करता पाया जाएगा उसके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा नौकरी करने वाले व्यक्ति से उस दौरान तनख्वाह के तौर पर ली गई रकम की वसूली भी की जाएगी।
जिसके लिए जरूरत पड़ने पर उसकी संपति की बिक्री भी की जा सकती है। इसके अलावा वह भविष्य में किसी अन्य सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य भी ठहराया जाएगा।
इस संबंध में ललित किशोर ने 13 जुलाई को कोर्ट को बताया था कि 1271 शिक्षकों ने नोटिस मिलने के बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। जिसके बाद कोर्ट ने 14 जुलाई को सामूहिक माफी की व्यवस्था को दो हफ्ते के लिए और बढ़ा दिया था।
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