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बिना 'आलय' चल रहे जिले के 22 विद्यालय : बिहार शिक्षक नियोजन Latest Updates

कैमूर। स्कूल में जब छात्र विद्यालय शब्द का संधि विच्छेद पढ़ते हैं तो उन्हें बताया जाता हैं कि ऐसा आलय (भवन) जहां पठन-पाठन का कार्य किया जाता है। परंतु जिले में कई विद्यालय ऐसे हैं जो बिना किसी भवन के संचालित किए जा रहे हैं। यहां के बच्चे पेड़ के नीचे या फिर किसी अन्य विद्यालय के भवन में शिफ्ट वाइज पढ़ने को विवश हैं। शिक्षा विभाग की माने तो जिले में अब भी 22 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं जिनके पास अपना भवन तक नहीं है। इतना ही नहीं सर्व शिक्षा अभियान का स्लोगन सब पढ़े सब बढ़े वह भी धरातल पर कुछ और ही बयां कर रहा है।

विद्यालय से बाहर रह गए बच्चों को विद्यालय में नामांकित कराये जाने का लक्ष्य भी अभी अधूरा है। इसके अलावा मध्य विद्यालय से उत्क्रमित हुए उच्च विद्यालयों में आवश्यक संसाधनों के साथ शिक्षकों की अभी भी कमी है। ऐसे गुणात्मक पूर्ण शिक्षा मिशन का सपना कैसे पूरा होगा।
जिले के 22 प्राथमिक विद्यालयों के पास नहीं है अपना भवन -
जिले में अधिकांश नव सृजित प्राथमिक विद्यालय के भवन निर्माण अधर में लटके होने की बात शिक्षा विभाग के द्वारा बताया गया है। शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो कुछ विद्यालयों के पास भूमि होने के बावजूद भी विवाद के चलते विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते इन विद्यालयों में नामांकित बच्चे पेड़ों व मंदिरों में बैठकर पढ़ने की बात सामने आ रही है। भभुआ प्रखंड में पांच, मोहनियां में एक , भगवानपुर में दो, रामपुर में छह, चांद में पांच, चैनपुर में एक व नुआंव में दो प्राथमिक स्कूलों के भवनों का निर्माण नहीं हो सका है।
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बिना भवन के विद्यालयों की सूची
1. न्यू प्राथमिक विद्यालय पिराघाट - नुआंव
2. न्यू प्राथमिक विद्यालय पनसेरवां - रामगढ़
3. न्यू प्राथमिक विद्यालय बलुआं - भभुआ
4. न्यू प्राथमिक विद्यालय बेलडीह - भगवानपुर
5.न्यू प्राथमिक विद्यालय सेमरिया - भभुआ
6.न्यू प्राथमिक विद्यालय गन्नीपुर - रामपुर
7. न्यू प्राथमिक विद्यालय महादलित टोला तेंदुआं - रामपुर
8.न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया - नुआंव
9. न्यू प्राथमिक विद्यालय हसनुपरा - रामपुर
10. न्यू प्राथमिक विद्यालय पंची - भभुआ
11. न्यू प्राथमिक विद्यालय परशुरामपुर - भभुआ
सहित 22 विद्यालयों के पास भवन नहीं है।
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आदर्श छात्र-शिक्षक अनुपात अभी सपना
भभुआ, जागरण संवाददाता: जिले में अभी भी छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है। जबकि जिले में कभी शिक्षक नियोजन की प्रथम चरण की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद भी यह कमी बनी हुयी है। 35 छात्रों पर एक शिक्षक, आदर्श छात्र-शिक्षक अनुपात माना जाता है परंतु जिले में यह अभी एक सपना ही हैं।
जिले में विद्यालयों की क्या है स्थिति-
1. प्राथमिक विद्यालयों की संख्या - 613
2. मध्य विद्यालयों की संख्या - 584
3. बुनियादी विद्यालयों की संख्या- 6
4. राजकीय कृत माध्यमिक वि. की सं. - 45
5. संस्कृत उच्च विद्यालयों की संख्या -03
6. नव उत्क्रमित उच्च विद्यालयों की संख्या - 40
7.स्थापना अनुमति प्राप्त विद्यालयों की संख्या - 14
माध्यमिक /मध्य एवं प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की संख्या
पदनाम - कुल कार्यरत शिक्षक
प्रधानाध्यापक (उच्च विद्यालय)- 27
सहायक शिक्षक - 129
जिला परिषद माध्यमिक - 305
नगर परिषद शिक्षक - 37
नगर पंचायत माध्यमिक शिक्षक - 6
जिला परिषद उच्च माध्यमिक शिक्षक- 22
नगर पंचायत मोहनियां उच्च माध्यमिक - 29
पुस्तकालयाध्यक्ष - 29
नियमित प्रारम्भिक शिक्षक - 1285
प्रखंड शिक्षकों की संख्या - 3379
पंचायत शिक्षकों की संख्या - 1859
नगर शिक्षक - 99 है ।
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कितने बच्चे हैं विद्यालय से बाहर -
सर्व शिक्षा अभियान के स्लोगन के तहत सब पढ़े - सब बढ़े का नारा सफलता के पायदान पर नहीं पहुंच पा रहा है। विभागीय दावों के मुताबिक चलाये अभियान के बावजूद अभी भी डेढ़ हजार से अधिक बच्चे विद्यालय से बाहर है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी -
सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सत्य नारायण प्रसाद ने कहा कि स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों को नामांकित कराये जाने के लिए चलाये गये अभियान में 600 बच्चों का नामांकन कराया गया है। उन्होंने बताया कि पूरे जिला में 1831 बच्चे स्कूल से बाहर चिन्हित किये गये थे।
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क्या कहती हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी - जिला शिक्षा पदाधिकारी रेखा कुमारी ने कहा कि 22 विद्यालयों के भवन नहीं हैं। कुछ के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पाया है तो कुछ के भूमि पर विवाद चल रहा है। शिक्षकों की भी कमी है। लेकिन प्रथम चरण नियोजन प्रक्रिया में नव नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इस वर्तमान में उर्दू बंगला शिक्षकों की नियोजन प्रक्रिया चल रही है। हर हाल में 29 जुलाई तक नियोजन का कार्य पूरा कर लिया जायेगा।
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क्या कहते हैं लोग -
फोटो फाइल 24 बीएचयू 14
रामगढ़ प्रखंड के पनसेरवां गांव निवासी नथुनी तिवारी कहते हैं कि गांव में विद्यालय की स्थापना तो कर दी गई लेकिन भवन नहीं बना है। जिसके चलते विद्यालय के नन्हें बच्चे भटौली गांव पढ़ने जाते है। जिससे बच्चे और अभिभावक दोनों परेशान है।
फोटो फाइल 24 बीएचयू 15
मदन यादव कहते हैं कि जन प्रतिनिधि भी विद्यालय भवन बनवाने में कोई रूचि नहीं ले रहे है। जिससे विद्यालय भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
फोटो फाइल 24 बीएचयू 16
हरिशंकर तिवारी कहते हैं कि ये कैसी सरकार की नीति है कि बिना भवन के विद्यालय की स्थापना कर दी गई है। और भवन आज तक नहीं बन सका है। इस तरह के विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य कैसा होगा।
फोटो फाइल 24 बीएचयू 17
अशोक यादव कहते है कि शिक्षा विभाग व जन प्रतिनिधि बच्चों के भविष्य के साथ मजाक कर रहे है। विभाग और जन प्रतिनिधि सामंजस्य बैठा ले तो प्रयास करने पर विद्यालय भवन निर्माण के लिए अवश्य जमीन उपलब्ध हो जायेगी।

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