गोपालगंज। गोपालगंज जिले में शिक्षक नियुक्ति में 10 हजार
से अधिक अभ्यर्थियों के टीइटी प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। जिले की 196
नियोजन इकाइयों में से 125 नियोजन इकाइयों ने शिक्षक नियोजन, 2014-15 की
अनुमोदित सूची भेजी है। लगभग 60 फीसदी अभ्यर्थियों के टीइटी प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं, जबकि शेष
71 नियोजन इकाइयों में सभी बीडीओ, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, मुखिया,
पंचायत सचिव को जिला शिक्षा पदाधिकारी ने निर्देश दिया है कि मेधा सूची में
सम्मिलित अभ्यर्थियों का उत्तीर्ण वर्ष नहीं होने के कारण अभ्यर्थियों की
जांच नहीं हो पाई. इसलिए अलग से सूची बना कर तत्काल उपलब्ध कराएं।
साथ ही मूल प्रमाणपत्र के अवलोकन व मिलान के बाद ही योगदान कराएं।
साथ ही योगदान के समय यह प्रमाणपत्र भी लें कि पूर्व से वे कहीं नियोजित नहीं हैं। शिक्षक नियोजन 2014-15 में शिक्षा विभाग की तरफ से टीइटी पास अभ्यर्थियों का नियोजन करने का आदेश था। इसमें शिक्षक पदों के लिए फर्जी टीइटी लगा कर अभ्यर्थियों ने आवेदन दे दिया। गत 22 मार्च से 29 मार्च तक नियोजन इकाइयों द्वारा मेधा सूची के साथ जब सीडी सौंपा गया, तो शिक्षा विभाग ने वेबसाइट से टीइटी का रौल नंबर तथा क्रमांक मिलाना शुरू किया, जिसमें परत-दर-परत फजीर्वाड़ा खुलने लगा।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी का कहना है कि टीइटी और एसटीइटी संबंधित जो भी प्रमाण पत्र होता है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर और टीआर बोर्ड के पास भी रहता है। ऐसे में बोर्ड से फर्जी प्रमाण पत्र नहीं निकाला जा सकता है। डुप्लीकेट प्रमाण पत्र में बोर्ड का रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित नहीं होगा। इस तरह की घटना के बाद अब आगे से बोर्ड और प्रयास करेगा कि प्रमाण पत्र को फर्जी बनाने से रोका जाएं. इसके लिए प्रमाण पत्र में बोर्ड का एक सिंबल दिया जाएगा, जिससे डुप्लीकेट प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा सकेगा।
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साथ ही मूल प्रमाणपत्र के अवलोकन व मिलान के बाद ही योगदान कराएं।
साथ ही योगदान के समय यह प्रमाणपत्र भी लें कि पूर्व से वे कहीं नियोजित नहीं हैं। शिक्षक नियोजन 2014-15 में शिक्षा विभाग की तरफ से टीइटी पास अभ्यर्थियों का नियोजन करने का आदेश था। इसमें शिक्षक पदों के लिए फर्जी टीइटी लगा कर अभ्यर्थियों ने आवेदन दे दिया। गत 22 मार्च से 29 मार्च तक नियोजन इकाइयों द्वारा मेधा सूची के साथ जब सीडी सौंपा गया, तो शिक्षा विभाग ने वेबसाइट से टीइटी का रौल नंबर तथा क्रमांक मिलाना शुरू किया, जिसमें परत-दर-परत फजीर्वाड़ा खुलने लगा।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव श्रीनिवास चंद्र तिवारी का कहना है कि टीइटी और एसटीइटी संबंधित जो भी प्रमाण पत्र होता है, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर और टीआर बोर्ड के पास भी रहता है। ऐसे में बोर्ड से फर्जी प्रमाण पत्र नहीं निकाला जा सकता है। डुप्लीकेट प्रमाण पत्र में बोर्ड का रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित नहीं होगा। इस तरह की घटना के बाद अब आगे से बोर्ड और प्रयास करेगा कि प्रमाण पत्र को फर्जी बनाने से रोका जाएं. इसके लिए प्रमाण पत्र में बोर्ड का एक सिंबल दिया जाएगा, जिससे डुप्लीकेट प्रमाण पत्र नहीं बनाया जा सकेगा।
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