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गुरु बन जाते हैं शिष्य, दफ्तर बन जाता है क्लासरूम

भागलपुर  : यहां एक घंटे की क्लास लगती है. शिष्य की भूमिका में सरकारी शिक्षक होते हैं और गुरु की भूमिका में डीपीओ स्थापना. निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी भी अच्छी अंगरेजी बोलें, इसके लिए उन्होंने नयी पहल शुरू की है. उनका कार्यालय सोमवार को एक घंटे के लिए कक्षा में तब्दील हो जाता है.
बकायदा बोर्ड लगया जाता है. डीपीओ खुद खड़े होकर बोर्ड पर अंगरेजी पढ़ाते हैं.   सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के बीच अंगरेजी के ज्ञानवर्द्धन के लिए इस प्रयास का नाम पहल रखा गया है. 16 जनवरी से इसकी शुरुआत की गयी है. इसका मकसद है कि निजी स्कूलों के बच्चों की तरह सरकारी स्कूल के विद्यार्थी भी शुद्ध शब्दावली के साथ फर्राटेदार अंगरेजी बोलें. यह तभी मुमकिन होगा जब शिक्षकों को अंगरेजी का बेहतर ज्ञान होगा. शिक्षक अपनी रुचि से क्लास में आते हैं और डीपीओ उन्हें शुद्ध अंगरेजी बोलने की तालीम देते हैं.
हर शिक्षक जोड़ेंगे 17 शिक्षक : डीपीओ की क्लास में अंगरेजी सीखने के लिये स्वेच्छा से आने वाले हर शिक्षक 17 शिक्षक जोड़ेंगे. इस तरह अंगरेजी सीखने वालों की एक श्रृंखला बन जायेगी. इससे सरकारी स्कूलों में अंगरेजी भाषा समृद्ध हो पायेगी.
व्हाट्स एप ग्रुप भी बनाया : डीपीओ ने अंगरेजी सीखने की हसरत संजोने वाले शिक्षकों के लिये व्हाट्स एप ग्रुप भी बनाया है. इस ग्रुप के माध्यम से शिक्षकों को अंगरेजी के ज्ञान के अलावा इस विषय से संबंधित समस्याओं का निदान भी किया जायेगा.
ए से एप्पल नहीं ए से आंट पढ़ायें : विद्यार्थियों के आसपास के वातावरण का ध्यान रखना जरूरी है. इसलिए शिक्षकों से कहा गया है कि वह बच्चों को ए से एप्पल की बजाय आंट पढ़ायें. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपने आसपास चींटी तो देखते हैं लेकिन सेब नहीं.

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