गया. बिहार लोक सेवा आयोग ने शुक्रवार को प्रधान शिक्षक और हेडमास्टर भर्ती परीक्षा का रिजल्ट जारी कर दिया है. इस भर्ती परीक्षा में गया जिला के सैकड़ों शिक्षकों को सफलता मिली है. जिले के बांकेबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आदर्श राजकीय मध्य विधालय बिहार गाईं के तीन शिक्षकों का चयन भी इस परीक्षा में हुआ है जिसमें संजीव कुमार, अंजनी कुमार सिन्हा और अशोक कुमार हिमांशु हैं. इनमें संजीव और अंजनी का चयन हेडमास्टर के लिए हुआ है जबकि अशोक का चयन प्रधान शिक्षक के लिए हुआ है.
लोकल 18 ने तीनों शिक्षकों से बात की जिसमें संजीव कुमार ने बताया कि इससे पहले वह जिले के कई स्कूल में योगदान दे चुके हैं. उनकी पहली पोस्टिंग 2013 में पोखरिया उच्च विद्यालय नवादा जिले में हुई थी. उसके बाद कुछ ही महीने में ही गया जिले में चयन हो गया. फिर जिले के कई स्कूल में उन्हें सेवा देने का अवसर मिला और पिछले साल नवंबर महीने से आदर्श राजकीय मध्य विधालय बिहरगाई में इतिहास शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने बताया हम लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ा. शुरु से हम लोग नियोजन में आए तो उच्च वेतनमान के लिए सिस्टम से काफी संघर्ष करना पड़ा.
जब प्रतिभा दिखाने के नहीं मिला मौका
चूंकि हम लोग उच्च योग्यता धारण करते थे लेकिन सरकार की नीतियां
थी उसके तहत हम लोगों को बहुत अल्प वेतनमान पर बहाली की गई थी. हम लोगों के
पास उच्च योग्यता रहते हुए भी उच्च वेतनमान सरकार से नहीं मिला. हमारी
रुचि शिक्षा के क्षेत्र में थी इसलिए हम चाहते थे कि शिक्षक बनें और लगातार
मेहनत करते रहें. विद्यार्थी जीवन में भी हमें काफी संघर्ष करना पड़ा
चूंकि उन दिनों बिहार में बीएड के लिए काफी कम संस्थान थे जिस कारण गोरखपुर
से बीएड किया. राज्य में वैकेंसी नहीं होने के कारण भी काफी संघर्ष करना
पड़ा. इस दौरान कई राज्य में चयन हुआ लेकिन घरेलू परिस्थिति के कारण नौकरी
करने दूसरे राज्य नहीं गए. उच्च योग्यता रखते हुए हम लोगों ने काफी ताने
सुने है कि अगर मेरिट होती तो नियोजन में क्यों रहता? हम लोगों को अपनी
प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल रहा था लेकिन अब हमारा चयन हेडमास्टर के
लिए हुआ है.
पैसों के लिए पढ़ाई ट्यूशन
वहीं अन्य शिक्षक अंजनी कुमार सिंहा ने बताया कि वह बिहरगाई स्कूल
में पिछले 7 महीने से पॉलिटिकल साइंस के शिक्षक के रूप में कार्यरत हूं.
इनकी पहली पोस्टिंग 2013 में हुई थी और इस दौरान जिले के कई स्कूल में सेवा
करने का मौका मिला. अब हमारा चयन हेडमास्टर के लिए हुआ है. इस सफर में
हमें काफी संघर्ष करना पड़ा चूंकि हम घर के बडे सदस्य थे जिस कारण हम पर घर
चलाने की जिम्मेदारी भी थी. भाईयों को पढ़ाया लिखाया और आज भाई लोग भी
अच्छी जगह पर है. विद्यार्थी जीवन में मैट्रिक पास करने के बाद ही दूसरे
बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरु कर दिया था. चूंकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक
नहीं थी जिस कारण ट्यूशन से भी हमें कुछ पैसे मिल जाते थे.
मेहनत की मिला फल
वहीं एक और शिक्षक अशोक कुमार हिमांशु जिनका चयन प्रधान शिक्षक के
रूप में हुआ है उन्होंने लोकल 18 को बताया कि उनका चयन शिक्षा मित्र के
रूप में 2005 में हुआ था और उन दिनों 1500 रुपये की सैलरी थी. उसके बाद
हमने लगातार मेहनत जारी रखी. शुरू में जब 1500 रुपये पर चयन हुआ तो उन
दिनों पैसों की ज्यादा आवश्यकता नहीं थी लेकिन जैसे-जैसे परिवार बढ़ने लगा
पैसों की जरुरत पड़ने लगी. फिर एक मौका मिला और जी जान लगाकर मेहनत की और
आज इस परीक्षा में सफलता मिली है.