भरत चौबे/ सीतामढ़ी:- आज के इस भौतिक युग में जहां हर इंसान अपने और अपने परिवार के भौतिक संसाधनों को जुटाने में व्यस्त हैं. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो दिल में आज भी देश भक्ति का जज्बा रखते हैं. हम आज ऐसे
व्यक्ति के बारे में बात करने वाले हैं, जो अशिक्षा के अंधकार को मिटाने के प्रयास में निरंतर लगे हैं. दरअसल, सीतामढ़ी के सोनबरसा प्रखंड के दलकावा निवासी डॉ. नवल किशोर प्रसाद यादव पेशे से एक शिक्षक थे, जो सेवानिवृति के बाद अपना जीवन बच्चों की बीच शिक्षा का दीप जलाने में लगा रहे हैं. सेवानिवृति के बाद भी गरीब व मेधावी छात्रों को आवश्यकता के अनुसार पाठ्य सामग्री अपने पेंशन की राशि से उपलब्ध करा रहे हैं.नवल किशोर ने सेवानिवृति के बाद कई सरकारी विद्यालयों में बतौर शिक्षक मुफ्त सेवा दी है और आज भी शहर के चकमहिला स्थित एक निजी स्कूल में बच्चों के बीच पहुंच नि:शुल्क शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. साथ-साथ अपनी पेंशन की पूरी राशि बच्चों गरीब व मेधावी छात्रों की पढ़ाई पर खर्च कर रहे हैं. इनके द्वारा प्रत्येक साल कुशाग्र जांच परीक्षा भी आयोजित कराई जाती है. बता दें कि सेवानिवृत्ति के डेढ़ दशक बाद भी शिक्षण से नाता नहीं टूटा. गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा के साथ जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहयोग देते हैं. कुछ ऐसे ही डॉ. नवल प्रसाद यादव हैं. आज उनके पढ़ाए कई युवा नौकरी कर रहे हैं और कई उच्च पदों पर हैं. मूलरूप से सोनबरसा प्रखंड के दलकावा निवासी डॉ. नवल किशोर प्रसाद ने साइंस कॉलेज डुमरा से स्नातक, बीयू से स्नातकोत्तर और मिथिला विवि से डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है.
झुग्गी-झोपड़ी के गरीब बच्चों को देते हैं शिक्षा
साल 1973 में बैरगनिया प्रखंड के पताही स्थित मध्य विद्यालय में शिक्षक के
पद पर उनकी तैनाती हुई थी. स्कूल के साथ वे गांव के बच्चों को घर पर मुफ्त
पढ़ाने लगे. झुग्गी-झोपड़ी में जाकर गरीब बच्चों को शिक्षा देने लगे और
शिक्षण सामग्री भी प्रदान करने लगे. गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, इतिहास,
नागरिक शास्त्र और भूगोल जैसे विषयों पर उनकी जबरदस्त पकड़ है. इसी पकड़ के
चलते उनके घर 8वीं से स्नातक तक के छात्र पहुंच जाते हैं. स्कूलों में
सेवा के बाद साल 2009 में मध्य विद्यालय, रजवाड़ा से सेवानिवृत्त हुए. इसके
बाद भी उनका बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का क्रम जारी रहा. प्राथमिक व
मध्य विद्यालय दलकावा, रजवाड़ा, मध्य विद्यालय इंदरवा और मध्य विद्यालय
सोहरवा आदि स्कूलों में मुफ्त में शिक्षण कार्य किया और साल साल 2018 में
सीतामढ़ी आ गए.
प्रतियोगी परीक्षा के टिप्स देने वाले डॉ. नवल ने बेटे शशिरंजन की हादसे में मौत के बाद उसके नाम पर ‘शशिरंजन शिक्षा केंद्र’ नामक संस्था बनाई गई. इसके तत्वावधान में जिला स्तरीय कुशाग्र बुद्धि परीक्षा का आयोजन करते हैं. इसके माध्यम से पढ़ाई में बच्चों को आर्थिक सहयोग करते हैं. इसके अलावा चकमहिला के एक निजी स्कूल में भी बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं. वो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर युवाओं को सफलता के टिप्स भी देते हैं.