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शिक्षक बहाली : 8 नियोजन इकाइयों में भारी गड़बड़ी, काउंसिलिंग रद्द

 शिक्षक बहाली : 8 नियोजन इकाइयों में भारी गड़बड़ी, काउंसिलिंग रद्द

कहीं नियमों का हुआ उल्लंघन तो कहीं आरक्षण रोस्टर का नहीं किया गया पालन

निरस्त होने वाली में इस्लामपुर, हिलसा, कतरीसराय व सिलाव प्रखण्डों की नियोजन इकाइयां हैं शामिल

काउंसिलिंग निरस्त करने की सूचना डीईओ ने बीईओ, बीडीओ व पंचायत सचिव को भेजी

सभी जगह 12 जुलाई को हुई थी काउंसिलिंग

फोटो :

डीईओ : जिला शिक्षा कार्यालय।

बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान संवाददाता

12 जुलाई को हुए शिक्षक नियोजन में मिल रहीं गड़बड़ियों को विभाग ने काफी गंभीरता से लिया है। शिकायतों वाले नियोजन केन्द्रों से डीईओ केशव प्रसाद ने नियोजन से संबंधित फाइल, वीडियो, सीडी व अन्य दस्तावेज की मांग की थी। उसके बाद जब उसकी जांच की गई तो जिले की आठ नियोजन इकाइयों में भारी गड़बड़ियां पकड़ी गईं। डीईओ ने उन सभी नियोजन केन्द्रों पर हुई काउंसिलिंग को रद्द कर दिया। अकेले इस्लामपुर की तीन नियोजन इकाइयों सूढ़ी, पनहर व कोचरा पंचायतों की काउंसिलिंग रद्द की गयी है।

डीईओ ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि कहीं नियओं का उल्लंघन किया है तो तो कहीं आरक्षण रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया है। निरस्त होने वालों में हिलसा की जूनियार व मिर्जापुर, कतरीसराय की बिलारी व दरवेशपुरा और सिलाव की गोरवां पंचायतें भी शामिल हैं। काउंसिलिंग निरस्त करने की सूचना डीईओ ने संबंधित बीईओ, बीडीओ व पंचायत सचिवों को भेज दी है। इन सभी जगहों पर 12 जुलाई को काउंसिलिंग हुई थी।

बिलारी में रोस्टर का पालन नहीं:

डीईओ ने बताया कि बिलारी में आरक्षण रोस्टर के अनुसार अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया गया है। दरवेशपुरा पंचायत नियोजन इकाई द्वारा नियम का पालन नहीं किया गया। एक-एक अभ्यर्थी को बुलाकर शाम चार बजे तक काउंसिलिंग करायी गई। गोरमा पंचायत नियोजन इकाई द्वारा अभ्यथिर्यों की अंतिम मेधा सूची में नाम रहने के बावजूद भी आवेदन प्राप्ति रसीद पर दस्तखत नहीं रहने के कारण काउंसिलिंग से वंचित रखा गया। इतना ही नहीं, कम अंक वालों की काउंसिलिंग करायी गई।

जांच हुई तो खुली पोल:

इस्लामपुर की सूंढ़ी पंचायत में काउंसिलिंग में चयनित अभ्यर्थियों को नियोजन समाप्त होने के बाद उनकी जगह पर दूसरे अभ्यर्थी का चयन कर लिया गया। पनहर व कोचरा पंचायतों के नियोजन इकाइयों द्वारा पहला दावा निरस्त किए गए अभ्यर्थियों को दोबारा बुलाकर काउंसिलिंग करायी गयी। जबकि, हिलसा के जूनियार व मिर्जापुर में आवासीय प्रमाण पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों का नाम अंतिम मेधा सूची से बाहर कर दिया गया। जांच के दौरान इसके अलावा कई अन्य प्रकार की भी गड़बड़ियां पाई गईं। इसी आधार पर डीईओ ने इन नियोजन केन्द्रों की काउंसिलिंग निरस्त कर दी।

नहीं होती कार्रवाई:

प्रखंड व पंचायत नियोजन इकाइयों में सचिव, मुखिया के अलावा बीईओ व बीडीओ-सीओ द्वारा जमकर नियमों की अवहेलना की गयी है। जांच में इसका खुलासा हो भी रहा है। लेकिन, फिर से काउंसिलिंग कराके अभ्यर्थियों को संतुष्ट करने का महज प्रयास किया जाता है। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों व कर्मियों पर कभी कार्रवाई नहीं होती है। शायद यही कारण है कि वे हर बार सख्ती के बाद भी गड़बड़ी करने का साहस जुटा लेते हैं। इस तरह, मेधावी छात्रों का मनोबल टूटता याता है और कम पढ़े-लिखे व फर्जी सर्टिफिकेट वाले सफल हो जाते हैं।

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