मोतिहारी । अमान्य संस्थानों के प्रमाण पत्र के आधार पर कार्य रहे
शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई के मामले में शिक्षा विभाग एक कदम आगे फिर
दो कदम पीछे की नीति पर चलता रहा है। इस जिले में अब तक कितने शिक्षक
चिन्हित हुए इसकी स्पष्ट तस्वीर कभी सामने आ ही नहीं सकी, कार्रवाई की बात
तो दूर की है।
अगर पूर्व की बात करें तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे। संबंधित नियोजन इकाई को कार्रवाई के लिए फरमान भी जारी किए गए मगर बात वहीं की वहीं रही। अब स्थिति यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रधान सचिव आरके महाजन ने भी इस दिशा में तेजी लाने को कहा है। जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि नियोजन इकाई द्वारा स़मय व तत्परतापूर्वक कार्रवाई नहीं करने से विभाग को कई स्तर पर अप्रिय एवं अवांछित स्थिति की सामना करना पड़ता है। प्रधान सचिव ने निर्देश दिया है कि अवैध-अमान्य प्रमाण पत्र के आधार पर कार्य कर रहे नियोजित शिक्षकों के चिन्हित होने पर उनके विरूद्ध विभिन्न नियोजन इकाई द्वारा ससमय कार्रवाई पूर्ण कराने के मामले की समीक्षा डीएम खुद के स्तर पर करें। समीक्षोपरांत ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित किया जाए। 89 नियोजन इकाई पर दर्ज हो चुकी है प्राथमिकी
बिहार सरकार ने जांच का जिम्मा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंप जरूर दिया, मगर जांच के लिए सभी शिक्षकों के फोल्डर ही नहीं उपलब्ध हो सके हैं। तमाम निर्देशों के बाद भी कई नियोजन इकाई द्वारा इस कार्य को पूरा नहीं किया गया। अंतत: विभाग ने ऐसी इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिया था। इस निर्देश के आलोक में जिले में अब तक 89 नियोजन इकाई पर प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। साथ ही डीपीओ स्थापना ने सभी बीईओ को पत्र जारी कर दर्ज कराई गई प्राथमिकी की अद्यतन जानकारी भी मांगी थी। 31 शिक्षकों ने दिया था स्वेच्छा से त्याग पत्र
फर्जी तरीके से नियोजित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने क्षमादान का एक अवसर भी दिया था। प्रधान सचिव के निर्देश पर क्षमादान के तहत इस जिले में कुल 31 शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दिया था। मगर समस्या यह है कि उनके त्याग पत्र देने के बाद भी संबंधित कई नियोजन इकाई द्वारा उसे स्वीकृति नहीं प्रदान की गई। इस बात के मद्देनजर डीपीओ स्थापना ने रक्सौल, मोतिहारी, संग्रामपुर, रामगढ़वा, चकिया, बंजरिया, पीपराकोठी, मधुबन एवं चिरैया के प्रखंड विकास पदाधिकारी सह सदस्य सचिव प्रखंड नियोजन इकाई को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था कि अब तक स्वीकृति दी गई है या नहीं।
अगर पूर्व की बात करें तो ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए थे। संबंधित नियोजन इकाई को कार्रवाई के लिए फरमान भी जारी किए गए मगर बात वहीं की वहीं रही। अब स्थिति यह है कि उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रधान सचिव आरके महाजन ने भी इस दिशा में तेजी लाने को कहा है। जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि नियोजन इकाई द्वारा स़मय व तत्परतापूर्वक कार्रवाई नहीं करने से विभाग को कई स्तर पर अप्रिय एवं अवांछित स्थिति की सामना करना पड़ता है। प्रधान सचिव ने निर्देश दिया है कि अवैध-अमान्य प्रमाण पत्र के आधार पर कार्य कर रहे नियोजित शिक्षकों के चिन्हित होने पर उनके विरूद्ध विभिन्न नियोजन इकाई द्वारा ससमय कार्रवाई पूर्ण कराने के मामले की समीक्षा डीएम खुद के स्तर पर करें। समीक्षोपरांत ऐसे मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित किया जाए। 89 नियोजन इकाई पर दर्ज हो चुकी है प्राथमिकी
बिहार सरकार ने जांच का जिम्मा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंप जरूर दिया, मगर जांच के लिए सभी शिक्षकों के फोल्डर ही नहीं उपलब्ध हो सके हैं। तमाम निर्देशों के बाद भी कई नियोजन इकाई द्वारा इस कार्य को पूरा नहीं किया गया। अंतत: विभाग ने ऐसी इकाई के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को दिया था। इस निर्देश के आलोक में जिले में अब तक 89 नियोजन इकाई पर प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है। साथ ही डीपीओ स्थापना ने सभी बीईओ को पत्र जारी कर दर्ज कराई गई प्राथमिकी की अद्यतन जानकारी भी मांगी थी। 31 शिक्षकों ने दिया था स्वेच्छा से त्याग पत्र
फर्जी तरीके से नियोजित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने क्षमादान का एक अवसर भी दिया था। प्रधान सचिव के निर्देश पर क्षमादान के तहत इस जिले में कुल 31 शिक्षकों ने स्वेच्छा से त्याग पत्र दे दिया था। मगर समस्या यह है कि उनके त्याग पत्र देने के बाद भी संबंधित कई नियोजन इकाई द्वारा उसे स्वीकृति नहीं प्रदान की गई। इस बात के मद्देनजर डीपीओ स्थापना ने रक्सौल, मोतिहारी, संग्रामपुर, रामगढ़वा, चकिया, बंजरिया, पीपराकोठी, मधुबन एवं चिरैया के प्रखंड विकास पदाधिकारी सह सदस्य सचिव प्रखंड नियोजन इकाई को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था कि अब तक स्वीकृति दी गई है या नहीं।