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टीईटी और नन टीईटी मुद्दा नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-समान काम समान वेतन पर करें बहस

पटना/दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में 3.56 लाख शिक्षकों को समान काम समान वेतन मामले पर बहस बुधवार को 16 वें दिन भी अधूरी रही। गुरुवार को भी शिक्षक संघ की ओर से बहस जारी रहेगी। बहस के दौरान कोर्ट ने कहा- टीईटी और नन टीईटी अभी मुद्दा नहीं है। समान काम समान वेतन मामले पर ही बहस को फोकस करें। न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
गुरुवार को भी बहस जारी रहेगी। विभिन्न माध्यमिक शिक्षक संघो के वकील ने कोर्ट से कहा कि प्लस टू स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता पर तो कोई सवाल नहीं है। इन्होंने एसटीईटी भी उत्तीर्ण की है। कोर्ट ने शिक्षक संघ के वकील अभिषेक मनु सिंधवी से डाइंग कैडर के बारे में पूछा-क्या 2006 के बाद किसी की नियमित बहाली हुई है?

वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम, सी बैद्यनाथन और रणजीत कुमार ने नियोजित शिक्षक संघों की ओर से पक्ष रखा। चिदंबरम ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि बेवजह नियोजित शिक्षकों को परेशान कर रही है। सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। शिक्षा मद की राशि प्रति वर्ष राज्य सरकार द्वारा केंद्र को बिना खर्च किए वापस कर दिया जाता है। इसलिए रुपए की कमी बहाना है। शिक्षक संघ के अन्य वकीलों ने कहा कि समान काम के लिए समान वेतन नियोजित शिक्षकों का अधिकार है। पटना हाईकोर्ट का नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सही है। राज्य सरकार के एसएलपी को खारिज कर दिया जाना चाहिए।

शिक्षक संघों की ओर से कहा गया कि जो भी बहाली हुई एनसीटीई के निर्देश पर हुई थी। माध्यमिक शिक्षक संघों के वकील ने कहा कि 133529 माध्यमिक शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों सहित सभी नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन मिलना चाहिए। सी बैद्यनाथन ने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देकर समान वेतन देने की दलील दी। इसके पहले कई बार केंद्र और राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा था कि समान वेतन देने की आर्थिक स्थिति नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कहा था समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को वहन करना संभव नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने भी कहा था कि आर्थिक स्थिति नहीं कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा। जुलाई 2015 से ही शिक्षकों को वेतनमान दिया जा चुका है। 2015 में 14 और 2017 में लगभग 17 प्रतिशत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी भी हुई है।

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