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नियोजित शिक्षकों को समान काम समान वेतन पर हो सकता है फैसला

राज्य के 3.55 लाख नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई होगी। राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में पे-पैकेज का प्रस्ताव रखा गया है।
उत्तरप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों से वहां के शिक्षकों को दिया जा रहा वेतन या मानदेय का तुलनात्मक अध्ययन कर राज्य सरकार ने करीब 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है। हालांकि, अलग-अलग शिक्षकों की कोटि और स्लैब के आधार पर करीब 20 से 30 प्रतिशत वेतनवृद्धि का लाभ देने की बात रिपोर्ट है। 7वें वेतन आयोग की अनुशंसा पर वेतनवृद्धि के अतिरिक्त यह लाभ होगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

3.55लाख नियोजित िशक्षकों का है मामला

28हजार करोड़ वेतन पर अतिरिक्त भार

52हजार करोड़ का होगा एरियर

7वें वेतन आयोग की अनुशंसा से भी बढ़ेगा वेतन

मुख्य सचिव की कमेटी ने सौंपी है रिपोर्ट

मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में नियोजित शिक्षकों को पे-पैकेज के लिए तीन सदस्यीय कमेटी ने रिपोर्ट फाइनल की है। कमेटी में मुख्य सचिव के अलावा जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी शामिल हैं। इसके पहले कमेटी ने विभिन्न शिक्षक और संबंधित लोगों से प्रस्ताव लिया था। सुप्रीम कोर्ट में पेश कमेटी की रिपोर्ट में कहा जाएगा कि निर्धारित पे-पैकेज का लाभ लेने के लिए नियोजित शिक्षकों को विशेष परीक्षा पास करना जरूरी होगा। परीक्षा पास करने के लिए सरकार शिक्षकों को दो मौका देगी।

सरकार ने कोर्ट के सामने रखी है स्थिति

इसके पहले भी सरकार की वकील ने कोर्ट को बताया था कि प्रति वर्ष शिक्षकों के वेतन पर 28 हजार करोड़ अतिरिक्त भार पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा। राज्य सरकार की ओर से फिर एक बार सुप्रीम कोर्ट को बताया जाएगा कि शर्त के आधार पर ही पंचायत और नगर निकाय के माध्यम से इन शिक्षकों का नियोजन किया गया है। सरकार ने सीधे इन शिक्षकों की बहाली नहीं की है। फिर भी राज्य सरकार ने समय-समय पर इनके वेतन में वृद्धि में होती रही है।

चिह्नित इलाकों में ऑपरेशन

रेड जोन में ही नक्सलियों को घेरने की तैयारी

क्राइम रिपोर्टर|पटना

‘रेड जोन’ यानी नक्सलियों को उनके गढ़ में ही घेरने में सीआरपीएफ व एसटीएफ लगी हुई है। इसी क्रम में बीते तीन महीने में आमना-सामना होने पर नक्सलियों को पीछे धकेला गया है। औरंगाबाद से जमुई पॉकेट तक मुठभेड़ हुए हैं। लंबे अंतराल के बाद इस वर्ष के शुरुआत में सुरक्षा बलों को झटका देने के बाद नक्सली लगातार बैकफुट पर हैं। 2 जनवरी को औरंगाबाद-गया बॉर्डर पर नक्सलियों के हमले में एक कोबरा कमांडो शहीद हो गया था। इसके बाद लगातार नक्सलियों पर दबिश बढ़ाई गई है। बदली हुई परिस्थितियों में प्रभावी ऑपरेशन के लिए नक्सलियों के ‘सेफ जोन’ को चिन्हित करके खासकर रेड जोन में जंगली व पहाड़ी इलाकों में नक्सल गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इस रणनीति के तहत स्पष्ट मैसेज है कि रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक ऑपरेशन में अपना नुकसान नहीं होने देना आैर दुश्मन का ज्यादा से ज्यादा नुकसान करना। राज्य में एंटी नक्सल ऑपरेशन में सीआरपीएफ के 4 बटालियन व कोबरा के 2 बटालियन तैनात हैं। इसके अलावा एसटीएफ व एसएसबी की टुकड़ी भी लगी हुई है। तल्ख हकीकत यह भी है राज्य में चलाए जा रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन में सुरक्षा बलों के सामने आईईडी सबसे बड़ा खतरा है। यह नक्सलियों का अहम व कारगर घातक हथियार है।

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