लखीसराय। कजरा शिक्षांचल के एक पंचायत शिक्षक के द्वारा नियोजन के बाद से
ही वर्ष 2006 से अब तक विद्यालय से लगातार अनुपस्थित रहने के बाबजूद मानदेय
उठाकर विभाग को कई वर्षों से चूना लगाने का मामला प्रकाश में आया
है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार बुधौली बनकर पंचायत के आदिवासी बहुल क्षेत्र बांकुड़ा के प्राथमिक विद्यालय में वर्ष 2006 में पंचायत शिक्षक के तौर रविन्द्र यादव ने योगदान किया लेकिन उसके बाद कभी विद्यालय का मुंह नहीं देखा कुछ स्थानीय लोगों और विभागीय से¨टग-गे¨टग की वजह से बीते दस सालों से मानदेय उठाते रहे।ये मसला तब खुला जब तत्कालीन जिलाधिकारी सुनील कुमार द्वारा गठित नक्सल प्रभावित अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास कोषांग की 8जुलाई 2016 को आयोजित बैठक में पूरी पड़ताल के बाद उक्त शिक्षक के विरुद्ध विभागीय को कार्रवाई का आदेश दिया गया। जिसकी छानबीन में यह भी पाया गया कि उक्त नियोजित शिक्षक अन्यत्र कहीं व्यवसाय करते हैं तथा विभाग को दस वर्षों तक आंखों में धूल झोंककर निर्धारित मानदेय उठाते रहे।जिसके आलोक में स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विजय कुमार मिश्रा ने मंगलवार को बीईओ कार्यालय कजरा को चिट्ठी संप्रेषित कर बुधौली बनकर पंचायत के मुखिया तथा सचिव को उक्त शिक्षक से बीते दस वर्षों से अब तक मानदेय वसूली करने तथा उनपर आवश्यक कार्रवाई का आदेश दिया है। इसके पूर्व में भी उक्त शिक्षक के निलम्बन को लेकर एक चिट्ठी बीईओ कार्यालय कजरा को सम्प्रेषित की जा चुकी है। गौरतलब है कि कजरा व पीरी बाजार के नक्सल प्रभावित इलाके में संचालित विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षकों द्वारा कई बार इस तरह के कारनामे किये जा चुके हैं और कइयों पर विभाग ने कार्रवाई भी की है बाबजूद न अबतक इस तरह के शिक्षक सबक ले सके और न ही विभाग। सूत्रों का ये भी मानना है कि बिना विभागीय से¨टग-गे¨टग के इस तरह के कारनामे अंजाम देना मुश्किल है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार बुधौली बनकर पंचायत के आदिवासी बहुल क्षेत्र बांकुड़ा के प्राथमिक विद्यालय में वर्ष 2006 में पंचायत शिक्षक के तौर रविन्द्र यादव ने योगदान किया लेकिन उसके बाद कभी विद्यालय का मुंह नहीं देखा कुछ स्थानीय लोगों और विभागीय से¨टग-गे¨टग की वजह से बीते दस सालों से मानदेय उठाते रहे।ये मसला तब खुला जब तत्कालीन जिलाधिकारी सुनील कुमार द्वारा गठित नक्सल प्रभावित अनुसूचित जनजाति क्षेत्र विकास कोषांग की 8जुलाई 2016 को आयोजित बैठक में पूरी पड़ताल के बाद उक्त शिक्षक के विरुद्ध विभागीय को कार्रवाई का आदेश दिया गया। जिसकी छानबीन में यह भी पाया गया कि उक्त नियोजित शिक्षक अन्यत्र कहीं व्यवसाय करते हैं तथा विभाग को दस वर्षों तक आंखों में धूल झोंककर निर्धारित मानदेय उठाते रहे।जिसके आलोक में स्थापना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विजय कुमार मिश्रा ने मंगलवार को बीईओ कार्यालय कजरा को चिट्ठी संप्रेषित कर बुधौली बनकर पंचायत के मुखिया तथा सचिव को उक्त शिक्षक से बीते दस वर्षों से अब तक मानदेय वसूली करने तथा उनपर आवश्यक कार्रवाई का आदेश दिया है। इसके पूर्व में भी उक्त शिक्षक के निलम्बन को लेकर एक चिट्ठी बीईओ कार्यालय कजरा को सम्प्रेषित की जा चुकी है। गौरतलब है कि कजरा व पीरी बाजार के नक्सल प्रभावित इलाके में संचालित विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षकों द्वारा कई बार इस तरह के कारनामे किये जा चुके हैं और कइयों पर विभाग ने कार्रवाई भी की है बाबजूद न अबतक इस तरह के शिक्षक सबक ले सके और न ही विभाग। सूत्रों का ये भी मानना है कि बिना विभागीय से¨टग-गे¨टग के इस तरह के कारनामे अंजाम देना मुश्किल है।