पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के शिक्षामंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा ने
शिक्षकों से दो टूक शब्दों में कहा है कि सिर्फ स्कूल पहुंच कर हाजिरी
बनाने से काम नहीं चलेगा। स्कूल आए हैं तो बच्चों को पढ़ाना भी होगा।
अगर शिक्षकों को यह लगता है की नौकरी मिली है तो वेतन भी मिलेगा तो अब ऐसा नही होगा।
वेतन बच्चों को पढ़ाने के एवज में मिलता है और यह कार्य शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। शिक्षामंत्री का प्रभार ग्रहण करने के बाद क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक में मंत्री के तेवर सख्त दिखे।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि शिक्षक स्कूल नहीं आते परन्तु बाद में उनकी हाजिरी जरूर बन जाती है। अब आगे से ऐसा नहीं होगा।
निरीक्षण व्यवस्था को किया जाएगा दुरुस्त
मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि पहले स्कूलों में औचक निरीक्षण की परंपरा थी, जो समय के साथ लगभग खत्म हो गई है। अब इसे फिर से चालू किया जाएगा। अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण करें और निरीक्षण के दिन ही अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को मुहैया करा दें। ताकि इसमें बाद में किसी प्रकार का घालमेल न किया जा सके।
उन्होंने अधिकारियों को बताया कि मुख्यालय में एक मॉनीटरिंग सेल गठित किया जा रहा है। इसकी अध्यक्षता प्रधान सचिव करेंगे। यह मॉनीटरिंग सेल जिलों से प्राप्त होने वाली निरीक्षण रिपोर्ट पर कार्रवाई करेगा।
मध्याह्न भोजन के बाद भी रुके बच्चे
मंत्री ने कहा कि एक तो पहले से ही सरकारी स्कूलों में नियमित क्लास नहीं होती है। जहां होती भी है वहां से ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि मध्याह्न भोजन खाने के बाद बच्चे स्कूल से गायब हो जाते हैं और घर या खेलने चले जाते हैं।
बेहतर प्रदर्शन वाले स्कूल होंगे पुरस्कृत
मंत्री वर्मा ने कहा कि वे जल्द ही जिलों के दौरे पर आएंगे। वे स्कूलों का मुआयना करने के साथ साथ बच्चों से बातचीत भी करेंगे। जिस स्कूल के बारे में अच्छी जानकारी मिलेगी और जिनका प्रदर्शन श्रेष्ठ होगा उन्हें सरकार पुरस्कृत करेगी।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के बाद से वे इसकी शुरुआत अपने गृह जिले जहानाबाद से कर सकते हैं। बैठक में सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों के साथ ही जिलों के शिक्षा पदाधिकारी व शिक्षा विभाग के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।
अगर शिक्षकों को यह लगता है की नौकरी मिली है तो वेतन भी मिलेगा तो अब ऐसा नही होगा।
वेतन बच्चों को पढ़ाने के एवज में मिलता है और यह कार्य शिक्षकों को प्राथमिकता के आधार पर करना होगा। शिक्षामंत्री का प्रभार ग्रहण करने के बाद क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों के साथ अपनी पहली बैठक में मंत्री के तेवर सख्त दिखे।
उन्होंने कहा कि सरकार के पास ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि शिक्षक स्कूल नहीं आते परन्तु बाद में उनकी हाजिरी जरूर बन जाती है। अब आगे से ऐसा नहीं होगा।
निरीक्षण व्यवस्था को किया जाएगा दुरुस्त
मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि पहले स्कूलों में औचक निरीक्षण की परंपरा थी, जो समय के साथ लगभग खत्म हो गई है। अब इसे फिर से चालू किया जाएगा। अधिकारी स्कूलों का निरीक्षण करें और निरीक्षण के दिन ही अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को मुहैया करा दें। ताकि इसमें बाद में किसी प्रकार का घालमेल न किया जा सके।
उन्होंने अधिकारियों को बताया कि मुख्यालय में एक मॉनीटरिंग सेल गठित किया जा रहा है। इसकी अध्यक्षता प्रधान सचिव करेंगे। यह मॉनीटरिंग सेल जिलों से प्राप्त होने वाली निरीक्षण रिपोर्ट पर कार्रवाई करेगा।
मध्याह्न भोजन के बाद भी रुके बच्चे
मंत्री ने कहा कि एक तो पहले से ही सरकारी स्कूलों में नियमित क्लास नहीं होती है। जहां होती भी है वहां से ऐसी सूचनाएं आ रही हैं कि मध्याह्न भोजन खाने के बाद बच्चे स्कूल से गायब हो जाते हैं और घर या खेलने चले जाते हैं।
बेहतर प्रदर्शन वाले स्कूल होंगे पुरस्कृत
मंत्री वर्मा ने कहा कि वे जल्द ही जिलों के दौरे पर आएंगे। वे स्कूलों का मुआयना करने के साथ साथ बच्चों से बातचीत भी करेंगे। जिस स्कूल के बारे में अच्छी जानकारी मिलेगी और जिनका प्रदर्शन श्रेष्ठ होगा उन्हें सरकार पुरस्कृत करेगी।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के बाद से वे इसकी शुरुआत अपने गृह जिले जहानाबाद से कर सकते हैं। बैठक में सभी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों के साथ ही जिलों के शिक्षा पदाधिकारी व शिक्षा विभाग के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।