आज़ सुबह फ़िर बारिश आई !
बिछावन का एक कोना गीला देख छोटका की ओर हाथ उठाया ही था कि मुँह फाड़ के चिल्लाने लगा "हम नहीं किये हैं पप्पा !
तभी नज़र ऊपर छत की ओर गई और एक बूँद "टप्प" आँखो से होते नीचे गिर गई !
घर की दीवारें 50 साल पुरानी हो गई हैं,एक कोना तो ढह भी चुका है !
सोचा था छः माह का बकाया एक साथ मिल जाता तो कुछ मरम्मत करा लेता,मगर दो माह के वेतन मे कुछ गुप्ता जी के राशन दुकान मे दे आया और कुछ कल की दाल रोटी के लिये रख लिया !
बारिश तेज हुई तो भीतरी दीवार के सहारे बारिश की बूँदें लुढक कर बाहर निकलने का रास्ता ढ़ूंढ़ रही हैं !
सावन का पहला दिन,आँगन मे विराजमान भोलेनाथ पर निरंतर गिरता जल,और वो मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं !
दूरदर्शन को वस्त्रालय के चिमकी से ढक दिया !किताबें भिंगने लगी तो उन्हे पलंग के नीचे छोटे मेज पर शरण लेना पड़ा !
स्कूल भी जाना है,लेकिन हाथ विभिन्न बरतनों से सुसज्जित हैं और परेशां आँखें एकटक छत की ओर निहार रही हैं ,न जाने कहाँ से फ़िर जलप्रपात फूट पड़े !तभी जोर से बिजली कड़कती है और......
"हेलो,
मास्टरसाहेब जल्दी आइये जिला से साहेब आये हैं,उपस्थिति पंजी खाली था "
बिना नहाये कपड़े पहने और
घरवाली से एक हज़ार रु उधार ले कीचड़ से सने रास्ते पर भींगते हुये चल दिया !
पैर साइकिल के पैडल दबा रहे थे और बार बार आसमां की ओर देखते मनमस्तिष्क मे बस एक बात
"अबकी बरसात किसी तरह कट जाये,अगली बरसात से पहले छत की मरम्मत करा लूँगा "
#एक_नियोजित_शिक्षक
बिछावन का एक कोना गीला देख छोटका की ओर हाथ उठाया ही था कि मुँह फाड़ के चिल्लाने लगा "हम नहीं किये हैं पप्पा !
तभी नज़र ऊपर छत की ओर गई और एक बूँद "टप्प" आँखो से होते नीचे गिर गई !
घर की दीवारें 50 साल पुरानी हो गई हैं,एक कोना तो ढह भी चुका है !
सोचा था छः माह का बकाया एक साथ मिल जाता तो कुछ मरम्मत करा लेता,मगर दो माह के वेतन मे कुछ गुप्ता जी के राशन दुकान मे दे आया और कुछ कल की दाल रोटी के लिये रख लिया !
बारिश तेज हुई तो भीतरी दीवार के सहारे बारिश की बूँदें लुढक कर बाहर निकलने का रास्ता ढ़ूंढ़ रही हैं !
सावन का पहला दिन,आँगन मे विराजमान भोलेनाथ पर निरंतर गिरता जल,और वो मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं !
दूरदर्शन को वस्त्रालय के चिमकी से ढक दिया !किताबें भिंगने लगी तो उन्हे पलंग के नीचे छोटे मेज पर शरण लेना पड़ा !
स्कूल भी जाना है,लेकिन हाथ विभिन्न बरतनों से सुसज्जित हैं और परेशां आँखें एकटक छत की ओर निहार रही हैं ,न जाने कहाँ से फ़िर जलप्रपात फूट पड़े !तभी जोर से बिजली कड़कती है और......
"हेलो,
मास्टरसाहेब जल्दी आइये जिला से साहेब आये हैं,उपस्थिति पंजी खाली था "
बिना नहाये कपड़े पहने और
घरवाली से एक हज़ार रु उधार ले कीचड़ से सने रास्ते पर भींगते हुये चल दिया !
पैर साइकिल के पैडल दबा रहे थे और बार बार आसमां की ओर देखते मनमस्तिष्क मे बस एक बात
"अबकी बरसात किसी तरह कट जाये,अगली बरसात से पहले छत की मरम्मत करा लूँगा "
#एक_नियोजित_शिक्षक