आज शिक्षक चौपाल के अस्तित्व में आये लगभग एक माह पूरा होने को है । इन एक महीने में हमने बहुत सारे घटनाक्रम को देखा ।सर्वप्रथम हमलोगों ने सभी संघों को एक मंच पर लाने के लिये सभी आम शिक्षकों ने काफी प्रयास किया ।किसी ने उपलब्ध नही रहने की वजह बताकर मिलने से इनकार कर दिया ।
किसी ने अत्यधिक व्यस्तता की वजह से आगे भविष्य के लिये टाल दिया तो किसी ने कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त नही की और ढुलमूल रवैया अख्तियार किया ।
किसी ने सीधे तौर पर मिलने से तो इनकार नही किया लेकिन मिलने का कोई समय भी नही दिया ।आनन-फानन में कुछ संघों ने आगे की आंदोलन की तिथि भी तय कर दी ।शायद आम शिक्षक चौपाल के दवाब की वजह हो सकती है ।लगातार सोये रहने के बाद त्रिनेत्र खोलना इसी ओर संकेत करता है ।यहाँ पर हमारा उद्देश्य थोड़ा बहुत सफल होता दिखता है। आम शिक्षक चौपाल के लोगों को न नेतागिरी करना है और न ही किसी संघ का निर्माण करना है ।अगर यही करना होता तो बहुत पहले चुटकी बजाते कर लेते, परन्तु शिक्षक राजनीति से आम शिक्षक चौपाल का कोई मतलब नही है ।अगर सभी संघों को ये लगता है की शिक्षक चौपाल से डरकर या घबराकर एक मंच पर नही आयेंगे तो मैं आप सभी संघ के लोगों को कहना चाहता हूँ की हमलोगों का उद्देश्य सभी संघ को प्रेम तथा आदर के साथ एक मंच पर लाना चाहते है न की डरा धमका कर या भय दिखाकर । जिससे हमारी प्रमुख माँगे #समान_कार्य_समान_वेतन और राज्यकर्मी का दर्जा सम्मिलित प्रयास से जल्दी मिल जायें ।
अगर आम शिक्षक चौपाल को आपलोग क्रेडिट नही देना चाहते तो कोई बात नही आपलोग स्वयं मिल जायें तो हमलोगों को हार्दिक प्रसन्नता होगी और हमारा मिशन भी पूरा हो जायेगा ।सभी संघ के मीडिया प्रभारी होते है तो आपस में मंत्रणा कर शिक्षक हित में एक मंच पर आने की कृपा करे । इसी में सभी शिक्षकों का कल्याण है ।
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एक बात मैं आप सभी शिक्षक चौपाल के साथियों से कहना चाहता हूँ की हमें हार कदापि नही मानना है ।बल्कि एक नया अनुभव लेकर आगे बढ़ना है ।
अभी जो भी संगठन अस्तित्व में है उनसे पूछिये की उन्होने अपना संगठन खड़ा करने के लिये ना जाने कितने पापड़ बेले होंगे, सालों साल मेहनत की होगी ।यहाँ तक पहुँचने में उन्होने काफी संघर्ष किया होगा तब जाकर यहाँ तक पहुँचे होंगे ।
और हम मात्र एक माह में असफल नही हो सकते ।
हमें दुगुने उत्साह से आगे बढ़ना होगा ।
हरिवंश राय बच्चन जी की ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक है ।हम सभी इससे सीख ले ।
आपलोग इसपर अपनी राय दे...
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हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती.. -हरिवंश राय बच्चन
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है...
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है...
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है...
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है...
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है...
जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है..
मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में...
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में...
मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो...
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो...
जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम...
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम...
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
किसी ने अत्यधिक व्यस्तता की वजह से आगे भविष्य के लिये टाल दिया तो किसी ने कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त नही की और ढुलमूल रवैया अख्तियार किया ।
किसी ने सीधे तौर पर मिलने से तो इनकार नही किया लेकिन मिलने का कोई समय भी नही दिया ।आनन-फानन में कुछ संघों ने आगे की आंदोलन की तिथि भी तय कर दी ।शायद आम शिक्षक चौपाल के दवाब की वजह हो सकती है ।लगातार सोये रहने के बाद त्रिनेत्र खोलना इसी ओर संकेत करता है ।यहाँ पर हमारा उद्देश्य थोड़ा बहुत सफल होता दिखता है। आम शिक्षक चौपाल के लोगों को न नेतागिरी करना है और न ही किसी संघ का निर्माण करना है ।अगर यही करना होता तो बहुत पहले चुटकी बजाते कर लेते, परन्तु शिक्षक राजनीति से आम शिक्षक चौपाल का कोई मतलब नही है ।अगर सभी संघों को ये लगता है की शिक्षक चौपाल से डरकर या घबराकर एक मंच पर नही आयेंगे तो मैं आप सभी संघ के लोगों को कहना चाहता हूँ की हमलोगों का उद्देश्य सभी संघ को प्रेम तथा आदर के साथ एक मंच पर लाना चाहते है न की डरा धमका कर या भय दिखाकर । जिससे हमारी प्रमुख माँगे #समान_कार्य_समान_वेतन और राज्यकर्मी का दर्जा सम्मिलित प्रयास से जल्दी मिल जायें ।
अगर आम शिक्षक चौपाल को आपलोग क्रेडिट नही देना चाहते तो कोई बात नही आपलोग स्वयं मिल जायें तो हमलोगों को हार्दिक प्रसन्नता होगी और हमारा मिशन भी पूरा हो जायेगा ।सभी संघ के मीडिया प्रभारी होते है तो आपस में मंत्रणा कर शिक्षक हित में एक मंच पर आने की कृपा करे । इसी में सभी शिक्षकों का कल्याण है ।
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एक बात मैं आप सभी शिक्षक चौपाल के साथियों से कहना चाहता हूँ की हमें हार कदापि नही मानना है ।बल्कि एक नया अनुभव लेकर आगे बढ़ना है ।
अभी जो भी संगठन अस्तित्व में है उनसे पूछिये की उन्होने अपना संगठन खड़ा करने के लिये ना जाने कितने पापड़ बेले होंगे, सालों साल मेहनत की होगी ।यहाँ तक पहुँचने में उन्होने काफी संघर्ष किया होगा तब जाकर यहाँ तक पहुँचे होंगे ।
और हम मात्र एक माह में असफल नही हो सकते ।
हमें दुगुने उत्साह से आगे बढ़ना होगा ।
हरिवंश राय बच्चन जी की ये पंक्तियां आज भी प्रासंगिक है ।हम सभी इससे सीख ले ।
आपलोग इसपर अपनी राय दे...
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हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती.. -हरिवंश राय बच्चन
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है...
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है...
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है...
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है...
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है...
जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है..
मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में...
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में...
मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
असफलता एक चुनौती है... स्वीकार करो...
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो...
जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम...
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम...
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती...
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...