राजनीति के शिकार शिक्षक : 2015 के नियोजित लगभग 200 शिक्षकों का वेतन जांच के नाम पर रुका हुआ था !रजनीश मिश्रा,कुमार सौरभ एवं अन्य साथियों के प्रयास से एक माह का भुगतान हुआ,फ़िर जब शेष राशि के लिये वृहत आंदोलन की तैयारी की जा रही थी,तभी प्रदेश अध्यक्ष द्वाराजिला ईकाई भंग कर दी जाती है !
अर्थात इन शिक्षक समस्याओ से बड़े लोगों को कोई सरोकार नहीं !ना पाठक जी ना ही डिसूजा जी आयेंगे इस कार्य के लिये !
किस नैतिकता के आधार पर आप शिक्षक रहनुमा बनते हैं ?
शिक्षक अपने हक के पैसे के लिये मोहताज रहें और ये नेतागिरी करते रहें !
स्थानीय परेशानियों का हल कैसे हो?
विभाग के समक्ष अपनी बात कैसे रखी जाय ?
क्या शिक्षक यूँ ही शोषित होते रहें कभी विभाग से,कभी शिक्षक नेता से ?
अर्थात इन शिक्षक समस्याओ से बड़े लोगों को कोई सरोकार नहीं !ना पाठक जी ना ही डिसूजा जी आयेंगे इस कार्य के लिये !
किस नैतिकता के आधार पर आप शिक्षक रहनुमा बनते हैं ?
शिक्षक अपने हक के पैसे के लिये मोहताज रहें और ये नेतागिरी करते रहें !
स्थानीय परेशानियों का हल कैसे हो?
विभाग के समक्ष अपनी बात कैसे रखी जाय ?
क्या शिक्षक यूँ ही शोषित होते रहें कभी विभाग से,कभी शिक्षक नेता से ?