शेरघाटी.कोठी थानाध्यक्ष मो. क्यामुद्दीन अंसारी की हत्या के
बाद पुलिस महकमे के अधिकारी सकते में हैं। अंसारी अपराधियों के अलावे
नक्सलियों के लिए भी बड़े दुश्मन थे। कमोवेश हर नक्सली आॅपरेशन में उन्हें
शामिल किया जाता था। कोठी थाना क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि उनके यहां
योगदान देने के बाद इस इलाके के बड़े-बड़े अपराधियों ने अपना ठिकाना बदल
लिया था। लोगों ने शांति से रहना शुरू कर दिया था।
- आम ग्रामीण खासकर लाचार लोगों की समस्या को गंभीरता से सुनते थे। थानेदार की हत्या की खबर से सभी लोग हतप्रभ थे।
- भाई ने कहा कि नहीं रहा हमारा दिलेर : कोठी थाना में थाना प्रभारी के भाई नईम अंसारी ने रोते हुए कहा हमारा दिलेर भाई नहीं रहा।
- भाई ने कहा कि नहीं रहा हमारा दिलेर : कोठी थाना में थाना प्रभारी के भाई नईम अंसारी ने रोते हुए कहा हमारा दिलेर भाई नहीं रहा।
- उनके शिक्षक मित्र मिन्हाज आलम ने बताया कि वाकई वह बहुत ही दिलेर था। शेर जैसा जिगर था उसके पास।
- इसी कारण से वह दस वर्ष शिक्षक की नौकरी करने के बाद पुलिस की नौकरी स्वीकार की।
- मृतक के पिता सेराज अहमद, भाई नईम अंसारी और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल था।
थानेदार के चार बच्चों व पत्नी पर टूटा दु:खों का पहाड़
- कोठी थाना प्रभारी क्यामुद्दीन तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। मंझले भाई नईम अंसारी देव प्रखंड के बसडीहा पंचायत के पूर्व मुखिया हैं।
- छोटा भाई आदिल दिल्ली में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। पत्नी अंजुम आरा औरंगाबाद में शिक्षिका के पद पर कार्य कर रही हैं।
एक अपराधी की बाल और दाढ़ी लाल थी, दो ने पहन रखा था नकाब
- घटनास्थल के पास रहनेवाली रूबी खातून ने बताया कि उसने देखा कि कोठी थाना प्रभारी क्यामुद्दीन अंसारी खेत में पड़े हुए हैं।
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पढ़नेवाली गुलसबा ने बताया कि छः बार गोली की आवाज सुनायी पड़ी। बताया कि दो
ने नकाब पहन रखा था, जबकि एक के बाल और दाढ़ी दोनों लाल थे।