PATNA : शिक्षकों की तानाशाही से स्कूल जेल बन रही
है। शिक्षा के मंदिर में जाने से छात्र घबरा रहे हैं। पढ़ाई का बोझ और
शिक्षकों के टार्चर करने से हाल के दिनों में छात्रों में सुसाइड के मामले
बढ़े हैं।
तेजी से बढ़ रही समस्या को लेकर शनिवार को विश्व सुसाइड निरोधक दिवस पर आई नेक्स्ट ने राजधानी के प्रमुख शिक्षाविद और लोकप्रिय कथावाचक आचार्य सुदर्शन जी महाराज से बात कर इस बड़ी समस्या से निपटने के उपाय पर चर्चा की। बातचीत में कई चौकाने वाली बात सामने आई जो छात्रों के लिए अभिशाप बन रही है। इसके लिए अभिभावक से लेकर स्कूल कॉलेज जिम्मेदार हैं। पैरोंटस और शिक्षक एक स्वस्थ्य माहौल देकर बच्चों को तनाव से दूर कर सकते हैं। पेश से है विशेष बातचीत के प्रमुख अंश.
- सुरक्षा स्वास्थ्स और फिर शिक्षा पर चर्चा
आचार्य सुदर्शन जी महाराज का कहना है कि वह भ्म् वर्षो से छात्रों के लिए साधना कर रहे हैं लेकिन अब लग रहा है कि सिस्टम फेल हो रहा है। जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बच्चे ही हैं और इनकी सुरक्षा पहले जरूरी है। हमे बच्चों की बीमारी पकड़ने की जरूरत है। आज के दौर में बच्चे स्कूल आना ही नहीं चाहते और जब छुट्टी होती है तो खुशी से उछल जाते हैं। ये संकेत है स्कूल के जेल बनने और शिक्षकों के तानाशाह बनने का। बच्चों पर घर से लेकर स्कूल कॉलेज तक का दबाव है। ऐसे में तनाव में आकर वे सुसाइड कर रहे हैं। हमे देखना होगा कि आखिर जीवन में कौन सी ऐसी कमी हो गई जो आज बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
- शपथ लेकर विद्यालय को तनाव मुक्त बनाएं
आचार्य ने कहा कि शपथ लेकर स्कूलों को तनाव मुक्त करना चाहिए। स्कूल से लेकर घर में बच्चों पर मानसिक अत्याचार किया जा रहा है। बच्चों को होमवर्क के साथ साथ बस्ते का बोझ लादा जा रहा है। इससे वह तनाव में रहते हैं। घर में भी मां बाप का पूरा प्यार नहीं मिल पा रहा है। इससे वह दिन प्रतिदिन टूट रहे हैं। अपनी पीड़ा तक नहीं बता पा रहे हैं। ऐसे में जब तक विद्यालयों को तनावमुक्त नहीं किया जाएगा तब तक छात्रों को इस विकट समस्या से बाहर नहीं निकाला जा सकता है.
- ये टिप्स अपनाकर बच्चों को बचाएं
- स्कूल कॉलेज में तनावमुक्त माहौल हो
- पढ़ाई के साथ साथ मौज मस्ती का भी होनी चाहिए
- बच्चों पर दबाव नहीं देकर उनसे पूछना चाहिए कि वे क्या पढ़ना चाहते हैं
- परीक्षा के दिन में पढ़ाई बंद होनी चाहिए
- बच्चों से मां बाप के साथ शिक्षक को भी प्रेम करना चाहिए
- मां बाप के बीच बच्चों को कभी न पिसने दें
- स्कूल के साथ घर में टेंशन फ्री माहौल देना चाहिए
- तानाशाही बंद कर बच्चों की प्रधानता बढ़नी चाहिए
- बच्चों को समझिए और बिना डराए धमकाए पढ़ाएं
- अभिभावक भी बच्चों के सामने कोई तनाव न लाएं
- मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने वाला ही कुछ अच्छा कर आगे बढ़ पाएगा
- तनाव हाबी होने से सभी के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई जो घटना का कारण है
- बच्चों को स्वतंत्र करें जिससे वह अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकें
- अधिकतर बच्चे मरना सीख रहे हैं उन्हें हम सबको मिलकर जीना सिखाना होगा
- बच्चों की खुशहाली के लिए जीएं क्योंकि इससे बड़ी पूंजी कुछ नहीं, उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें
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तेजी से बढ़ रही समस्या को लेकर शनिवार को विश्व सुसाइड निरोधक दिवस पर आई नेक्स्ट ने राजधानी के प्रमुख शिक्षाविद और लोकप्रिय कथावाचक आचार्य सुदर्शन जी महाराज से बात कर इस बड़ी समस्या से निपटने के उपाय पर चर्चा की। बातचीत में कई चौकाने वाली बात सामने आई जो छात्रों के लिए अभिशाप बन रही है। इसके लिए अभिभावक से लेकर स्कूल कॉलेज जिम्मेदार हैं। पैरोंटस और शिक्षक एक स्वस्थ्य माहौल देकर बच्चों को तनाव से दूर कर सकते हैं। पेश से है विशेष बातचीत के प्रमुख अंश.
- सुरक्षा स्वास्थ्स और फिर शिक्षा पर चर्चा
आचार्य सुदर्शन जी महाराज का कहना है कि वह भ्म् वर्षो से छात्रों के लिए साधना कर रहे हैं लेकिन अब लग रहा है कि सिस्टम फेल हो रहा है। जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बच्चे ही हैं और इनकी सुरक्षा पहले जरूरी है। हमे बच्चों की बीमारी पकड़ने की जरूरत है। आज के दौर में बच्चे स्कूल आना ही नहीं चाहते और जब छुट्टी होती है तो खुशी से उछल जाते हैं। ये संकेत है स्कूल के जेल बनने और शिक्षकों के तानाशाह बनने का। बच्चों पर घर से लेकर स्कूल कॉलेज तक का दबाव है। ऐसे में तनाव में आकर वे सुसाइड कर रहे हैं। हमे देखना होगा कि आखिर जीवन में कौन सी ऐसी कमी हो गई जो आज बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
- शपथ लेकर विद्यालय को तनाव मुक्त बनाएं
आचार्य ने कहा कि शपथ लेकर स्कूलों को तनाव मुक्त करना चाहिए। स्कूल से लेकर घर में बच्चों पर मानसिक अत्याचार किया जा रहा है। बच्चों को होमवर्क के साथ साथ बस्ते का बोझ लादा जा रहा है। इससे वह तनाव में रहते हैं। घर में भी मां बाप का पूरा प्यार नहीं मिल पा रहा है। इससे वह दिन प्रतिदिन टूट रहे हैं। अपनी पीड़ा तक नहीं बता पा रहे हैं। ऐसे में जब तक विद्यालयों को तनावमुक्त नहीं किया जाएगा तब तक छात्रों को इस विकट समस्या से बाहर नहीं निकाला जा सकता है.
- ये टिप्स अपनाकर बच्चों को बचाएं
- स्कूल कॉलेज में तनावमुक्त माहौल हो
- पढ़ाई के साथ साथ मौज मस्ती का भी होनी चाहिए
- बच्चों पर दबाव नहीं देकर उनसे पूछना चाहिए कि वे क्या पढ़ना चाहते हैं
- परीक्षा के दिन में पढ़ाई बंद होनी चाहिए
- बच्चों से मां बाप के साथ शिक्षक को भी प्रेम करना चाहिए
- मां बाप के बीच बच्चों को कभी न पिसने दें
- स्कूल के साथ घर में टेंशन फ्री माहौल देना चाहिए
- तानाशाही बंद कर बच्चों की प्रधानता बढ़नी चाहिए
- बच्चों को समझिए और बिना डराए धमकाए पढ़ाएं
- अभिभावक भी बच्चों के सामने कोई तनाव न लाएं
- मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहने वाला ही कुछ अच्छा कर आगे बढ़ पाएगा
- तनाव हाबी होने से सभी के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई जो घटना का कारण है
- बच्चों को स्वतंत्र करें जिससे वह अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकें
- अधिकतर बच्चे मरना सीख रहे हैं उन्हें हम सबको मिलकर जीना सिखाना होगा
- बच्चों की खुशहाली के लिए जीएं क्योंकि इससे बड़ी पूंजी कुछ नहीं, उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें
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