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प्राथमिकी में पीछे हट रहा शिक्षा विभाग , 65 सौ शिक्षकों के प्रमाणपत्र की होगी जांच , 90 शिक्षकों का नहीं सौंपा गया है फोल्डर

मधेपुरा। फर्जी शिक्षक मामले में शिक्षा विभाग पीछे हट रहा है। फोल्डर जमा नहीं करने पर पंचायत सचिव पर प्राथमिकी का दर्ज करने का आदेश निकाल दिया गया है। लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं कराया जा रहा। विभाग टाल-मटोल रवैया अपनाया जा रहा है।
हैरानी की बात है कि डीपीओ ने तीन दिन पूर्व ही सभी बीईओ को संबंधित पंचायत सचिव पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। बावजूद सभी बीइओ ने अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी है। प्राथमिकी में विलंब से निगरानी जांच की प्रक्रिया को तेज नहीं कर पा रहा है।
मालूम हो कि
शिक्षा विभाग ने इस मामले में 14 अगस्त तक का समय सभी बीइओ को आदेश दिया था। समय सीमा समाप्त होते ही संबंधित पंचायत सचिव को प्राथममिकी दर्ज करने का आदेश था।
विभागीय अल्टीमेटम निकला था। इसका समय सीमा 14 अगस्त को ही समाप्त हो गया थी बावजूद अधिकतर ने फोल्डर जमा नहीं किया था। जिला शिक्षा विभाग भी अपने सभी बीईओ को संबंधित पंचायत सचिव पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। मालूम हो कि इस मामले में डीपीओ स्थापना द्वारा पहले ही 22 पंचायत सचिव पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश निकाला चूका हैं । लेकिन विभाग पहले तो खुद टालू रवैया अपनाया लेकिन कोर्ट की सख्ती के बाद कार्रवाई तेज कर दी।
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90 शिक्षकों का नहीं सौंपा गया है फोल्डर
शिक्षा विभाग 90 शिक्षकों का फोल्डर निगरानी को सौंपा नहीं गया है। यद्यपि विभाग का कहना है कि अब केवल 70 से 80 शिक्षकों को फोल्डर जमा होना है।
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65 सौ शिक्षकों के प्रमाणपत्र की होगी जांच
जिला में 65 सौ से अधिक प्राथमिक व मध्य विद्यालय में शिक्षक नियोजन पर कार्यरत है। इसमें 1856 पंचायत शिक्षक वहीं 4481 प्रखंड शिक्षक है। इसमें 170 नगर पंचायत व परिषद शिक्षक भी शामिल हैं। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर निगरानी विभाग ऐसे शिक्षकों के प्रमाणपत्र की जांच कर रही है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लगभग 4481 प्रखंड शिक्षकों का प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग ने निगरानी को सौंप दिया है। लेकिन अभी तक लाख मेराथन प्रयास के बाद भी ऐसे शेष 90
पंचायत शिक्षकों का प्रमाणपत्र विभाग पंचायत नियोजन ईकाई के मनमानी के कारण सफल नहीं हो रहा है।
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दो दर्जन पंचायत सचिव पर कार्यवाई होगी
डीपीओ स्थापना से मिली जानकारी के अनुसार जिस 633 शिक्षकों का फोल्डर जमा नहीं हुआ है। उसके लिए पंचायत सचिव जिम्मेदार है। ऐसा माना जा रहा है कि मामले के जिम्मेदार चार दर्जन पंचायत सचिव से अधिक पर कार्रवाई सुनिश्चत है। इतना ही नहीं निगरानी पूरे मामले के तह तक में जाने का भी विचार कर रही है। दूसरी ओर वर्तमान में पदास्थापित पंचायत सचिव का कहना है कि यह तो ऐसी बात है कि उनके बार-बार मांगने के बाद पूर्व पंचायत सचिव प्रमाणपत्र नहीं दे रहे हैं। ऐसे में परेशानी हो रही है।
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प्राथमिकी तत्कालीन पंचायत सचिव पर करना है। सोमवार तक प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर बीइओ पर कार्रवाई होगी।
शिवशंकर राय

डीपीओ स्थापना
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