पटना :
इंटर रिजल्ट घोटाले में बिहार बोर्ड के कई एडहॉक कर्मचारियों के भी शामिल
होने की आशंका है. बोर्ड की अपनी शुरुआती जांच में पता चला है कि पूर्व
अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की टीम में शामिल रहे कई एडहॉक कर्मी इस घोटाले
में शामिल रहे हैं. इसके मद्देनजर बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने एडहॉक
सहित 248 कर्मियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है. जांच में क्लीन चिट
मिलने पर ही उनके वेतन का भुगतान किया जायेगा.
टीम लालकेश्वर में शामिल कर्मियों को विशेष सुविधाएं
बिहार बोर्ड के इंटर प्रभाग में एडहॉक
पर 136 कर्मचारी काम कर रहे हैं. इनमें से 63 असिस्टेंट, 21 रूटीन क्लर्क
और 55 कंप्यूटर विभाग में कार्यरत हैं. इनमें से 34 एडहॉक कर्मचारी
तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की टीम के तौर पर काम कर रहे थे. इसके
लिए उनको विशेष सुविधाएं भी मुहैया करायी गयी थीं. बोर्ड के कर्मचारियों ने
बताया कि टीम लालकेश्वर में शामिल एडहॉक कर्मियों को बगैर शिक्षा विभाग की
अनुशंसा के अधिक वेतन दिया जाता था. असिस्टेंट स्तर पर 53 हजार और रूटीन
र्क्लक को 45 हजार रुपये मिलते थे. कुछ एडहॉक कर्मचारियों को पैसे का
प्रलोभन देकर लालकेश्वर प्रसाद ने अपने साथ मिला लिया था. इसी के बल पर
पूर्व अध्यक्ष ने एडहॉक कर्मचारियों की हड़ताल पर भी रोक लगा दी थी.
उठ रही शक की निगाह, वेतन पर लगी रोक
इंटर प्रभाग के कई ऐसे एडहॉक कर्मचारी
हैं, जिनका वेतन उसी पद पर कार्यरत नियमित कर्मचारियों के वेतन के बराबर
है. एडहॉक कर्मचारियों के इतना अधिक वेतन से बोर्ड कार्यालय अब सकते में
है. एडहॉक कर्मचारियों काे इतना वेतन अचानक से क्यों दिया गया अौर क्यों
बढ़ाया गया, बोर्ड कार्यालय अपने स्तर से इसकी जांच कर रहा है. फिलहाल ऐसे
कई कर्मचारियों का वेतन को रोक दिया गया है.
पिछले साल भी गड़बड़ी को ठंडे बस्ते में डाल लालकेश्वर ने कमाये करोड़ों
पटना : 2015 में बच्चा राय के विशुनदेव
राय कॉलेज द्वारा गड़बड़ी कर टॉपर बनाने का मामला प्रकाश में आ गया था,
लेकिन बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने किसी
प्रकार की कार्रवाई नहीं की थी और उसे ठंडे बस्ते में डाल कर करोड़ों की
कमाई की थी. अगर यह गड़बड़ी उस समय ही पूरी तरह उजागर हो जाती, तो फिर 2016
का रिजल्ट घोटाला नहीं होता. कदाचार समिति द्वारा इसकी रिपोर्ट दिये जाने
के बाद भी लालकेश्वर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रजिस्ट्रेशन,
संबद्धता, एसटीइटी व टीइटी के रिजल्ट में कई गड़बड़ियां कीं और काफी
कमाया.
उसी का नतीजा रहा कि 2016 में एक बार
फिर से विशुनदेव राय कॉलेज के ही छात्र-छात्राएं टॉपर हुए. एसआइटी द्वारा
पकड़े गये लोगों से की गयी पूछताछ व जांच के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि
पूर्व बिहार बोर्ड अध्यक्ष ने हर मामले में पैसे लिये थे और घोटाले को
प्रश्रय दिया था.
कदाचार समिति ने कार्रवाई की थी अनुशंसा : दाचार
समिति ने 2015 की परीक्षा में गड़बड़ी होने का जिक्र किया था और कार्रवाई
करने की अनुशंसा की थी. लेकिन, लालकेश्वर प्रसाद ने विधि विभाग की राय लेने
का जिक्र कर कदाचार समिति की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था.
पिछले साल भी विशुनदेव राय कॉलेज के
छात्र आइएससी व आइकॉम के टॉपर हुए थे. 2015 में हाजीपुर के एक स्कूल में
परीक्षा केंद्र बना था और मूल्याकंन केंद्र सासाराम के एक स्कूल में बनाया
गया था.
परीक्षा केंद्र और मूल्याकंन केंद्र पर
गड़बड़ी की बात सामने आयी थी और पता चला था कि मूल्याकंन केंद्र पर केवल दो
परीक्षकों ने ही विशुनदेव राय कॉलेज के तमाम छात्रों के हर विषयों की
कॉपियों की जांच की थी. इसके साथ ही कुछ कॉपियों में लिखने का पैटर्न एक
जैसा ही पाया गया था.
Sponsored link :
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC