पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षक पात्रता परीक्षा ( टीइटी) लेने के लिए शिक्षा विभाग अपनी ब्लू प्रिंट रिपोर्ट 19 जुलाई को पटना हाइकोर्ट में सौंपेगा. हाइकोर्ट का बताया जायेगा कि वह कब इस परीक्षा का आयोजन करेगा. साथ ही विभाग नियोजन इकाईवार शिक्षकों के स्वीकृत, कार्यरत व खाली पदों की संख्या से भी हाइकोर्ट को अवगत करायेगा.
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सभागार में शनिवार को राज्य के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) की राज्य स्तरीय बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया.
बैठक में सभी जिलों से नियोजन इकाईवार शिक्षकों की स्वीकृत पद, कार्यरत पद और खाली पदों की संख्या मांगी गयी थी, लेकिन बैठक में 15 जिलों ने ही सही फॉर्मेट पर पदों की संख्या दी, जबकि चार जुलाई की बैठक में मात्र दो जिलों ने विभाग को यह डाटा उपलब्ध कराया था. अभी भी 21 जिलों ने आंकड़ा विभाग को नहीं सौंपा है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम. रामचंद्रडू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि रविवार (10 जुलाई) की शाम तक बाकी बचे 21 जिले सारी त्रुटियां दूर कर इ-मेल से रिक्तियां उपलब्ध करा दें.
साथ ही सोमवार (11 जुलाई) को रिक्तियों की हार्ड कॉपी मुख्यालय में जमा करवा दें. जिन जिलों ने यह सुनिश्चित नहीं किया तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. शिक्षा विभाग के प्रवक्ता अमित कुमार ने बताया कि जिन जिलों को रिक्तियां अंतिम रूप से नहीं मिली हैं, उनमें कुछ त्रुटि थी. उन जिलों द्वारा स्वीकृत पद व कार्यरत पद के जो आंकड़े आये थे, वो पूर्व के आंकड़ों से बिल्कुल अलग थे. इसलिए उन्हें क्रास चेक कर रविवार शाम तक इ-मेल से उसे भेजने का निर्देश दिया गया है. बैठक में प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशक अरुण शर्मा, बीइपी के अधिकारी रविशंकर समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
टीइटी में सिर्फ ट्रेंड अभ्यर्थियों को ही मिलेगा मौका
प्रदेश में होने वाले टीइटी में अब सिर्फ प्रशिक्षित (ट्रेंड) अभ्यर्थियों को ही मौका मिलेगा. अनट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी में नहीं बैठ सकेंगे, जबकि 2011 में हुए टीइटी में और 2013 में उर्दू व बांग्ला विषय के स्पेशल टीइटी में ट्रेंड के साथ अनट्रेंड अभ्यर्थियों को भी बैठने का मौका दिया गया था. नियम था कि जो अनट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी क्वालिफाइ करेंगे वे अगले तीन साल में बीएड की डिग्री ले लेंगे. इसके बाद 31 मार्च, 2015 से प्रदेश में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में अनट्रेंड अभ्यर्थी की नियुक्ति पर भी रोक है.
हाइकोर्ट ने पूछा था हर साल क्यों नहीं लेते टीइटी
पटना हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी की कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार से पूछा था कि राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी क्यों है? राज्य सरकार हर साल टीइटी क्यों नहीं लेती है? स्कूलों में शिक्षकों के कितने पद स्वीकृत हैं, कितने पर कार्यरत हैं और कितने खाली हैं? इसका आंकड़ा सरकार 19 जुलाई को दे. इस पर विभाग ने हाइकोर्ट में तर्क दिया था कि राज्य में नियोजन इकाई वार नियुक्ति होती है. एक बार आवेदन देने के बाद अभ्यर्थियों को तीन बार नियुक्ति का मौका दिया गया. बाद में कैंप का आयोजन किया गया, जिससे विलंब होता है. 2012 से शुरू हुई प्रारंभिक स्कूलों की नियुक्ति प्रक्रिया 2015 में खत्म हुई है.
अररिया, औरंगाबाद, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया, जहानाबाद, कैमूर, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, नालंदा, पटना, पूर्णिया, शेखपुरा और पश्चिमी चंपारण.
1.20 लाख से भी कम ट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी में हो सकेंगे शामिल
दिसंबर-जनवरी में प्रस्तावित टीइटी में 1.20 लाख से कम ट्रेंड अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे, जबकि 2011 में हुए टीइटी में करीब 33 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 66 सरकारी बीएड समेत डायट संस्थान हैं, जबकि करीब 228 प्राइवेट बीएड कॉलेज हैं.
ऐसे में अगर सभी में 100 अभ्यर्थी प्रति साल पास करते हैं तो पिछले तीन-चार साल में अधिकतम एक लाख अभ्यर्थी पास किये होंगे, जबकि दूसरे कॉलेजों से बीएड करने वालों की संख्या 20 हजार से ज्यादा नहीं होगी.
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बैठक में सभी जिलों से नियोजन इकाईवार शिक्षकों की स्वीकृत पद, कार्यरत पद और खाली पदों की संख्या मांगी गयी थी, लेकिन बैठक में 15 जिलों ने ही सही फॉर्मेट पर पदों की संख्या दी, जबकि चार जुलाई की बैठक में मात्र दो जिलों ने विभाग को यह डाटा उपलब्ध कराया था. अभी भी 21 जिलों ने आंकड़ा विभाग को नहीं सौंपा है. प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम. रामचंद्रडू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि रविवार (10 जुलाई) की शाम तक बाकी बचे 21 जिले सारी त्रुटियां दूर कर इ-मेल से रिक्तियां उपलब्ध करा दें.
साथ ही सोमवार (11 जुलाई) को रिक्तियों की हार्ड कॉपी मुख्यालय में जमा करवा दें. जिन जिलों ने यह सुनिश्चित नहीं किया तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. शिक्षा विभाग के प्रवक्ता अमित कुमार ने बताया कि जिन जिलों को रिक्तियां अंतिम रूप से नहीं मिली हैं, उनमें कुछ त्रुटि थी. उन जिलों द्वारा स्वीकृत पद व कार्यरत पद के जो आंकड़े आये थे, वो पूर्व के आंकड़ों से बिल्कुल अलग थे. इसलिए उन्हें क्रास चेक कर रविवार शाम तक इ-मेल से उसे भेजने का निर्देश दिया गया है. बैठक में प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशक अरुण शर्मा, बीइपी के अधिकारी रविशंकर समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे.
टीइटी में सिर्फ ट्रेंड अभ्यर्थियों को ही मिलेगा मौका
प्रदेश में होने वाले टीइटी में अब सिर्फ प्रशिक्षित (ट्रेंड) अभ्यर्थियों को ही मौका मिलेगा. अनट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी में नहीं बैठ सकेंगे, जबकि 2011 में हुए टीइटी में और 2013 में उर्दू व बांग्ला विषय के स्पेशल टीइटी में ट्रेंड के साथ अनट्रेंड अभ्यर्थियों को भी बैठने का मौका दिया गया था. नियम था कि जो अनट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी क्वालिफाइ करेंगे वे अगले तीन साल में बीएड की डिग्री ले लेंगे. इसके बाद 31 मार्च, 2015 से प्रदेश में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में अनट्रेंड अभ्यर्थी की नियुक्ति पर भी रोक है.
हाइकोर्ट ने पूछा था हर साल क्यों नहीं लेते टीइटी
पटना हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी की कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार से पूछा था कि राज्य के प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी क्यों है? राज्य सरकार हर साल टीइटी क्यों नहीं लेती है? स्कूलों में शिक्षकों के कितने पद स्वीकृत हैं, कितने पर कार्यरत हैं और कितने खाली हैं? इसका आंकड़ा सरकार 19 जुलाई को दे. इस पर विभाग ने हाइकोर्ट में तर्क दिया था कि राज्य में नियोजन इकाई वार नियुक्ति होती है. एक बार आवेदन देने के बाद अभ्यर्थियों को तीन बार नियुक्ति का मौका दिया गया. बाद में कैंप का आयोजन किया गया, जिससे विलंब होता है. 2012 से शुरू हुई प्रारंभिक स्कूलों की नियुक्ति प्रक्रिया 2015 में खत्म हुई है.
अररिया, औरंगाबाद, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गया, जहानाबाद, कैमूर, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, नालंदा, पटना, पूर्णिया, शेखपुरा और पश्चिमी चंपारण.
1.20 लाख से भी कम ट्रेंड अभ्यर्थी टीइटी में हो सकेंगे शामिल
दिसंबर-जनवरी में प्रस्तावित टीइटी में 1.20 लाख से कम ट्रेंड अभ्यर्थी ही शामिल हो सकेंगे, जबकि 2011 में हुए टीइटी में करीब 33 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. सूत्रों की मानें तो प्रदेश में 66 सरकारी बीएड समेत डायट संस्थान हैं, जबकि करीब 228 प्राइवेट बीएड कॉलेज हैं.
ऐसे में अगर सभी में 100 अभ्यर्थी प्रति साल पास करते हैं तो पिछले तीन-चार साल में अधिकतम एक लाख अभ्यर्थी पास किये होंगे, जबकि दूसरे कॉलेजों से बीएड करने वालों की संख्या 20 हजार से ज्यादा नहीं होगी.
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